नवभारत कर्मचारियों ने महाराष्ट्र मीडिया इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर सानपाड़ा पूर्व स्थित कार्यालय के सामने गेट मीटिंग की. मीटिंग में यूनियन से जुड़े करीब 70 कर्मचारियों के अलावा मिड-डे और डीएनए के कर्मचारी भी शामिल हुए. मीटिंग में नवभारत इकाई के अध्यक्ष केशव सिंह बिष्ट और सचिव अरुण गुप्ता ने अपनी बात रखी. मीटिंग के दौरान मजीठिया मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया. इस दौरान सभी कर्मचारियों ने नवभारत प्रबंधन को देने के लिए एक रिमाइंडर लेटर पर भी सिग्नेचर किया.
वक्ताओं ने कर्मचारियों की एकता पर बल दिया गया और कहा कि हम सफलता तभी पाएंगे जब एक रहेंगे. नवभारत इकाई के अध्यक्ष बिष्ट जी ने कहा कि हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि पिछले 20 वर्षों में नवभारत प्रबंधन ने कर्मचारियों का हर स्तर पर शोषण किया है. चाहे वेतन की बात हो या काम के घंटे की या फिर समय से वेतन मिलने की. प्रबंधन ने हमेशा कर्मचारियों को तरसाकर धमकी देते हुए प्रताड़ित किया है. यह सिलसिला पिछले 20 वर्षों से चला आ रहा है. लेकिन अब कर्मचारी जागरूक हुए हैं. वहीं सचिव अरुण गुप्ता ने अध्यक्ष बिष्ट जी की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. अब सिर्फ पाना है. लेकिन पाने के लिए एकजुट रहना जरूरी है.
मीटिंग के दौरान मजीठिया के अलावा PF का मुद्दा उठा क्योंकि 1997 से 2005 तक प्रबंधन ने कुछ कर्मचारियों का एक भी पैसा PF नहीं काटा और न ही अपनी ओर से जमा किया है. इसके अलावा जब पीएफ काटना शुरू किया तो फैक्ट्री की तरह सीलिंग लगाकर काटा जा रहा है. इस संबंध में पीएफ कमिश्नर से की गई शिकायत और उस पर चल रहे काम की जानकारी दी गई.
मीटिंग के दौरान मशीनों का भी मुद्दा उठा क्योंकि प्रिंटिंग मशीन का मेंटेनेंस नहीं होने के कारण अखबार की छपाई अच्छी नहीं होती जिसका दोषारोपण प्रिंटर पर किया जाता है. दो दिन पहले प्रिंटर सागर चौहान को इसलिए नोटिस दिया गया. सागर ने प्रोडक्शन मैनेजर बंशीलाल राहत द्वारा प्रिंटिंग का मुद्दा उठाने पर मशीनों का मेंटेनेंस नहीं किए जाने की बात कही. अंत में सभी कर्मचारियों ने विजयादशमी के अवसर पर नवभारत प्रबंधन रूपी रावण का दहन करने का संकल्प लिया क्योंकि यही रावण कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं और समय पर वेतन तक नहीं दे रहे हैं. मजीठिया की मांग करने और मशीनों की समस्या बताने पर कर्मचारियों को नोटिस पकड़ा रहे हैं.
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
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