Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

राजेश बादल ने राज्यसभा टीवी को नमस्ते करते हुए कहा- ”सौ फ़ीसदी निष्पक्षता नाम की कोई चीज़ नहीं होती”

Rajesh Badal : नमस्ते! राज्यसभा टीवी… एक न एक दिन तो जाना ही था। हाँ थोड़ा जल्दी जा रहा हूँ। सोचा था जून जुलाई तक और उस चैनल की सेवा कर लूँ, जिसे जन्म दिया है। लेकिन ज़िंदगी में सब कुछ हमारे चाहने से नहीं होता। कोई न कोई तीसरी शक्ति भी इसे नियंत्रित करती है। आप इसे नियति, क़िस्मत, भाग्य या भगवान-कुछ भी कह सकते हैं। सो यह अवसर फ़रवरी में ही आ गया।

अजीब सा अहसास है। सात साल कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। लगता है कल की ही बात है। कुछ भी तो नहीं था। शून्य से शुरुआत। कितनी चुनौतियाँ, कितने झंझावात। कभी लगता- चैनल प्रारंभ नहीं हो पाएगा। लोग हँसते थे- संसद के चैनल में क्या दिखाओगे? सदन की कार्रवाई? कौन देखेगा? राज्यसभा टीवी में नया क्या होगा? कितनी आज़ादी मिलेगी? वग़ैरह वग़ैरह।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं और मेरे साथी निजी क्षेत्र के चैनलों या अख़बारों से आए थे, इसलिए संसद की कार्रवाई के कवरेज का अनुभव तो था, लेकिन संसद के नियमों के मुताबिक़ अन्दरूनी कामकाज में अनाड़ी ही थे। फिर भी क़ायदे-क़ानून की मर्यादा और सीमित संसाधनों से आग़ाज़ तो कर ही दिया। यह पहले दिन से ही साफ़ था कि हम संसद के चैनल हैं। सदन में जिस तरह सभी दलों को अपनी आवाज़ रखने का अधिकार और अवसर मिलता है, उसी तरह हमने राज्यसभा टीवी को भी सच्चे अर्थों में संसद का चैनल बनाने का प्रयास किया। हर राजनीतिक दल को समुचित प्रतिनिधित्व दिया और बिना किसी पूर्वाग्रह के हर लोकतांत्रिक आवाज़ को मुखरित किया।

अनेक साथी पत्रकारिता में सौ फ़ीसदी निष्पक्षता की बात करते हैं। पर मेरा मानना है कि सौ फ़ीसदी निष्पक्षता नाम की कोई चीज़ नहीं होती। निजी चैनलों में भी नहीं। ऐसा कौन सा चैनल या अख़बार है, जिसका कोई मैनेजमेंट न हो। अगर मैनेजमेंट है तो उसके अपने हित होंगे ही। कोई भी समूह अख़बार या चैनल धर्मखाते में अपनी कमाई डालने के लिए शुरू नहीं करता। राज्यसभा टीवी के मामले मे भी ऐसा ही है। हाँ सबको आप कभी संतुष्ट नहीं कर सकते। जिस दल की सरकार होती है, उसके सदनों मे नेता होते हैं, प्रधानमंत्री होते हैं… उन्हें आपको अतिरिक्त स्थान देना ही होता है। चाहे यूपीए की सरकार रही हो या फिर एनडीए की। यही लोकतंत्र का तक़ाज़ा है। हाँ अगर आप सिर्फ़ बहुमत की बात करें और अल्पमत को स्थान न दें तो यह भी लोकतांत्रिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। हमने भी यही किया और लोगों के दिलों में धड़के। आप सब लोगों ने इस चैनल पर अपनी चाहत की बेशुमार दौलत लुटा दी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब जब मुझे इस चैनल से विदा होने का फ़ैसला भारी मन से लेना पड़ रहा है तो दुख के साथ एक संतोष भी है। इस चैनल को जिस ऊँचाई तक पहुँचा सका वह भारत के टेलिविज़न संसार का एक बेजोड़ नमूना है। हमने अच्छे कार्यक्रम बनाए, अच्छी ख़बरें दिखाईं और सार्थक तथा गुणवत्ता पूर्ण बहसें कीं। न चीख़ पुकार दिखाई और न स्क्रीन पर गलाकाट स्पर्धा में शामिल हुए। चुनावों को हमने हर बार एक नए ढंग से कवरेज किया। कभी मुझे कट्टर कांग्रेसी कहा गया तो कभी अनुदार राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी। मुझे ख़ुशी है कि मैंने अपने को सिर्फ़ एक प्रोफ़ेशनल बने रहने दिया।

अभी भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचा है। आपको मेरी नई पारी के लिए शायद कुछ दिन प्रतीक्षा करनी पड़े। इसलिए अपना प्यार बनाए रखिए। मैं अभी कुछ दिन ख़ामोश रहना चाहता था, मगर मीडिया में लगातार आ रही ख़बरों के कारण आपसे दिल की बात कहना ज़रूरी समझा। आपके दिल और दिमाग़ में जगह मिलती रहेगी तो मुझे ख़ुशी होगी। राज्यसभा टीवी के बारे में कुछ और अच्छी बातें आगे भी करता रहूँगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप सभी के प्रति अत्यंत सम्मान के साथ!

राजेश बादल

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल की एफबी वॉल से.

इसे भी पढ़ सकते हैं…

Advertisement. Scroll to continue reading.

Know How a Senior Editor is being FORCED to Leave RSTV

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement