कन्हैया के साथ उसकी दोस्त की तस्वीर को पंजाब केसरी ने अय्याशी बता दिया!

Vineet Kumar : फेसबुक टाइमलाइन पर कन्हैया के साथ उसकी दोस्त की जो तस्वीर तैर रही है, पंजाब केसरी जैसा अखबार समूह जिसे जेएनयू की प्रोफेसर की अय्याशी बता रहा है, मुझे रत्तभर भी हैरानी नहीं हो रही है. मैं मीडिया की कुंठा को बेहद करीब से जानता-समझता हूं और उनसे बुरी तरह प्रभावित लोगों को भी.. इन दिनों मेरे बेहद करीबी रिश्तेदार लोग जो उम्र में मुझसे कम से कम दस-बारह साल बड़े होंगे, व्हॉट्स अप पर चुटकुले भेजने का काम कर रहे हैं, उन्हें बुरा न लगे तो शुरू-शुरू में स्माइली भेज दिया करता.

हे केकेआर एण्ड कम्पनी, मोदी को अभिमन्यु मत समझो यार!

-एलएन शीतल-

‘केकेआर एण्ड कम्पनी’ ने मोदी को अभिमन्यु समझ लिया है. ‘केकेआर एण्ड कम्पनी’ बोले तो केजरीवाल-कन्हैया-राहुल और उनके हमख़याल संगी-साथियों का वह हुज़ूम, जिनमें धुर वामपन्थी, नक्सली और प्रकारान्तर में वे तमाम गुट शामिल हैं, जो ‘आज़ादी’ के लिए छटपटा रहे हैं. आज़ादी बोले तो ‘कुछ भी बोलने’ की आज़ादी और अगर ‘कुछ भी बोलने’ से काम न चले तो ‘कुछ भी करने’ की आज़ादी. अभिमन्यु बोले तो वही महाभारत वाला अभिमन्यु, जिसे चक्रव्यूह भेदना नहीं आता था. वह बेचारा अपनी इसी लाचारी की वजह से धूर्त कौरवों के अनैतिक सामूहिक हमले में वीरगति को प्राप्त हुआ था.

कन्हैया, देशद्रोह, सशर्त जमानत और उसका भाषण

-आनंद सिंह-

1992-93 में जब हम लोग पत्रकारिता की शुरुआत में थे, मैं नागपुर से अपने घर झुमरीतिलैया आया हुआ था। हमारे एक मित्र थे। पवन बर्णवाल। अर्थशास्त्र के विद्यार्थी। हमारे बाबूजी जगन्नाथ जैन कालेज में इसी विषय के विभागाध्यक्ष थे। पवन को जब कोई दिक्कत होती थी, वह बाबूजी से मिल लेता था। उसकी समस्या का समाधान हो जाता था। उस दिन भी उससे मुलाकात हुई। हाथ मिलाने के बाद उसने पूछाः आनंद आइसा ज्वाइन करोगे। मैंने पूछा-यह क्या है। उसने बताया कि यह सीपीआई का यूथ विंग है। छात्र राजनीति के लिए बढ़िया मंच। मैंने कहा, देखते हैं। मैं तो नौकरी कर रहा हूं। एबी वर्द्धन के संपर्क में हूं। नागपुर में प्रायः हर माह उनसे मुलाकात हो जाती है।

कन्हैया की राजनीति को समझिए

कन्हैया की राजनीति को समझिए। वो aisf का सदस्य है। aisf, cpi का छात्र विंग है। cpi आजादी के पहले से ही भारत में सक्रिय है। १९६४ में इसमें विभाजन हुआ। जो अधिक क्रांतिकारी थे, वो चीन के सवाल पर cpm में चले गए। १९६७ में cpi ml बना। चारू मजुमदार नेता थे। नक्सलवाद इन्हीकी विचारधारा को कहते हैं। इन्होने बहुत ही हिंसक रास्ता लिया। ७५ में इनकी मृत्यु के पहले ही ये दल छिन्न भिन्न होने लगा था। सब भूमिगत होकर बिखर गए यहाँ वहाँ। उनमें से एक दल ने भूमिगत रास्ते की व्यर्थता को समझा और छोड़ दिया और जनसंगठन बनाकर पूरी तरह खुली राजनीति करने लगे। इनके छात्र संगठन का नाम पहले पीएसओ था। मैं अपने छात्र जीवन में उसका सदस्य था।

