आईटी, सुरक्षा विभाग और सरकार की साठगांठ, फायरप्रूफ बिल्डिंग में आग लगने पर संदेह
मुंबई। आयकर विभाग के मुंबई के सिंधिया हाउस स्थित कार्यालय में शुक्रवार शाम को अचानक आग लग गई। इस आग में किसी तरह की हताहत नहीं हुई है, लेकिन नीरव मोदी, ललित मोदी, चंदा कोचर और माल्या सहित कई कर्ज डूबानेवाले लोगों की जांच से संबंधित फाइल जल गई है। यह आग देश के इन लुटेरों को बचाने के लिए साजिश के तहत लगाए जाने के कारण इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने की मांग की जा रही है।
दक्षिण मुंबई के सिंधिया हाउस में आयकर विभाग का कार्यालय है। यह कार्यालय पूरी तरह से फायर प्रूफ है। इस कार्यालय में नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या,चंदा कोचर सहित सैकड़ों लोगों की जांच से संबंधित फाइल रखी गई है। शुक्रवार शाम को सुरक्षाकर्मी अभिजीत पाल से किसी ने बदबू की शिकायत की थी।
जब बदबू आने की जगह का पता लगाया गया तो पता चला कि बदबू एक कमरे से निकल रही थी, जो कि बंद था, क्योंकि अधिकारी छुट्टी पर थे। इसके बाद एक दूसरे सुरक्षाकर्मी और एक व्यक्ति ने दरवाजा तोड़ा और देखा कि कमरा आग की लपटों से घिरा हुआ है। यह इमारत फायरप्रूफ होने के कारण आग लगने का खतरा बहुत कम रहता है। इसके बावजूद आग लगने के कारण संदेह जताया जाने लगा है।
कार्यालय में छापेमारी और साक्ष्य के दस्तावेज
एक अन्य डीआरटीकर्मी ने बताया कि उनके कार्यालय में प्लायवुड होने के चलते आग तेजी से फैलने की संभावना है। उसने बताया कि विभाग द्वारा की गई छापेमारी से प्राप्त सभी दस्तावेज बिल्डिंग में रखे गए हैं। जब्ती में प्राप्त चीजें और जुटाए गए साक्ष्य भी यहीं रखे गए हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विभाग द्वारा विभिन्न जांचों से संबंधित जुटाए साक्ष्य और दस्तावेज इमारत के उसी माले पर रखे हो सकते हैं, जहां आग लगी।
हेरिटेज बिल्डिंग की सुरक्षा पर भी उठे सवाल
दक्षिण मुंबई के आयकर कार्यालय जिस सिंधिया हाउस में है, वह हेरिटेज बिल्डिंग है। हेरिटेज बिल्डिंग सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा विशेष रूप से सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही देखभाल भी किया जाता है। इसके बावजूद हेरिटेज बिल्डिंग सिंधिया हाउस में आग कैसे लगी, इसे लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस आग की विशेष रूप से जांच कराने की मांग की गई है।
अधिकतर फाइलों का नहीं है बैकअप
उन्होंने अपनी बात में आगे जोड़ा कि जहां तक वे जानते हैं कि विभाग के पास इनमें से अधिकांश दस्तावेजों का बैक-अप नहीं है और अगर ये नष्ट हो जाते हैं तो उन्हें वापस पाना मुश्किल होगा। मुंबई के आयकर विभाग के डायरेक्टर जनरल एए शंकर ने हालांकि इस पर कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया है। उनसे पूछा गया कि क्या विभाग ऐसे मामलों में जब दस्तावेजों को नष्ट किए जाने का खतरा रहता हो, वहां किसी मानक प्रक्रिया का पालन करता है। जिस पर शंकर ने कहा कि एक ऐसी प्रक्रिया है, लेकिन वे इस बारे में बाद में बात करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसी कार्यालय में देश को हजारों करोड़ का चूना लगाकर विदेश भागे ललित मोदी और विजय माल्या से संबंधित मामलों की फाइलें भी रखी थीं।
क्लीन चिट देने के लिए लगाई आग
सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग के इस कार्यालय में नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या जैसे देश के लुटेरों की जांच की फाइलें रखी गई थीं। इन फाइलों में नीरव, ललित और माल्या को दोषी पाए जाने के कई सारे सबूत मौजूद थे।
इससे इन्हें कई मामलों में दोषी पाया जा सकता है। इस से बचाने के लिए आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों और इन लुटेरों ने मिलकर एक साजिश के तहत आग लगवाई, जिससे कि उन्हें क्लीन चिट दिया जा सके।
सीबीआई से जांच कराने की मांग
देश के इन लुटेरों ने वर्ल्ड बैंक से लोन भी लिए हैं। लोन लेने के बाद अपने बिजनेस में नुकसान दिखाते हुए लोन वापस नहीं किए हैं। इसके अलावा भी देश के अन्य कई बैंकों से लोन लिए हुए हैं। इन बैंकों से लोन लेने के बाद आयकर रिटर्न भी फर्जी तरीके से भरा गया है। इसमें बताया गया है कि उनके व्यवसाय में नुकसान किस तरह हुआ है। इन्हें फर्जीवाड़ा से बचाने के लिए आग लगाया गया है। इसलिए इसकी जांच सीबीआई द्वारा भी कराए जाने की मांग उठने लगी है।
मंत्रालय में कुछ वर्ष पहले लगी आग में सैकड़ों फाइलें जल गई थीं। इसके बाद जब आरटीआई के अंतर्गत जानकारी मांगी गई तो सरकार ने बताया कि कितनी फाइल और कौन-सी फाइलें जली हैं। इसकी जानकारी अभी तक मौजूद नहीं है। ठीक उसी तरह आयकर विभाग में भी आग लगाकर फाइलों को जलाकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई है। देश के इन लुटेरों के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने की पूरी संभावना है। इस डर से इन लुटेरों ने आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आग लगाकर फाइलों को जलाने की साजिश रची है। इसकी जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के साथ ही इसमें शामिल लोगों पर भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
-एड. दिलीप इनकर
आयकर विभाग की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि यह आरोप पूरी तरह गलत और गुमराह करने वाला है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी केस की चल रही जांच से जुड़े दस्तावेजों को पहले ही असेसमेंट प्रोसेस के तहत दूसरी इमारतों में स्थित असेसमेंट यूनिट्स को स्थानांतरित कर दिया गया था। रिकॉर्ड्स के नुकसान होने से जुड़ी आशंकाएं गलत है।
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई संस्करण के संपादक हैं. उनसे संपर्क 9322755098 के जरिए किया जा सकता है.