-साक्षी जोशी-
आपकी इतनी इज़्ज़त करती थी। आज आपने वो खो दी Munawwar Rana जी। किसी का भी धर्म इतना बड़ा नहीं हो सकता कि किसी की जान लेना जायज़ लगने लगे। और अगर ऐसा है तो या तो आपने अपने धर्म को ही नहीं समझा या आपके धर्म ने आपको अपने लायक नहीं समझा। उस कार्टून से ज़्यादा आप ख़ुदा का अपमान कर रहे हैं
-रीवा सिंह-
जो मुनव्वर राना असहिष्णुता का हवाला देकर अवॉर्ड वापस कर रहे थे वो कार्टून के नाम पर सीधा कह रहे हैं कि – जान से मार देंगे।
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिसको भी देखना कई बार देखना।
-विवेक सिंह-
मुनव्वर राणा ने फ्रांस में शिक्षक की हत्या का समर्थन किया है। सोशल मीडिया पर कुछ आता है तो शक होता है। सोचा पहले चेक कर लूं। देखा तो बात सच्ची थी। मुनव्वर कहते हुए सुने गए कि वो होते तो कार्टून पर ऐसा ही करते। साथ ही ये कह रहे कि जब ऑनर किलिंग जायज हो सकती है तो ये भी सही है।
मतलब कुएं में ही भांग है। वैसे उनको कोई बताए कि ऑनर किलिंग अपराध है। शायद वो पाकिस्तान या अफ़ग़ानिस्तान का कानून ज्यादा आजकल पढ़ रहे हैं।
मुनव्वर राणा ने कहा कि जो फ्रांस में हुआ सही था। कोई उनके बाप का कार्टून बनाये तो वे उसे मार डालेंगे। यही नहीं उन्होंने कहा कि कोई राम या माता सीता का बनाये तो भी यही करेंगे।
कोई याद दिलाएगा की मुनव्वर ने कभी मकबूल फिदा हुसैन को मार डालने की कोई बात कही थी क्या ? या आज अचानक ये सीता को माता समझे हैं।
मुनव्वर साहब को कोई समझाए कि राम-सीता के कार्टून बने तो गला मत काटियेगा किसी का। पिलीज, बख्श दीजिएगा बनाने वाले को।
-तरुण कुमार तरुण-
मैं भी कार्टून बनाने वाले का सिर कलम कर दूंगा
- इनकलाबी शायर मुनव्वर राणा…
अपने समय के मशहूर शायर-लेखक मुहम्मद इकबाल जेहादी सोच के लिए यूं ही कुख्यात नहीं थे! इकबाल ने एक हिंदू संपादक-प्रकाशक के हत्यारे को अपना बेटा और इस्लाम का गाजी करार दे उसे आपने हाथों दफन किया था। इधर इनकलाबी शायरी करने वाले मुनव्वर राणा कहते हैं कि वह भी कार्टून बनाने वाले का सिर काट लेंगे! राणा की सनक अकारण नहीं है! यह जेहादी संस्कार और शिक्षा का कमाल है!
-विजय शंकर सिंह-
मुनव्वर राना का निंदनीय बयान… फ्रांस में अध्यापक की उनके मुस्लिम छात्र द्वारा की गयी हत्या पर शायर मुनव्वर राना की इस हत्या को औचित्यपूर्ण ठहराने के संबंध में दिया गया उनका बयान, निंदनीय और शर्मनाक है। किसी भी प्रकार से मानव हत्या के अपराध को औचित्यपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता है।
आस्था से हुआ आहत भाव कितना भी गंभीर हो, पर उसकी प्रतिक्रिया में की गयी किसी मनुष्य की हत्या एक हिंसक और बर्बर आपराधिक कृत्य है। जो कुछ भीउस किशोर द्वारा अपने अध्यापक के प्रति फ्रांस में किया गया है, वह अक्षम्य है, और उसका बचाव बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए।
धर्म के उन्माद और धर्म के प्रति आस्था के आहत होने की ऐसी सभी हिंसक और बर्बर प्रतिक्रियायें, चाहे वह गला रेत कर की जाने वाली हत्या हो, या मॉब लिंचिंग या भीड़ हिंसा, यह सब आधुनिक और सभ्य समाज पर एक कलंक है।