कन्हैया कुमार की तरह नरेंद्र मोदी पर ऐसा बड़ा हमला अभी तक कोई भी नहीं कर पाया था

कामरेड कन्हैया में लेकिन आग बहुत है। और लासा भी। ललक और लोच भी बहुत है। लेकिन कुतर्क की तलवार भी तेज़ हो गई है। वह जेल से जे एन यू लौट आए हैं। जैसे आग में लोहा तप कर आया हो। जैसे सोना कुंदन बन कर आया हो। जे एन यू में बोल गए हैं धारा प्रवाह। कोई पचास मिनट। आधी रात में। तेवर तल्ख़ हैं। उम्मीद बहुत दिखती है इस कामरेड में। लोकसभा में बस पहुंचना ही चाहता है। वक्ता भी ग़ज़ब का है। बस हार्दिक पटेल याद आता है। उस का हश्र याद आता है। फिसलना मत कामरेड।

पूरे देश में लाल सलाम गुंजा देने में मदद का शुक्रिया मोदी, ईरानी और बस्सी जी

जी, मैंने झूम के लाल सलाम के नारे लगाए हैं. न न, सिर्फ जेएनयू में नहीं, हम जी उन चंद लोगों में से हैं जो जेएनयू पहुँचने के बहुत पहले कामरेड हो गए थे. उन्होंने जिन्होंने महबूब शहर इलाहाबाद में लाल सलाम का नारा भर आवाज बुलंद किया है. पर जी तब हम बहुत कम लोग होते थे. तमाम तो हमारे सामने ही कामरेडी कह के मजाक उड़ाते थे हमारा. हम भी समझते थे कि बेचारे वो नहीं समझ रहे हैं जो हम समझ पा रहे हैं- रहने दो तब तक जब तक इनके सपनों की राष्ट्रवादी सरकार अडानी का बैंक कर्जा माफ़ करने के लिए इन मध्यवर्गीय भक्तों की भविष्य निधि पर टैक्स नहीं लगा देते.

कन्हैया पहले छात्रनेता हैं जिनके पूरे एक घंटे के भाषण का सीधा प्रसारण हुआ

Mahendra Mishra : जब सड़क पड़ी संसद पर भारी। कल प्रधानमंत्री का दिन होना था। उन्हें संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण पर बहस के बाद धन्यवाद देना था। लिहाजा उनकी एक-एक बात बहुत महत्वपूर्ण होनी थी । लेकिन मोदी जी देश के प्रधानमंत्री और सदन के नेता के तौर पर कम सत्ता के मद में चूर एक अहंकारी शासक के रूप में ज्यादा दिखे। अहम उनके चेहरे पर बिल्कुल साफ़ था लेकिन परेशानी भी उसी अनुपात में झलक रही थी। जो माथे की लकीरों और उनके लाल चेहरे से स्पष्ट था।

सलाम तुम्हें कन्हैया, तुमने उन चैनलों को भी आइना दिखा दिया जो भक्त हो गये थे

कन्हैया बोला- मीडिया में कुछ लोग ‘वहां’ से वेतन पाते हैं

Sanjay Sharma : वर्षों से इतना बढिया और दिल की गहराइयों से बोलने वाला भाषण नहीं सुना.. जेएनयू और कन्हैया ने इस देश को लूटने वालों के खिलाफ आज़ादी की जो जंग शुरू की है उसके बड़े नतीजे देश भर में जल्दी ही देखने को मिलेंगे.. ग़लत जगह हाथ डाल दिया भक्तों ने. रात के दस बजे कन्हैया के मुँह से निकले कई नारे कई कंसों के पेट में दर्द कर देगे.. कन्हैया ने जेएनयू पहुँच कर सबसे पहले भारत माँ की जय के नारे लगाये और उसके वाद वही नारे लगाये जो सत्ता के लोगों के पेट मे दर्द पैदा करते हैं.. हमको चहिये आज़ादी .. पूँजीवाद से आज़ादी .. मनुवाद से आज़ादी .. ब्राह्मण वाद से आज़ादी ..सलाम तुम्हें कन्हैया.. तुम्हारा भाषण दिल को छू गया.. तुमने उन चैनलों को भी आइना दिखा दिया जो भक्त हो गये थे.. भरोसा है तुम्हारे जैसे नौजवान समाजवाद को सही रूप मे लायेंगे.. जो राजनैतिक दल कन्हैया की विचारधारा का समर्थन कर रहे थे उन्हे कन्हैया को राज्यसभा भेजना चहिये.. इस देश की संसद को कन्हैया जैसे सांसद और उनकी आवाज़ चहिये संसद में.. सारा विपक्ष मिलकर मोदी सरकार की इतनी बैंड नही बजा पाया जितनी अकेले कन्हैया ने बजा दी..