आखिर मीडिया राजस्थान बोर्ड की इस टॉपर छा़त्रा की मार्कशीट पर लाल घेरा फेर कर क्या साबित करना चाहता है?
जांच में जो रिपोर्ट आएगी, वो सब के सामने होगी, फिर पत्रकारों.. आप उस नादान की मार्कशीट को यूं लाल घेरे में पब्लिस कर क्या साबित करना चाहते हैं? आप की इन हरकतों ने टॉपर छात्रा एकता अग्रवाल को अस्पताल तक तो पहुंचा ही दिया है।
आप रिपोर्टिंग कीजिए। आपका काम है, लेकिन इंसानियत और पत्रकारितों के मापदंडों को भी ध्यान में रखिए, फिर कहीं आत्मा मर तो नहीं गई है पत्रकारों की? माना कि खबर में मसाला नहीं लगाएंगे तो हमारे आका यही कहेंगे कि बिना मसाले की खबर को देखेगा या पढ़ेगा कौन?
लेकिन ये भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी की मार्कशीट को लालघेरे में करने का हक मीडिया का नहीं है, कम से कम जांच रिपोर्ट आने से पहले तक तो बिल्कुल नहीं।
जानकारी के अनुसार छात्रा के पिता ने छात्रा को अवसाद में बताया है और इसकी शिकायत पुलिस थाने में की है। पिता का आरोप है कि एक न्यूज चैनल पत्रकार ने मेरी बच्ची को बहला फुसलाकर बयान दर्ज जारी कर दिया।
मनीष शुक्ला के एफबी वाल से