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भारतीय टीवी पत्रकारिता के फील्ड में एनडीटीवी और रवीश कुमार ने इतिहास रच दिया

Shambhunath Shukla : मैने चैनल नहीं बदला रवीश जी। आज की मीडिया की हकीकत को नए और अभिनव अंदाज से दिखाने के लिए Ravish Kumar आपको बधाई और शुक्रिया। शायद विजुअल पत्रकारिता के इतिहास में ऐसा प्रयोग पहली बार हुआ। इसके पहले एक बार 27 जून 1975 को कई अखबारों ने अपने पेज काले ही छोड़ दिए थे।

Shambhunath Shukla : मैने चैनल नहीं बदला रवीश जी। आज की मीडिया की हकीकत को नए और अभिनव अंदाज से दिखाने के लिए Ravish Kumar आपको बधाई और शुक्रिया। शायद विजुअल पत्रकारिता के इतिहास में ऐसा प्रयोग पहली बार हुआ। इसके पहले एक बार 27 जून 1975 को कई अखबारों ने अपने पेज काले ही छोड़ दिए थे।

Amitaabh Srivastava : शानदार। बेजोड़। काबिले तारीफ है एनडीटीवी इंडिया का ये अनूठा प्रयोग। बड़ा हौसला चाहिये आज के शोरगुल, चीख चिल्लाहट,गाली गलौज वाले माहौल में इस तरह भीड़ से अलग खड़ा होने के लिए। ये आत्मचिंतन मीडिया, खास तौर पर टीवी चैनलों के लिए इस वक्त बहुत ज़रूरी है। बधाई रवीश और उनकी टीम को, संस्थान के प्रबंधन को भी इस पहल के लिए।

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Sanjaya Kumar Singh : रवीश कुमार ने आज एनडीटीवी के प्राइम टाइम में वही किया जो वकीलों ने कन्हैया और पत्रकारों के साथ किया। अमूमन गुस्से में पत्रकार-चित्रकार और कलाकार में अंतर नहीं रह जाता है पर रवीश ने पत्रकार रहते हुए खूब धोया – पीटा। और रोने भी नहीं दिया। बोलने लायक भी नहीं छोड़ा। बगैर तस्वीर वाले स्क्रीन की पीछे से मुझे बार-बार आवाज सुनाई दे रही थी – मारना नहीं है, नहीं तो मार देता। गजब। बधाई रवीश। ये ऐसे समझें ना समझें चोट तो ऐसी लगी है कि भुला नहीं पाएंगे। इन्हें ऐसे ही मारते रहना है।

Mayank Saxena : आज का रवीश कुमार का शो देखने के बाद, आपके अंदर ज़रा भी इंसानियत और शर्म बची हो तो ठीक है…वर्ना क्या है…हर दौर में लोगों ने ये किया भी है और मारे भी गए हैं…रवीश, काश हम कभी कर पाते…जो आप कर रहे हैं…शर्मिंदा लोगों की ओर से आपको सलाम है…

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Ambrish Kumar : एनडीटीवी पर रवीश कुमार ने नई और रचनात्मक बहस छेड़ी है. स्क्रीन ब्लैक है. टीवी पर चिल्लाने वाले देशभक्त एंकरों की आवाज से मुकाबिल है. ठीक है कुछ तो मोर्चा खुले इस देश का पर्याय बन गए एंकरों को लेकर जो एकल खंडपीठ की तरह बर्ताव करता है. वाकई यह गलाफाड़ आवाज में पत्रकारिता करना क्या है, बताता है.

Om Thanvi : टीवी चैनलों ने जेएनयू की आग भड़काई, उसे हवा दी। भाजपा/सरकार को कई पापों से आँख चुराने का सामान मिल गया। क्या यह किसी मिलीभगत में खड़ा हुआ षडयंत्र था। क्या चैनल राजनीतिक प्रोपगैंडा का मोहरा बन रहे हैं? पता नहीं सचाई क्या है, पर टीवी चैनलों ने ही बाद में घालमेल वाले उन वीडियो टुकड़ों की पोल खोली है जिनके सहारे जेएनयू को घेरने की कोशिश की गई। आज एनडीटीवी-इंडिया पर रवीश कुमार ने अपने कार्यक्रम का परदा प्रतिरोध और क्षोभ में काला कर दिया। सिर्फ आवाज से विरोध और तिरस्कार का स्वर बुलंद किया। अंत में चेहरा सामने आया तो रुआंसा था। इमरजेंसी की टीस मेरे जेहन में फिर उभर आई। पत्रकारों के संगठन क्या कर रहे हैं? एनबीए, एडिटर्स गिल्ड क्या शुतुरमुर्ग हो गए? फरजी वीडियो दिखाने वालों ने झट से उन्हें दिखाना बंद कर दिया था, जब उनकी पोल टीवी पर ही खुल गई। लेकिन अगर वे किसी षड़यंत्र में खुद शरीक नहीं थे, या किसी झांसे में आ गए थे, तो इसकी सफाई उन्होंने पेश क्यों नहीं की, खेद क्यों प्रकट नहीं किया? … दाल में बहुत काला है।

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Shashi Bhooshan Dwivedi : आज रवीश का प्राइम टाइम तो आपातकाल की याद दिला रहा है। सब कुछ काला है। अद्भुत है। मैं इन दिनों आमतौर पर देख नहीं पाता। टाइमिंग के कारण। आज देख रहा हूँ।

Sheeba : Ravish achieved newer heights today on NDTV INDIA PRIME TIME. Wish somebody show this episode of Prime Time to Deepak Chaurasia, Arnob, Sardana etc. It was a numbing experience. The best use of the medium.

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रवीश कुमार के जिस प्राइम टाइम शो की बात की जा रही है, उसे अभी आनलाइन देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

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Ravish Prime Time Show

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स्रोत : फेसबुक

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0 Comments

  1. Jitendra Kumar

    February 20, 2016 at 4:09 pm

    NDTV द्वारा स्क्रीन काला करने का मतलब यह हुआ कि वह मांग कर रहा है जितना भी काला कारनामा है वह होता रहे और देशद्रोही के खिलाफ सरकार अगर करवाई करती हैं तो हम लोग का जीवन ही अंधकार में हो जाता है इसलिए पत्रकार के रुप में जो भेरिया घुस आए हैं उसको जो चाहे करने दिया जाए . गद्दार कहीं के देशद्रोहियों पर कार्रवाई क्या शुरू हुआ पूरा का पूरा बामपंथी जमात इस तरह दिखाने लगा पूरे देश में अंधेरा कायम है , आखिर ndtv को सिर्फ jnu से ही क्यों इतना इंटरेस्ट है ,है इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि इसी तरह के लोग काले कारनामों में संलिप्त पाए गए हैं यह उसी रणनीति का हिस्सा है जो काले कारनामों के असली तह तक नहीं पहुंचने दिया जाए , सरकार को इस तरह गलत माहौल पैदा करने के लिए तुरंत ndtv के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए , बाकी जो लोग भौंक रहे हैं अपने अस्तित्व बचाने के लिए उसे भौंकने दिया जाए क्योंकि इसी तरह के लोग काअस्तित्व खत्म होने के बाद ही देश को लाभ होगा….

  2. surendra pal

    February 20, 2016 at 5:42 pm

    Raveesh g hamare desh ko aap jaise reporters ki jarurat hai dalalo ki nai
    AAP PE MUJE GARV HAI

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