Shishir Soni-
साथी इधर के हों या उधर के। साथी तो साथी हैं। मगर लंबे समय तक नकाब ओढ़ ओढ़ कर गिरोहबंदी होती रहे, तो साथी अच्छी बात नहीं।
आखिर क्या वजह है कि तुम चंडीगढ़ जाओ या चेन्नई, पूँछ तुम्हारी प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में ही दबी रहती है?
हर चुनाव में कभी इसको, कभी उसको मोहरों की तरह इस्तेमाल करते रहे। हम वोट देते रहे। सोचा, चलो सभी साथी हैं, मगर अब लग रहा है लगातार चुनाव में खड़ा होना और क्लब में काबिज होना ही तुम्हारा अंतिम लक्ष्य है।
जाहिर है, ये मानव स्वभावगत कुछ निजी स्वार्थ भी हावी हो रहे हैं।
इसलिए हे परदानसीनो, इस बार पर्दा गिरा रहे हैं। नये साथियों को मौका दे रहे हैं। ये पैनल किसी साथी विशेष का पैनल नहीं। हम सभी का पैनल है। क्लब बेहतर चलेगा, इसकी गारंटी हमारी।
बस, दस को वोट डालने जरूर पधारें। प्रचंड वोटों से बसाक-ठाकुर-घोष पैनल को विजयी बनाएं।
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