प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनावी इतिहास में इस तरह की धोखाधड़ी का पहला मामला
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव में अपनी तरह का पहला धोखाधड़ी का ऐसा मामला सामने आया है. उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार पल्लवी घोष के फर्जी हस्ताक्षर कर उनकी ओर से नाम वापसी का अनुरोध किया गया था. पल्लवी घोष प्रेस क्लब के वार्षिक चुनाव में संजय बसाक पैनल से उम्मीदवार हैं.
सूचना मिलने के बाद पल्लवी घोष ने चुनाव अधिकारियों को वीडियो कॉल कर यह जानकारी दी कि यह धोखाधड़ी का मामला है. किसी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर उन्हें चुनाव से हटाने की साजिश की है. उन्होंने इस संबंध में चुनाव आयोग को एक ईमेल भी भेजा है. प्रेस क्लब के लिए नियुक्त चुनाव आयोग और पल्लवी घोष की ओर से इस मामले में एफआईआर कराई जा सकती है. संजय बसाक ने प्रेस क्लब प्रशासन और मौजूदा कमेटी से यह मांग की है कि इस प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज महत्वपूर्ण साक्ष्य है. यह फुटेज उनके पैनल और जांच होने पर पुलिस को उपलब्ध कराया जाए. सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा जाए.
ज्ञात हो कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव 10 अप्रैल को होने हैं. बुधवार को नाम वापसी का आखिरी दिन था. यहां पर इस बार 2 पैनल चुनाव में आमने-सामने हैं. नाम वापसी का अंतिम समय शाम के 5:30 बजे तक था. दोनों ही पैनल के उम्मीदवार और उनके कुछ समर्थक नाम वापसी की प्रक्रिया के दौरान क्लब के पहले तल पर मौजूद कॉन्फ्रेंस हॉल में थे. चुनाव आयोग ने नाम वापस लेने वाले उम्मीदवारों की घोषणा शुरू की.
इसी दौरान उपाध्यक्ष पद से पल्लवी घोष के नाम वापसी का भी ऐलान किया गया. इससे संजय बसाक पैनल के सदस्यों और समर्थकों में एक निराशा का भाव उत्पन्न हो गया. पैनल के कुछ सदस्यों ने चुनावी कवरेज के लिए कोलकाता गई पल्लवी घोष से फोन पर संपर्क किया. वह इस सूचना को सुनकर अवाक रह गईं. उन्होंने अपने पैनल के सदस्यों को जानकारी दी कि उन्होंने नाम वापसी का कोई आवेदन नहीं दिया है. किसी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर यह धोखाधड़ी की है. संजय बसाक पैनल के सदस्यों ने इसकी जानकारी चुनाव आयोग को दी.
क्लब के वरिष्ठ सदस्य और वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री एमएमसी शर्मा और अन्य चुनाव आयुक्तों ने वीडियो कॉल पर पल्लवी घोष से बात की. इसके उपरांत पल्लवी घोष के नाम पर आए फर्जी नामांकन वापसी पत्र को खारिज करते हुए उनकी उम्मीदवारी की पुष्टि की गई.
प्रेस क्लब चुनाव में इस फर्जीवाड़ा के पकड़े जाने के बाद शक की सुई विभिन्न लोगों की और घूम रही है. चुनाव में केवल दो ही पैनल हैं. क्लब के सदस्यों का कहना है कि क्लब के चुनावी इतिहास में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें किसी उम्मीदवार के फर्जी हस्ताक्षर कर उसका नामांकन वापस लेने का प्रयास किया गया है. यहां पर मौजूदा पैनल पिछले 10 साल से काबिज है जिसे इस बार संजय बसाक, संतोष ठाकुर, सुधी रंजन सेन, पल्लवी घोष, मानस प्रतिम गोहेन पैनल से कड़ी टक्कर मिल रही है.
यह कहा जा रहा है कि आमने सामने की इस लड़ाई में मौजूदा पैनल कमजोरी में है. प्रेस क्लब के चुनाव में यह आरोप भी लगते रहे हैं कि कुछ लोग पीछे से क्लब की राजनीति को नियंत्रित करते हैं. पल्लवी घोष के फर्जी हस्ताक्षर प्रकरण के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि कोई ऐसा समूह जरूर है जो यह नहीं चाहता है कि प्रेस क्लब में नए चेहरे सामने आए. सदस्यों का यह सवाल भी है कि आखिर क्या वजह है कि कुछ लोग यहां पर स्थाई रूप से ही रहना चाहते हैं. क्या फर्जी हस्ताक्षर प्रकरण इससे भी तो जुड़ा हुआ नहीं है. रोचक यह है कि इस मामले में चुनाव में उतरे दोनों ही पैनल ने जांच की मांग की है.
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