अमित चतुर्वेदी-
वैसे तो आजकल इंटरनेट चलाने वाले लोग क्या नहीं जानते…लेकिन फिर भी कुछ लोग रह जाते हैं थोड़े मासूम…तो ऐसे मासूम लोगों को बताना चाहूँगा, ये जो आदमी वहाँ बैठा हुआ है जिसके सामने हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री हाथ बांधे खड़े हैं, उसका नाम है राकेश झुनझुनवाला….
झुनझुनवाला जी का परिचय ये है कि वो शेयर मार्केट में पिछले 35 साल से पैसा लगा रहे हैं और ख़ूब पैसा कमा रहे हैं, उनके ख़रीदे कई शेयर्स हज़ार हज़ार गुना तक बढ़ गए, जिसके चलते आज उनकी नेट वर्थ लगभग 40000 करोड़ रुपए की बताई जाती है…तो कुल जमा झुनझुनवाला जी की उपलब्धि इतनी ही है कि इन्होंने हज़ारों करोड़ रुपए कमाए बिना कोई व्यापार किए..
मतलब आदमी जब हज़ारों करोड़ कमाने लायक़ कोई बिज़नेस करता है तो इस दौरान वो हज़ारों लोगों को रोज़गार भी देता है यानि हज़ारों परिवारों का घर चलाता है, इन्होंने वो भी नहीं किया…
उल्टे, इनके कारण बहुत सारे लोग नुक़सान ज़रूर आ जाते हैं क्यूँकि शेयर मार्केट में लोग इनके हर मूव पर नज़र रखते हैं, जो शेयर ये ख़रीदते हैं लोग उसके पीछे भागते हैं, और ये कब उसे बेचकर निकल जाते हैं लोगों को पता ही नहीं चलता और फिर छोटे निवेशक फँस जाते हैं…
तो ऐसे झुनझुनवाला जिनकी पहचान या जिनकी उपलब्धि केवल पैसा कमाने के लिए है, भारत देश के प्रधानमंत्री उनके सामने हाथ बांधे खड़े हैं..
अच्छे दिन आ रहे हैं, लेकिन आदमी देख देखकर…
नवनीत चतुर्वेदी-
उपरोक्त फोटो के हिसाब से एक उचित कैप्शन दे रहा हूं-
मुलाकात हुई क्या बात हुई!
भाइयों बहनों, गुजरात में एक कंपनी है, गुजराती बनियों की, बहुत पुरानी 1984 के जमाने की, प्लास्टिक बैग बनाती है।
Gopalapolyplast_ltd इस कंपनी के शेयर्स ढाई रुपये से अब आठसौ उनतीस रुपए तक आ चुके है सिर्फ 2-3 महीने के अंदर, कई हजार गुना लंबी छलांग लगाई है इस गुजरात की कंपनी ने शेयर्स बाजार में,, पता नही प्लास्टिक बैग बनाने वाली इस गुजराती कंपनी ने कौनसा झुनझुना बजाया कि रातों रात शेयर्स के दाम ढाई रुपये से आठ सौ रुपये से ऊपर जा पहुंचे।
एक और कंपनी है मुम्बई से Falcon freight services जो अब फाल्कन ग्लोबल के नाम से जानी जाती है, मुम्बई की है यहां भी कुछ इसी तरह का जादुई झुनझुना बजा है शेयर्स के दाम रातों रात कई हजार गुना बढ़े हैं,जब से दो गुजराती यहां डायरेक्टर बने।
शेयर्स ट्रेडिंग के जानकार साथी इन दोनों कंपनीज के शेयर्स में हुई इस अभूतपूर्व उछाल को गूगल सर्च कर ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं।
मुझे लगता है कि धंधे में लॉस हुआ होगा ,गुजराती बनियों ने साहब की निजी गुल्लक पीएम केयर्स फण्ड में डोनेशन कम दिया होगा।
इशारों ही इशारों में साहब यही सब पूछ रहे होंगे …झुनझुनवाला सेठ से
नोट:— बंदर भले बूढ़ा हो जाये गुलाटी मारना नहीं भूलता, इसी तरह बेशक अब राजनीतिक पारी स्टार्ट हो चली है लेकिन अपना मूल पेशा इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का है वो अब भी बरकरार है।
नवनीत चतुर्वेदी
प्रदेश अध्यक्ष
जनता पार्टी — उत्तरप्रदेश
अनिल जैन-
यह किसका इजलास या दरबार है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री हाथ बांधे खड़े हैं? उनके सामने बैठा व्यक्ति न तो भारत का राष्ट्रपति है, न ही सुप्रीम कोर्ट का प्रधान न्यायाधीश, न ही पार्टी के मार्गदर्शक मंडल का कोई सदस्य, न ही संघ सुप्रीमो और न ही कोई बीमार बुजुर्ग।
तो फिर आखिर कौन है यह गैरमामूली और गुस्ताख शख्स, जिसने अपने सामने भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री को इस तरह खड़ा कर रखा है? यह अभूतपूर्व दृश्य है जो भारत के लोकतंत्र पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
नोट: यह हंसने की नहीं, बल्कि चिंता की बात है।
अभिषेक पाराशर-
राकेश झुनझुनवाला को देखकर लग रहा है कि उन्होंने काफी वजन कम किया है. मुमकिन है कि किसी कारण से उन्हें ज्यादा समय तक खड़े होने में परेशानी हो रही हो! अगर ऐसा है तो इस मौके की तस्वीर नहीं ली जानी चाहिए थी.
प्रधानमंत्री से मुलाकात एक प्रोटोकॉल के तहत होती है और यह तस्वीर प्रधानमंत्री से होने वाली मुलाकात के प्रोटोकॉल के तहत बिलकुल भी नहीं है.
जब बात देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की हो तो प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए, यह पत्थर पर खींची हुई लकीर है. रही बात तस्वीर की तो ऐसी तस्वीर जारी नहीं होनी चाहिए. यह स्वीकार्य नहीं है!