Pushya Mitra : लीजिये। नये साल के दूसरे दिन ‘रेडियो कोसी’ सुनिये, लिंक ये https://youtu.be/oQyokiwol7c है। परिकल्पना है Basu Mitra की। आवाज Shefali Chaturvedi की। वीडियो संयोजन दोस्त Pashupati Sharma के मित्र परवेज ने किया है। फाइनल शेप Shailendra Kumar ने दिया है, जिनका पता Avinash Gautam से मिला। Arun Chandra Roy तो चीफ प्रोड्यूसर हैं ही। पसंद उन लाखों कोसीवासियों की है जो कोसी तटबंध के बीच बसे 300 गांवों में रहते हैं।
रेडियो कोसी के किरदार रिटायर मास्साब सुरेश मंडल जी के मुताबिक जिनका गुजर रेडियो कोसी सुने बगैर एक दिन नहीं चल सकता। उपरोक्त लिंक पर क्लिक कर वीडियो देखने के बाद बताईयेगा, कैसा लगा। ताकि इतने लोगों ने जो मेहनत की है उन्हें पता चले कि फाइनल रिजल्ट कैसा रहा। रेडियो कोसी छप कर आ गयी है। Arun Chandra Roy जी, जो रेडियो कोसी के प्रकाशक हैं, ने सूचना दी है कि किताब इसी हफ्ते अमेजन पर आ जायेगी। इस बीच उन्होंने किताब मंगवाने का एक और ऑप्शन दिया है, जो इस पोस्ट के नीचे है। अगर ठीक लगे तो इस तरीके से भी किताब मंगवा सकते हैं, वरना अमेजन है ही।
Arun Chandra Roy : कोसी से मेरी एक नानी थी। उनसे सुनता था कोसी की कहानियां। रेत ही रेत। बलुआहा खेत में उगे तरबूज़, कदीमा, परोर लेके आती थी। वहां की गायें और भैसें भी खूब दूध देती थी। हर बरसात में कैसे घर बार छोड़ कर छहर (बाँध) पर मवेशी के संग आ जाती थी। बाढ़ से उनको डर नहीं लगता था। पानी से डर नहीं लगता था। डर लगता था बाँध से। डर लगता था सरकारी अफसरों द्वारा अपनी कमाई के लिए बांध को तोड़ने के लिए।
मेरे बाबा अपने एक मित्र से मिलने जाते थे कोसी पार। कहते थे कि मुरही बाँध के ले जाते थे और कोसी में बड़े बड़े कछुओं को खिलाते हुए कोसी पार कर जाते थे। मुझे मालूम नहीं यह सच था या कहानी। लेकिन कोसी मेरे लिए ‘बिहार का शोक’ नहीं था। कोई नदी किसी राज्य के लिए शोक कैसे हो सकती है।
कोसी की तमाम स्मृतियों के बीच पुष्य मित्र जी का यह उपन्यास पढ़ा। एक सांस में। इस से पहले एक सांस में एक ही उपन्यास पढ़ा था – परती परिकथा। संयोग से रेडियो कोसी की पृष्टभूमि भी वही है।
“रेडियो कोसी” मेरे लिए कोई उपन्यास नहीं था। यह एक उस जीवन का दस्तावेज़ था जो आज भी आधुनिक विकास की परिछाइयों से दूर अपनी अलग सी दुनिया में रमा है जहाँ का जीवन कोसी की धाराओं से निर्देशित होती है।
अब यह उपन्यास आपके सामने है। एक पाठक के तौर पर बस इतना ही कहूंगा कि रेणु की भाषा की गूँज आपको जरूर सुनाई देगी। पुष्यमित्र जी को बहुत बहुत शुभकामना। पेपर बैक में रेडियो कोसी का मूल्य 149 रूपये है। इसे हम पाठको के लिए केवल 100 /- रूपये में दे रहे हैं। डाक खर्च 40 /- अलग से । अमेज़न पर एक-दो दिन में किताब लाइव होगी। लेकिन हमारी सुविधा के लिए बेहतर है आप सीधे हमारे अकाउंट में पैसे जमा कर 9811721147 पर अपना पता भेज दें। बैंक डिटेल है :
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‘रेडियो कोसी’ उपन्यास के लेखक पुष्य मित्र और प्रकाशक अरुण चंद्र राय की एफबी वॉल से.