भाजपा का टिना फैक्टर यानी देयर इज नो आल्टरनेटिव टू नरेन्द्र मोदी – मीडिया का बनाया हुआ है। और मीडिया ही उसे बनाए हुए है। आइए देखें कैसे। पार्टी और भक्त कह रहे हैं, मीडिया फैला रहा है कि नरेन्द्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है पर असल में पार्टी के पास स्मृति ईरानी का भी विकल्प नहीं है। उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना था तो इस मंत्रालय से उस में किया जाता रहा है। पर बाहर नहीं रखा गया।
इसी तरह राजीव प्रताप रुड़ी का भी विकल्प नहीं है, उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना था तो हटा दिया गया। कोई विकल्प नहीं। ऐसा कोई दूसरा पूर्व मंत्री नहीं है। इसी तरह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए डॉक्टर हर्षवर्धन का भी कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने एम्स के चीफ विजिलेंस अफसर संजीव चतुर्वेदी को हटा दिया तो उन्हीं को हटा दिया गया। लेकिन मंत्रिमंडल में बने रहे। ऐसा भी कोई दूसरा नहीं है।
एम्स के चीफ विजिलेंस अफसर को हटाने की मांग करने वाले जेपी नड्डा का भी विकल्प नहीं है। क्योंकि हर्षवर्धन के बाद जेपी नड्डा को ही स्वास्थ्य मंत्री बना दिया गया। डॉक्टर हर्षवर्धन कुछ ही समय स्वास्थ्य मंत्री रह पाए पर जेपी नड्डा बने हुए हैं। विकल्प दोनों का नहीं है। विकल्प तो अरुण जेटली, पीयूष गोयल और सुरेश प्रभु का भी नहीं है।
अरुण जेटली बीमार रहे पर मंत्री बने रहे। ब्लॉग ही लिखते रहे पर मंत्री रहे। सुरेश प्रभु रेल मंत्रालय नहीं संभाल पाए। बदलना मजबूरी हो गया तो मंत्री बने रहे और भाजपा के कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल को रेल मंत्री बनाया गया। अब कोषाध्यक्ष का भी विकल्प नहीं। कोषाध्यक्ष का पक्ष खाली है आज भी। वेबसाइट देखिए कोषाध्यक्ष का पद ही नहीं है। वैसे, विकल्प सुषमा स्वराज का भी नहीं है।
लखनऊ के पासपोर्ट अधिकारी के मामले में कार्रवाई करने पर भाजपा की सोशल मीडिया वाली सेना उनपर पिली रही। सुषमा जी ने अकेले सबको निपटा दिया। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई ना मंत्री के रूप में उनका विकल्प है ना सोशल मीडिया के गुंडों से निपटने में। पर उन्हें कोई ईनाम मिला हो ऐसा तो नहीं लगता। अकबर पर चुप्पी साधे रहीं।
सिर्फ रक्षा मंत्री के रूप में मनोहर परिकर की का विकल्प आप निर्मला सीतारमण को मान सकते हैं। पर बताया जाता है कि वे खुद मुख्यमंत्री के रूप में गोवा जाना चाहते थे। और चले गए। असल में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर का भी कोई विकल्प नहीं है और कहा जा सकता है कि रक्षा मंत्री के रूप में वे नहीं चल पाए और इस लिहाज से निर्मला सीतारमण का भी कोई विकल्प नहीं है। 2014 में राज्य मंत्री बनाई गई थीं 2017 में कैबिनेट मंत्री बन गईं।
टिना फैक्टर के जवाब में कल तेलुगू देशम के नेता चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि “ना सिर्फ राहुल गांधी, कोई भी नरेन्द्र मोदी से बेहतर करेगा” तो अखबारों ने इसे सामान्य राजनीतिक गठजोड़ की तरह छापा। किसी ने चंद्रबाबू नायडू की बात को प्रमुखता नहीं दी। इस तरह अखबार वाले आपको यह नहीं बता रहे हैं कि भाजपा में नरेन्द्र मोदी का ही नहीं, एमजे अकबर का भी विकल्प नहीं है। और विकल्प तो बलात्कार के आरोप में जेल में बंद विधायक का भी नहीं है।
दूसरी ओर, भाजपा के सहयोगी रहे नायडू अब कह रहे हैं कि “ना सिर्फ राहुल गांधी, कोई भी नरेन्द्र मोदी से बेहतर करेगा” तो वह भी नहीं बता रहे हैं। ऐसी मीडिया से बचके।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक, संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]