सुशील मोहपात्रा-
कल डॉक्टर प्रणय रॉय और राधिका रॉय जी से मुलाकात हुई। बातचीत हुई , राधिका रॉय जी थोड़ा भावुक भी हुई। मैंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एनडीटीवी में कभी काम करूंगा। जब बचपन में गांव में था तो डॉक्टर रॉय जी के The world of this week प्रोग्राम देखता था। घर में टीवी नहीं थी तो पडोश में जाकर देखता था। शायद गांव में मैं अकेला ही था जो इस प्रोग्राम को देखने के लिए इंतज़ार करता था।
ओडिशा से दिल्ली आना ही मेरे लिए बडी बात थी और दिल्ली आकर एनडीटीवी में काम करना भी बड़ी बात है। पहले दिन जब एनडीटीवी पहुंचा तो world of this week का पोट्रेट देखा थोड़ा भावुक हो गया था। आज भी सीढ़ी के पास यह पोट्रेट टांगा हुआ है। सीढ़ी चढ़ते वक्त और उतरते वक्त एक नज़र उस पोट्रेट पर जाता है है।
मैं राधिका जी से कहा कि आप और डॉक्टर रॉय मिलकर एक शानदार चैनल बनाया एक ऐसा वर्क कल्चर बनाया जो दूसरे जगह देखने को नहीं मिलती है। यही वजह थी कि यहां के कई कर्मचारी चैनल नहीं छोड़े। मुसीबत में भी नहीं। राधिका जी ने कहा कि चैनल यहां तक कर्मचारियों के वजह से पहुंच पाया है। आप जैसे लोगों की मेहनत की वजह से पहुंच पाया है।
मैंने कहा मेहनत तो यहां की कर्मचारियों ने किए ही हैं लेकिन मेहनत करने के लिए जो एक अच्छा वर्क कल्चर की जरूरत थी वो डॉक्टर रॉय और आप ने दिया है। फ्री होकर कैसे काम किया जाता है सिखाया। यहां कोई इंटरशिप करने आता है तो दो महीने के बाद पता चलता है कि वो एंकर बना गया है, रिपोर्टर बन गया है। यहां हमेशा टैलेंट देखा जाता है। अगर आप के पास टैलेंट है तो आप का हक़ मिलता है। आप कोई रोकता नहीं है। आप के पास आज़ादी है और आज़ाद होकर आप काम करते हैं। मैं खुद गेस्ट डेस्क में काम करना शुरू किया था लेकिन समय के साथ साथ रिपोर्टिंग किया, यूट्यूब के लिए एंकरिंग किया, किसी ने नहीं रोका।