Nutan Thakur : पुलिस इन्स्पेक्टर गोमतीनगर, लखनऊ ने मेरे पति आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को एक नोटिस भेज कर उन्हें इलाकों में हो रही चोरियों के लिए जिम्मेदार बताया है. भेजी नोटिस में इन्स्पेक्टर ने कहा कि 26 जुलाई को उनके मकान को चेक किया गया तो पाया गया कि श्री ठाकुर “मकान को ताला बंद करके असुरक्षित छोड़ कर चले जाते हैं जिससे आये दिन अपराधियों द्वारा किसी भी समय मकान का ताला तोड़ कर चोरियां की जा रही हैं.”
अतः उन्होंने अमिताभ को सचेत किया कि बढती हुई अपराधिक घटनाओं को देखते हुए वे अपने मकान की पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें और पुलिस का सहयोग करें. सहयोग के रूप में सीसीटीवी कैमरा और मोहल्ले में प्राइवेट सेक्युरिटी गार्ड सुरक्षा के आदेश शामिल हैं. इन्स्पेक्टर ने चेताया कि यदि वे पुलिस के कार्य में सहयोग नहीं करेंगे और उनके मकान में चोरी होगी तो इसकी जिम्मेदारी स्वयं अमिताभ की होगी.
अमिताभ ने इसे स्थानीय पुलिस द्वारा अपने कर्तव्यों से विमुख हो कर अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने का प्रयास बताते हुए एसएसपी लखनऊ को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की नोटिस के माध्यम से स्वयं अपराधियों से सांठ-गांठ कर अपराध करवाने की भी सम्भावना बन सकती है, अतः इस प्रकार की गैर-ज़िम्मेदारान नोटिस पर तत्काल रोक लगाई जाये.
अजीब स्थिति है !
सेवा में,
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
लखनऊ।
विषय- इन्स्पेक्टर, गोमतीनगर द्वारा प्रेषित एक नोटिस के सम्बन्ध में
महोदय,
कृपया निवेदन है कि मुझे गोमतीनगर, लखनऊ थाने ने मुझे दिनांक 27/07/2014 की रात्रि लगभग 11.30 बजे इन्स्पेक्टर, गोमतीनगर द्वारा हस्ताक्षरित एक नोटिस (छाया प्रति संलग्न), मेरे आवास पर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि दिनांक 26/07/14 को मेरा आवास उनके द्वारा चेक किया गया तो उन्होंने पाया कि मैं आवास पर ताला बन्द करके कहीं गया हूँ। प्रभारी निरीक्षक ने इस पर मुझे कई प्रकार की चेतावनी दी और कई आदेश भी निर्गत किये. प्रभारी निरीक्षक द्वारा यह कहा गया कि यदि मैं यह सब काम नहीं करता हूं तो हमारे घर चोरी होगी तो उसकी जिम्मेदारी मेरी होगी।
कृपया निवेदन है कि किसी भी पुलिस अधिकारी का प्रधान दायित्व अपराध नियंत्रण है और इसके लिए उनके द्वारा उठाये गए प्रत्येक उचित कदम सराहनीय माने जाने चाहिए. यह भी सही है कि जनता द्वारा पुलिस को अपराध नियंत्रण में प्रत्येक संभावित मदद किया जाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य भी है. पर जिस प्रकार से प्रभारी निरीक्षक से उक्त नोटिस में कई सारी बातें लिखीं हैं वे नागरिकों से सहयोग प्राप्त करने की जगह नागरिकों को धमकाती हुई नोटिस अधिक जान पड़ती है जिसमे अपने कर्तव्यों से बचने के लिए जबरिया नागरिकों को प्रत्येक आपराधिक घटना के लिए जिम्मेदार बताये जाने की स्पष्ट पेशबंदी दिख जाती है. न सिर्फ नोटिस की भाषा धमकी भरी है बल्कि इसके सहयोग प्राप्ति के भाव की जगह स्वयं को बचाने और स्थानीय पुलिस की कमियों और खामियों के लिए आम आदमी को आरोपित करने के भाव अत्यंत साफ़ दृष्टिगोचर होते हैं. अतः मुझे उक्त नोटिस में निम्न गंभीर आपत्तियां हैं:-
1. यह स्पष्ट नहीं है कि प्रभारी निरीक्षक महोदय ने उक्त नोटिस कानून के अधीन किन शक्तियों के तहत निर्गत किया. नोटिस में यह कदापि स्पष्ट नहीं है कि प्रभारी निरीक्षक द्वारा उक्त आदेश विधिक या किन प्राविधानों के अंतर्गत निर्गत किया है।
2. प्रभारी निरीक्षक महोदय की भाषा स्पष्टतया अनुचित प्रतीत होती है क्योंकि उन्होंने जिस प्रकार कहा कि आप कमरे का ताला बन्द कर बाहर गये थे वह सही नहीं है क्योंकि जाहिर है कि कोई भी व्यक्ति बिना ताला बंद किये घर से बाहर नहीं जाता है। अतः यदि हम लोग कहीं बाहर गये थे तो हमारे मकान का ताला बंद था तो इसमें किसी की भी गलती नहीं पायी गई और प्रभारी निरीक्षक द्वारा इसे मेरी गलती बताया जाना और मकान का ताला बन्द करके जाने और आये दिन होने वाले आपराधों के लिये जिम्मेदार बताया जाना किसी प्रकार से औचित्यपूर्ण नहीं प्रतीत होता है।
3. इसी प्रकार मोहल्ला सुरक्षा समिति का गठन अपने स्तर पर करके बीट प्रभारी, विरामखण्ड को 3 दिन में सूचित उपलब्ध कराने का आदेश भी औचत्यिपूर्ण नहीं दिखता क्योंकि मेरी जानकारी में इस प्रकार की मोहल्ला सुरक्षा समिति के गठन का कार्य पुलिस द्वारा सामुदायिक पुलिसिंग के तहत जनता के सहयोग से किये जाने की व्यवस्था मानी गयी है। यह भी देखने योग्य बात है कि जब मैंने कभी अपने बीट प्रभारी को देखा ही नहीं है तो मैं किसे यह जानकारी दूँ.
