प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति में कथित धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

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Soumitra Roy-

इश्क और जंग में सब-कुछ जायज है। देश में बस इन दोनों के बीच सही और गलत की जंग चल रही है।

मोदी सरकार को जिस किसी से इश्क हुआ, उसे नियमों से परे जाकर तोहफे मिले। और जंग की न पूछें, क्योंकि दुश्मनी में सरकार गुंडागर्दी की हर हद छूने को बेताब है।

ताजा मामला प्रवर्तन निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए कागजातों में हेराफेरी का है।

अब इसे क्रिमिनोलॉजी कहें या कमीनोलॉजी, लेकिन समझना जरूरी है।

संजय मिश्रा को नवंबर 2018 को प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक बनाया गया था।

सीवीसी एक्ट 2003 के सेक्शन 25 के तहत मिश्रा का कार्यकाल केवल दो साल का हो सकता है। यानी नवंबर 18 2020 तक का।

लेकिन मोदी सरकार ने नवंबर 13, 2019 को एक ऑफिस ऑर्डर निकाल दिया, जिसमें नियुक्ति आदेश में लिखे ‘दो साल’ को बदलकर ‘3 साल’ कर दिया गया। यानी एक साल की सेवावृद्धि। यह सेक्शन 25 के खिलाफ है।

सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने आज जब कॉमन कॉज की याचिका में कोर्ट का ध्यान इस धांधली की तरफ दिलाया तो कोर्ट ने भी इसे दिलचस्प मामला मानकर सरकार को नोटिस जारी कर दिया।

प्रवर्तन निदेशालय अमूमन अपने चुनिंदा छापों के लिए चर्चा में रहता है। अमूमन ऐसे छापों के बारे में चर्चा रहती है कि सरकार जहां उंगली रखे, वहां छापे पड़ जाते हैं।

तो मिश्रा जी इस कदर स्वामीभक्ति दिखा रहे थे कि मोदी जी निहाल हो गए और सेवाकाल अवैध तरीके से बढ़ा दिया।

कोई 18-18 घंटे यूं ही थोड़े ही काम करता है?

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