ये प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में अब तक का सबसे अजीब मामला होगा जब प्रबंधन अपने ही एक वरिष्ठ पत्रकार सदस्य से इसलिए छह लाख रुपये हर्जाना मांग रहा है क्योंकि यह पत्रकार सदस्य लगातार प्रेस क्लब प्रबंधन की अनियमितताओं की पोल खोलता है, इसके खिलाफ आवाज उठाता है और गड़बड़ियों को रोकने के वास्ते इसे कोर्ट में चैलेंज करता है. अब प्रेस क्लब प्रबंधन कोर्ट में मुकदमेबाजी पर होने वाले खर्च का हवाला देकर अपने वरिष्ठ पत्रकार को छह लाख रुपये मुआवजा देने का लीगल नोटिस थमा दिया है.
जिसे लोकतंत्र की तनिक भी समझ है, वह इस प्रकरण से अंदाजा लगा सकता है कि प्रेस क्लब आफ इंडिया के भीतर लोकतंत्र की क्या स्थिति है. एक तो वैसे ही कोई डर के मारे नहीं बोलता कि मेंबरशिप चली जाएगी, दूसरे जो वरिष्ठ पत्रकार गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उनसे ही कोर्ट का खर्चा मांगने जैसी गुंडई कर के उन्हें चुप कराने की साजिश रच दी गई है.
इससे अब हर किसी को समझ में आ सकता है कि प्रेस क्लब आफ इंडिया में तानाशाही चरम पर है और यह क्लब प्रबंधन अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को नेस्तनाबूत कर देने पर पूरा जोर लगा रहा है. यही कारण है कि प्रेस क्लब आफ इंडिया का प्रबंधन जब जिसे चाहे नोटिस भेज देता है, टर्मिनेट कर देता है या फिर टर्मिनेशन की धमकी देता है.
ताजा मामला द हिंदू अखबार के जाने-माने पत्रकार और डेमोक्रेटिक राइट्स के लिए लड़ने वाले निर्निमेश कुमार का है जिन्हें प्रेस क्लब प्रबंधन ने आंख की किरकिरी मानते हुए लीगल नोटिस भेज दिया है. इस लीगल नोटिस के जरिए निर्निमेश कुमार से छह लाख रुपये की मांग की गई है, ताकि प्रेस क्लब प्रबंधन निर्निमेश कुमार द्वारा किए गए मुकदमों की फीस अपने वकील को दो सके. क्या ऐसे हास्यास्पद मुकदमें कोर्ट में टिक पाएंगे जिनकी मूल भावना ही अलोकतांत्रिक और अन्यायी है?
निर्निमेश कुमार प्रेस क्लब के उन वरिष्ठ सदस्यों में एक हैं जो पिछले एक दशक से प्रेस क्लब आफ इंडिया में सदस्यता देने में होने वाले घपलों से लेकर अलग-अलग गड़बडि़यों पर अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं और उनकी यही अदा प्रेस क्लब के प्रबंधन को नागवार गुज़रती रही है. अब क्लब के प्रबंधन ने निर्निमेष कुमार को छह लाख के हर्जाने का कानूनी नोटिस थमा दिया है. इस नोटिस में कहा गया है कि निर्निमेश कुमार द्वारा क्लब पर किए गए मुकदमों के एवज में क्लब को अपने वकील को तीन लाख रुपये देने पड़े, उसके बदले में क्लब छह लाख का दावा कर रहा है.
क्या है पूरा मामला, इसे फेसबुक पर सोशल एक्टिविस्ट और प्रेस क्लब आफ इंडिया के पूर्व प्रबंधन समिति सदस्य अभिषेक श्रीवास्तव ने लिखा है. उनके अलावा खुद निर्निमेष कुमार ने प्रेस क्लब आफ इंडिया द्वारा खुद के साथ की जा रही बदसलूकी पर फेसबुक पर अपना दर्द बयान किया है और संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है. पहले अभिषेक की पोस्ट पढ़ें….
पिछले प्रबंधन ने लगातार साल भर तक दो वरिष्ठ पत्रकारों Nirnimesh Kumar और Anil Chamadia के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें नोटिस थमाने की कोशिश की थी। प्रबंधन समिति की बैठकों में पिछले अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने कई बार इन दो वरिष्ठ पत्रकारों का नाम लेकर अपशब्द कहे और कई मौकों पर तो उन्होंने नियम-कानूनों को ताक पर रखकर खुद को ‘’मोदी’’ घोषित किया। इन गर्वोक्तियों को सदस्य हलके में लेते रहे थे और अपने अंतर्विरोधों के कारण कमेटी कुमार और चमडि़या को नोटिस देने में नाकाम रही थी। इस बार जिस तरीके से अल्पावधि के नोटिस पर चुनाव करवाए गए और विपक्ष को खड़े होने का मौका ही नहीं दिया गया, उसने प्रबंधन की तानाशाही का रास्ता पूरी तरह तैयार कर दिया। मौजूदा कमेटी ने पदभार संभालते ही सबसे पहले भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के फाउंडर और एडिटर Yashwant Singh को नोटिस थमाया। उसके बाद क्लब के सदस्यों के लिए क्लब में प्रवेश के लिए रजिस्टर पर दस्तखत करना अनिवार्य कर दिया जो क्लब के इतिहास में पहली बार हुआ। इसके बाद 2 फरवरी को क्लब की साठवीं जयंती चुपचाप मनाई गई और पत्रकारों को कानोकान खबर तक नहीं हुई। इससे भी बुरा यह रहा कि पत्रकारों पर हमले के चौतरफा परिदृश्य में प्रेस क्लब ने अपनी जयंती पर हास्य कवि सम्मेलन करवा दिया। अब प्रेस क्लब ने प्रबंधन से असहमत सदस्यो को चुप कराने के लिए उनके ऊपर मुकदमेबाजी का रास्ता चुना है और दि हिंदू के सीनियर पत्रकार पर छह लाख का दावा ठोंक दिया है।-Abhishek Srivastava :
निर्निमेश कुमार ने हाल में ही एक मुद्दा उठाया था, जिसके बाद प्रेस क्लब प्रबंधन के तेवर गरम हो गए… पढ़िए ये क्या मुद्दा है….
Amrit Anand
February 9, 2019 at 4:54 pm
The suit titled as Press Xlub Vs. Nirnimesh Jee is completely in wrong format and must be dismissed on technical issues. There are plenty of technical faults in drafting even the format of drafting is also wrong. Anyway, Yashwant Jee, I shall always be with you because only a few numbers of reporters are doing their job honestly and you’re one of them.