4. प्रत्येक घर में सी0सी0टी0वी0 कैमरा लगाये जाने तथा प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था करने का आदेश भी विधि विरूद्ध प्रतीत होता है। इसका कारण यह है कि सी0सी0टी0वी0 कैमरा व प्राईवेट सिक्योरिटी गार्ड रखना एक बहुत खर्चीला उपक्रम है और यह प्रत्येक व्यक्ति अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से कर सकता है या नहीं भी करता है। इसके लिये किसी प्रकार की बाध्यता नहीं की जा सकती है।
अन्तिम बात कि जिस प्रकार से प्रभारी निरीक्षक ने यह सारा कार्य मेरे द्वारा नहीं किये जाने पर मेरे यहां होने वाली किसी भी संभावित चोरी के लिये मुझे उत्तरदायी ठहराये जाने का जो आदेश पारित किया गया है वह किसी प्रकार से उचित नहीं और वह उनके द्वारा अपने कर्तव्यों से विमुख होने और अपनी क्षमता को छिपाने का प्रयास जान पड़ता है। यदि इस नोटिस को ठीक से पढ़ा जाए तो इससे एक संकेत यह भी जाता है कि इस प्रकार का नोटिस निर्गत कर कोई प्रभारी निरीक्षक स्वयं भी अपराधियों से सांठ-गांठ कर नागरिकों के आवास पर आपराधिक घटनायें करवाने और घटना घटने के बाद नागरिको को ही इसके लिये दोषी ठहराने के लिये इस नोटिस का प्रयोग कर सकते हैं।
निष्कर्षतः प्रभारी निरीक्षक का पत्र किसी भी प्रकार से नागरिकों से सहयोग लेने के भाव से लिखा गया नहीं दीखता है बल्कि इससे यह साफ़ झलकता है कि इसमें अपनी जिम्मेदारी से विमुख होने, अपनी अक्षमता छिपाने और अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपने का भाव है जो किसी भी प्रकार से वाजिब और सही नहीं है. यह भी साफ़ है कि इस प्रकार के नोटिस से अपराधियों का भी मनोबल बढ़ने की सीधी सम्भावना है क्योंकि इससे उन्हें एक स्पष्ट सन्देश जाएगा कि पुलिस अपने कार्यों में विफल हो चुकी हैं, और अब नागरिकों को अपनी मदद के लिए स्वयं ही उपाय ढूँढने होंगे.
अतः आपसे निवेदन है कि कृपया इन समस्त तथ्यों के दृष्टिगत तत्काल ही इस नोटिस के संबंध में प्रभारी निरीक्षक से स्थिति स्पष्ट किये जाने की कृपा करें और यदि मेरी बातों कुछ तथ्य दिखाई देता है तो ऐसी किसी नोटिस को किसी स्तर पर निर्गत किये जाने की प्रक्रिया को बन्द कराये जाने की कृपा करें।
पत्र संख्या- AT/PS/Theft
दिनांक- 28/07/2014
भवदीय
अमिताभ ठाकुर
आई0पी0एस0
5/426, विरामखण्ड,
गोमतीनगर, लखनऊ
094155-34526
प्रतिलिपि निम्न को कृपया सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु :-
1. पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ।
2. पुलिस महानिरीक्षक, लखनऊ जोन, लखनऊ।
नूतन ठाकुर के फेसबुक वॉल से.
Comments on “इन्स्पेक्टर ने आईपीएस को हड़काया, चोरियों का जिम्मेदार बताया”
Kamaal hai sirji, Ek imaandar IG ko ek bhrashta Inspector adeshatmak patra likh raha hai. Yeh Ulta Pradesh mai hi sambhav hai. Is Inspector ko naukari se jana chahiye