Durgesh kumar-
Ethnography को हिंदी में एथनोग्राफी कहेंगे, न कि इथनोग्राफी। एथनोग्राफी सर्वे किसी भी समूह के विशेष संस्कृति, परंपराओं, लोक व्यवहार इत्यादि का सामाजिक वैज्ञानिक अध्ययन होता है। इस प्रकार के सर्वे में विभिन्न प्रकार के प्रश्नावली, साक्षात्कार, अवलोकन के आधार पर आंकड़े नोट किए जाते हैं। इस तरह के अध्ययन में जनसंख्या के आंकड़े के लिए गणना नहीं किया जाता है बल्कि उपलब्ध आंकड़ा या पूर्व से किसी सर्वे के आधार पर उसे दर्ज किया जाता है। तदोपरांत उन आंकड़ों को वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषित किया जाता है।
जाहिर है कि एथनोग्राफी सर्वे करने वाली टीम ने ऐसा ही किया होगा। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है कि जनसंख्या के आंकड़े हेर फेर हो गए हो गए होंगे। किंतु कोई प्रतिष्ठित अखबार एथनोग्राफी सर्वे या किसी निजी एजेंसी के अन्य प्रकार के सर्वे के आधार पर राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा किए गए सर्वे की तुलना करें तो यह अजीब है। जाति आधारित सर्वे 2023 के तुलनात्मक अध्ययन के लिए वर्तमान में सिर्फ 1931 का आंकड़ा ही उपलब्ध है। अखबार यदि अन्य किसी डाटाबेस से तुलना कर रहा है कि यह असंगत है।
यह भी संभव है कि अखबार पर किसी प्रकार का दबाव रहा हो। ज्ञात हो कि प्रभात खबर संपादक आशुतोष चतुर्वेदी के अधीन चल रहा है। प्रभात खबर दैनिक जागरण की भाषा में लिख रहा है। प्रभात खबर से ऐसी उम्मीद तो नहीं ही थी। बिहार सरकार को भी यह देखना चाहिए कि यह अफवाह फैलाने के पीछे अखबार का मकसद क्या है।
अनुराग यादव
October 15, 2023 at 11:15 pm
Great Job……
Ramchandra Prasad
October 16, 2023 at 12:34 pm
क्योंकि ब्राह्मण जाति जनगणना नहीं चाहते ।