-शिशिर सोनी-
रिया ने सुशांत को लूटा?
हाँ लूटा, वो लुटा, रिया ने लूटा तुम्हारे पेट में क्यों दर्द हो रहा है?
रिया यूरोप गई सुशांत के खर्च पर?
हाँ गई, वो ले गया, वो गई, तुम्हारा क्या?
रिया और सुशांत दोनो बालिग रह कर आपसी रजामंदी से जो कुछ भी कदम उठाये सवाल उस पर पत्रकार, फनकार, भाँति भाँति के कलाकार, घर परिवार क्यों उठा रहे हैं?
सवाल सिर्फ ये है कि सुशांत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई? बस।
सवाल drugs का आया तो सीधे केंद्र का नारोकोटिक्स विभाग एक्टिव हो गया।
सवाल प्रेमी प्रेमिका के बीच लेन देन का उठा तो सीधे केंद्र का ईडी छापेमारी करने लगा।
मतलब हद है। इन एजेसियों के पास कुछ काम है भी या नहीं?
है मगर करना नहीं चाहते। तभी yes बैंक घोटाले में ईडी ने समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया और आरोपी आराम से छूट गया। आरोपी को छोड़ते हुए कोर्ट ने ईडी को खूब खरी खोटी सुनाई। खैर, ये सब मोटी चमड़ी के लोग हैं। “की फर्क पैन्दा” टाइप बेशर्म हैं।
वापिस आते हैं रिया पे। रिया के खिलाफ सुशांत के परिवार वाले अचानक चौतरफा खड़े नज़र आ रहे हैं। बहन, पिता जी सब बोल रहे हैं। इनका बस चले तो तहकीकात से पहले ही रिया को फांसी पर लटका दें। ये उचित नहीं। सुशांत कोई दूध पीता बच्चा नहीं था। परिवार को जब पता था कि वो बुरी संगत में है तो ले जाते न पकड़ कर! मगर ऐसा हुआ क्या? अब सब कूद रहे हैं।
रिया के इंटरव्यू पर मचे स्यापा पे सवाल उठ रहे हैं। क्या रिया का कथन सामने नहीं आना चाहिए, ये भी सवाल हो रहे हैं। रिया के बहाने अर्णब गोस्वामी ने रिपब्लिक बनाम आजतक एक बेहद शातिराना कॉर्पोरेट वॉर छेड़ दिया है। मीडिया हाउस के बीच ऐसी जंग पहली बार देखने को मिल रही है। उसमें अर्णब काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं।
मगर क्या मीडिया के लिए ये एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा है? शायद नहीं।
अंत में…
रिया का इंटरव्यू आज तक के लिए राजदीप ने लिया। राजदीप ने इससे पहले सुशांत के विषय पर कहा था कि वो इतना बड़ा स्टार नहीं था कि उसके बारे में इतनी बात की जाए तो अब राजदीप का सवाल ही उसका पीछा कर रही है। लोग यही पूछ रहे हैं कि रिया क्या इतनी बड़ी स्टार थी कि उसका इतना बड़ा इंटरव्यू किया जाए?