लोकसभा चुनाव के साइड इफेक्ट दिझने शुरू हो गये हैं। जहाँ एक ओर कर्नाटक से बंगाल होते हुये राजस्थान सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं वहीं राबर्ट वाड्रा को ईडी की नोटिस जारी हो गयी है तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के अधिकारियों सहित निकटवर्तियों से आयकर छापे से सम्बन्धित पूछताछ की तैयारी की खबरें लीक की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश में 1994 में गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण(जीडीए) द्वारा जारी नोटिस को 25 वर्षों बाद जिंदा करके योगी सरकार कमलनाथ परिवार के प्रतिष्ठत मैनेजमेंट संस्थान आईएमटी के जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है।
देश के नामी बिजनेस स्कूल आईएमटी गाजियाबाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को जोर का झटका दिया है। योगी सरकार ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ के शिक्षा संस्थान (आईएमटी) की गाजियाबाद स्थित जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है। इस पर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी) का होस्टल बना हुआ है।
कमल नाथ के बेटे एवं नव निर्वाचित सांसद की करोड़ों की कीमत की 10,841 वर्ग मीटर जमीन गाजियाबाद के राजनगर इलाके में है। इस जमीन पर नकुल नाथ ने इंस्टीट्यूट आफ मैनैजमेंट एंड टेक्नालाजी का हॉस्टल बनाया है। जमीन राज्य सरकार के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से संबंधित है। भाजपा के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने इस मामले की शिकायत राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। राज्यपाल राम नाईक ने पार्षद राजेंद्र त्यागी की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी को कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा था।
राज्यपाल के पत्र के बाद मुख्यमंत्री ने सारे मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट में मामला सही पाए जाने पर इस जमीन का आवंटन रद किया गया है। जमीन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित की गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा मंगलवार को जमीन का आवंटन निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है।
आईएमटी ने इसे यूपीएसआईडीसी द्वारा 1973 में आवंटित जमीन बताया। यह प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट कमलनाथ के पिता महेंद्रनाथ द्वारा 1970 में स्थापित किया गया था। इस प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स में आईएमटी की रैंकिंग देश में दूसरे नंबर की है। गंभीर आरोप लगने के बाद इसे पिछले सप्ताह बंद कर दिया गया था और योगी सरकार पर कमलनाथ के परिवार ने उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
इस जमीन पर बने निर्माण को ध्वस्त किया जा सकता है. ये कार्रवाई भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी की शिकायत पर की गई है।राजेंद्र त्यागी ने राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले की शिकायत की थी। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाए कि कॉलेज के मालिक ने जमीन पर धोखाधड़ी से कब्जा किया है। शिकायत में कहा गया कि जमीन और राजस्व के रिकॉर्ड के अनुसार यह जमीन राज्य सरकार के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से संबंधित है। राजेंद्र त्यागी की शिकायत पर राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा था।. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सारे मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट में मामला सही पाए जाने पर इस जमीन का आवंटन रद्द किया गया है। नकुलनाथ आईएमटी गाजियाबाद को संचालित करते हैं। वह इस इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर हैं।
आईएमटी गाजियाबाद का कहना है कि उसके साथ नाइंसाफी की जा रही है। जमीन के पेमेंट को लेकर एक विवाद है। सम्भवत: उस जमीन का भुगतान आईएमटी गाजियाबाद नहीं कर पाया और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को लीज डीड और भुगतान की रसीद नहीं दिखा पाया, जिसके बाद ये गलत फैसला लिया गया है। आईएमटी गाजियाबाद का कहना है कि वो अब कोर्ट जाएंगे।
आईएमटी का कहना है कि जमीन आवंटन रद्द होना गलत है। जमीन के पेमेंट को लेकर विवाद है, हम लीज डीड जीडीए को नहीं दिखा पाए। इस बारे में आखिरी बार बात 1994 में हुई थी। उस समय जीडीए ने हमको कहा था कि 15 दिन के अंदर अगर पैसा नहीं दिया जाएगा तो अलॉटमेंट रद्द कर दिया जाएगा। जबकि आवंटन 20 साल तक रद्द नहीं हुआ। अचानक यह कहना कि आपका अलॉटमेंट रद्द है, यह गलत बात है, क्योंकि यहां पर एक शैक्षिक संस्थान चल रहा है जो कि अपने आप में बहुत ऊंचा माना जाता है। जीडीए की भी गलती है कि उन्होंने 1994 के बाद फॉलोअप क्यों नहीं किया। न्याय संगत बात होनी चाहिए। जीडीए के पास भी ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि 1994 के बाद उन्होंने कोई नोटिस दिया। अगर पेमेंट नहीं हुआ तो आईएमटी जरूर पेमेंट करेगी। हम लोग इंतजार कर रहे थे कि जीडीए से पेमेंट के लिए नोटिस आएगा लेकिन हमें मीडिया से पता चला कि आवंटन ही रद्द कर दिया है। अभी तक हमें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। हमें कानून पर भरोसा है, हम कोर्ट जाएंगे. जीडीए को जमीन वापस नहीं लेने देंगे।
इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.