कृष्ण कांत-
पीएम केयर्स फंड में देश की सरकारी कंपनियों ने कुल 2,913.60 करोड़ रुपए दान किए! एक अख़बार की रिपोर्ट कहती है, ऐसी 57 कंपनियों की पहचान की गई है जिनमें सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है। उनका योगदान PM CARES में दान देने वाली करीब 247 अन्य कंपनियों के मुकाबले अधिक है। दान की कुल रकम 4,910.50 करोड़ रुपए (सरकारी एवं निजी कंपनियों) में सरकारी कंपनियों का योगदान 59.3 फीसदी रहा।
यह रिपोर्ट नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों पर नजर रखने वाली फर्म प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर है।
इन 57 कंपनियों में से शीर्ष 5 कंपनियों में ONGC (370 करोड़ रुपए), NTPC (330 करोड़ रुपए), पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (275 करोड़ रुपए), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (265 करोड़ रुपए) और पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (222.4 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
कोरोना महामारी के दौरान स्थापित इस PM CARES फंड के चेयरमैन खुद प्रधानमंत्री हैं और केंद्र सरकार दिल्ली हाईकोर्ट में कह चुकी है कि यह भारत सरकार द्वारा नियंत्रित फंड नहीं है। PM CARES फंड की वेबसाइट के अनुसार साल 2019-20 में इसे कुल 3,076.60 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। 2020-21 में यह रकम बढ़कर 10,990.20 करोड़ रुपए हो गई।
अब सवाल है कि हजारों करोड़ का यह फंड कहां गया? अगर प्रधानमंत्री खुद इसके चेयरमैन हैं तो इसका ऑडिट क्यों नहीं होने दिया गया? अगर यह भारत सरकार द्वारा नियंत्रित फंड नहीं है तो प्रधानमंत्री इसके चेयरमैन क्यों बने बैठे हैं? प्रधानमंत्री पद पर बैठकर कोई व्यक्ति निजी फंड कैसे बना सकता है? इस फंड के बारे में आरटीआई के जरिये किसी तरह की जानकारी क्यों नहीं दी जाती?
क्या ये सवाल गंभीर नहीं हैं और इसकी जांच नहीं होनी चाहिए?