हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक डा० नामवर सिंह का 89वां जन्मदिवस हिंदी भवन, नई दिल्ली में हर्षोल्लास से मनाया गया. इस कार्यक्रम में देश भर से आये कवियों ने काव्य पाठ किया और उनके दीर्घायु जीवन कीकामना की। साहित्यकारों के इस सम्मान से आह्लादित नामवर सिंह ने कहा कि आज उनका दिल भरा है और दिमाग खाली है
…क्या यह अच्छा नहीं है कि औरो की सुनता …मै मौन रहूँ। आज का दिन मुझे ज़बान नहीं दे रहा है, सिर्फ कान दे रहा है ” …वरिष्ठ कवि नरेश कुमार नाज़ ने हिंदी भाषा की महत्ता पर कविता पढ़ी। कवियित्री पुष्पा सिंह ‘ विसेन’ ने नामवर सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। भोजपुरी के लोकप्रिय कवि मनोज भावुक ने नामवर सिंह के विराट व्यक्तित्व को अपनी हिंदी – भोजपुरी कविता में समेटते हुए कहा कि ” झुकी नहीं है रीढ़ की हड्डी, गुरुवर जस के तस हैं/ भाषा, बोली, वाणी, लहजा, तेवर जस के तस हैं ” … और ” जुग-जुग जीहीं जीअनपुर के लाल, रउरा से चमके हिंदी के भाल/ अभी नवासी के युवा रउरा बानी, करीं सफर साथे अउरी सौ साल …… कवि सुनील हापुड़िया ने अपने हास्य-व्यग्य और अशोक मधुप ने ग़ज़लों से कार्यक्रम में समा बांह दिया। देश के कई हिस्सों से आये अन्य कवियों में पूनम माटिया ,आभा सेतू,( काठमांडू,नेपाल)कामदेव शर्मा ,रामश्याम हसीन ,राजेश तंवर ,देव नगर ,प्रियंका राय(ओउम नंदिनी) ,डॉ अरविन्द त्यागी ,एम् पी अग्रवाल ,इब्राहिम अल्वी ,निवेदिता मिश्र झा ,डॉ भुवनेश सिंघल ,चन्द्रकांता सिवल, डॉ. बब्ब्ली वशिष्ठ ,डॉ.चंद्रमणि ब्रह्मदत्त, सुनील हापुरिया ,संजय कश्यप ,भावना कश्यप ,आशीष श्रीवास्तव ,संजय कुमार गिरि आदि प्रमुख थे। इस अद्भुत काव्य पाठ में मंच पर प्रो.नामवर सिंह के साथ थे भोजपुरी ग़ज़लकार मनोज भावुक, श्री अशोक वर्मा , डॉ. पुष्पा सिंह विसेन, नरेश नाज़ , डॉ.अशोक मधुप , सुरेश यादव.. ! मंच का सफल संचालन कवि मनोज कुमार मनोज और धन्यवाद ज्ञापन अंतरराष्ट्रीय किसान परिषद् के अध्यक्ष डा० चंद्रमणि ब्रह्मदत्त ने किया।