दुनिया की तस्वीर दिखाने का दावा करने वाली मीडिया कंपनियों की खुद की तस्वीर बदरंग होती जा रही है। कोरोना के बहाने मंदी का रोना रो रहे नामी गिरामी मीडिया घरानों ने ही सबसे पहले कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री ने देश को किये गये संबोधन में कहा कि अपने बिजनेस में साथ काम करने वालों के प्रति संवेदना रखें। उन्हें नौकरी से न निकालें। मगर दुखद ये है कि सबसे पहले मीडिया ने ही बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकालने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
डीजिटल न्यूज वेबसाइट द क्वींट ने अपने 45 कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेज दिया है। इन लोगों में एक रिपोर्टर ऐसा भी है जिसे हाल ही में पत्रकारिता के लिए एक प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिल चुका है। इनके अलावा कॉपी एडिटर्स, ब्यूरो चीफ, प्रोडक्शन स्टाफ और पूरी तकनीकी टीम को नौकरी से निकाल दिया गया है। रविवार की शाम इन सभी के विभागों के प्रमुख द्वारा इस फैसले से अवगत कराया गया।
क्वींट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारी दो सौ लोगों की टीम थी जिसमें से तकरीबन 45 लोगों को बिना वेतन छुट्टी पर जाने का फरमान सुना दिया गया है। प्रभावित कर्मचारियों को अप्रैल की आधी तनख्वाह दी जायेगी। बिना वेतन छुट्टी 15 अप्रैल से मान्य होगी।
द क्वींट के एचआर डिपार्टमेंट के हवाले से प्रभावित कर्मचारियों को एक ईमेल भेज कर बताया गया – द क्वींट ने भारत में चल रही आर्थिक मंदी का पिछले दो सालों से मजबूती से सामना किया। मगर अब हालात नियंत्रण से बाहर हो गये हैं। आर्थिक मंदी और महामारी को दोहरी मार बताते हुए इस मेल में यह भी कहा गया कि अगले तीन चार महीने तक संकट का सामना करना पड़ेगा। प्रभावित कर्मचारियों को बताया गया कि वे महीने की सैलरी और इम्प्लायी प्रोविडेंट फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। उनका बीमा भी जारी रहेगा और वे चाहें तो प्रतिद्वंदियों के साथ फ्रीलांस के तौर पर काम भी कर सकते हैं।
कर्मचारियों को अपना पक्ष समझाते हुए ईमेल में कहा गया है कि अजीबोगरीब हालात पैदा हो गये हैं। ऐसे में हम सिर्फ उम्मीद नहीं कर सकते या इसके खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकते। हमें कुछ कदम उठाने ही होंगे। हमें इस हालात का सामना करना ही होगा।
क्वींट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है। विज्ञापनों में कटौती की वजह से मीडिया क्षेत्र तंगी का सामना कर रहा है।
द क्वींट संभवत पहला डिजीटल न्यूज वेबसाइट होगा जिसने आर्थिक मंदी के सामने घुटने टेकते हुए अपने कर्मचारियों को दरवाजा दिखा दिया। इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की घोषणा की है।
क्वींट के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 15 अप्रैल से बिना वेतन के छुट्टी पर जा रहे लोगों को अप्रैल की पूरी सैलरी मिलेगी जिसमें मेडिकल कवरेज और एक महीने का अग्रिम वेतन भी शामिल होगा ताकि वे किसी भी आकस्मिक स्थिति का सामना कर सकें।
हम आपकी परेशानी को समझते हैं और इसीलिए आपकी जरूरतों का ख्याल रखते हुए 30 अप्रैल तक बिना वेतन छुट्टी पर जा रहे 65,000 और उससे नीचे कमाने वालों को अतिरिक्त 15 दिनों का भुगतान कर रहे हैं।
एचआर डिपार्टमेंट से एक और ईमेल ‘असाधारण स्थिति’ शीर्षक से उन कर्मचारियों को भेजा गया जिन्हें छुट्टी से नहीं निकाला गया था । इस मेल के जरिये बताया गया कि उन्हें ‘वेतन कटौती ’ का सामना करना पड़ सकता है। इस मेल में बताया गया है कि 50,000 या उससे कम कमाने वाले पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।
2015 की शुरुआत में राघव बहल और रितु कपूर द्वारा क्विंट को लॉंच किया गया था। उन्होंने 2014 के मध्य में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी इंडिपेंडेंट मीडिया ट्रस्ट द्वारा अधिग्रहण के बाद नेटवर्क 18 ग्रुप छोड़ दिया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बर्खास्त किया
टाइम्स ऑफ इंडिया के रविवारीय परिशिष्ट टाइम्स लाइफ ने भी अपने तीन कर्मचारियों को छुट्टी पर जाने के लिए कहा है। द लाइफ के छह संपादकीय टीम और दो डिजाइनरों में से तीन को नौकरी से निकाल दिया गया है। इनमें दो एडिटर और एक डिजायनर शामिल है। एक कर्मचारी जिसे नौकरी से निकाल दिया गया था, उसने बताया कि पिछले छह या सात महीनों से हम मंदी का सामना कर रहे थे, मगर कोविड19 संकट ने ताबूत में आखिरी कील जड़ने का काम किया है।
इस कर्मचारी ने दावा किया कि लाइफ का सर्कुलेशन लगभग लाख के करीब था। “ हमें बताया गया था कि एक पेज वाले लाइफ का प्रोडक्शन अब दिल्ली टाइम्स द्वारा किया जायेगा इसलिए उन्हें इतने सारे लोगों की जरूरत नहीं है। एचआर डिपार्टमेंट वाले हमें कल बुलायेंगे और एक महीने की एक आधिकारिक नोटिस थमा देंगे। बस, खेल खत्म। ”
टाइम्स ऑफ इंडिया वेबसाइट लाइफ को “ फैशन, प्रौद्योगिकी, भोजन से लेकर यात्रा, सेलिब्रिटी संबंधों ” और “ द टाइम्स ऑफ इंडिया जितना ही प्रिंट ऑर्डर वाला चमकदार परिशिष्ट ” होने का दावा करता रहा है।
एक अन्य बर्खास्त कर्मचारी ने इस कदम को अमानवीय बताया है। उसने कहा- “ मैं इस फैसले को समझने की कोशिश करता अगर पूरे बोर्ड के वेतन में कटौती की गयी होती। अगर तीन महीने बाद भी इससे कुछ राहत नहीं मिलती और आखिर में ऐसा फैसला लिया गया होता। आज मेरे पास नौकरी तलाश करने का विकल्प तक नहीं है और ना ही मैं शुरुआती दौर में हूं। अब मुझे क्या करना चाहिए। ”
Joker
April 14, 2020 at 3:37 pm
Kya ye sari baate shi hai