कन्हैया शुक्ला-
छत्तीसगढ़ राज्य की साजा विधानसभा का चुनाव किसी फिल्मी कहानी जैसा रहा. यहां एक रिक्शा चलाने वाले डेली मजदूर ने पूर्व मंत्री को हराकर विधायकी की कुर्सी झटक ली है. सबसे खास बात तो ये है कि बेघर रिक्शा चालक को स्थानीय लोगों ने चुनाव लड़ने के लिए अपना घर तक दे दिया.
साजा विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले 42 वर्षीय ईश्वर साहू विधायक बन चुके हैं. बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया था. ईश्वर के सामने 7 बार के विधायक रहे रविन्द्र चौबे कांग्रेस के टिकट पर 9वीं बार विधानसभा चुनाव लड़े थे. कहा जाता है की पूर्व मंत्री रहे रविंद्र चौबे को हराना नामुमकिन था पर कक्षा 5वीं तक पढ़े ईश्वर साहू ने इस बार उन्हें पॉलिटिकल पटखनी दे दी.
साहू का पूरा परिवार पेशे से खेतिहर मजदूर है. चुनाव के पहले हुए एक धार्मिक दंगे में ईश्वर अपना बेटा खो चुके हैं. जिसके बाद पार्टी ने इनको साजा विधानसभा से उम्मीदवार बनाया था. बताते हैं ईश्वर के पास न तो घर न पैसा कुछ नहीं था बावजूद इसके स्थानीय संगठन के दिनेश गांधी, राजपरिवार के लाल शौर्यजीत समेत जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र साहू ने मिलकर उनकी भरपूर मदद की.
लाल शौर्यजीत ने साहू का कार्यालय बनाने के लिए अपना घर तक दे दिया तो किसी ने नाश्ता, चाय-पानी का जिम्मा ले लिया. इन लोगों ने पूरे चुनाव ईश्वर की सहायता की और उन्हें जिताकर साजा विधानसभा का नया विधायक बनाकर नई मिसाल पेश की है.
चुनाव की बाबत या विधायक बनने की खुशी के सवाल पर विधायक ईश्वर साहू इमोशनल हो जाते हैं. दबी आवाज में कहते हैं, ‘मुझे जितनी खुशी जीतने की नहीं उतना गम बेटे को खोने का है और जैसा डर का माहौल कांग्रेस सरकार में था उसको खत्म करना है.’