शहाबुद्दीन को जमानत मिलने पर बहुत शोर मचा हुआ है। इतने बड़े या कुख्यात अपराधी को जमानत कैसे मिल गई? आज रवीश कुमार ने अपने कार्यक्रम में शहाबुद्दीन के कथित शिकारों में एक, दैनिक हिन्दुस्तान के सीवान संवाददाता राजदेव रंजन की हत्या की चर्चा की। पता चला कि बिहार सरकार ने चार महीने पहले केंद्र सरकार से इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। रंजन यादव की पत्नी ने कहा कि वे इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री से मिल चुकी हैं और प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है।
बिहार सरकार की घोषणा और सिफारिश के बावजूद अभी तक इस मामले की सीबीआई जांच शुरू भी नहीं हुई है। वह भी तब जब हत्या के बाद अखबार के संपादक शशि शेखर ने लिखा था, “हम लडेंगे क्योंकि लड़ने की जरूरत है”। चार महीने तक कई संस्करण वाले एक पूरे अखबार के (प्रधान संपादक समेत) लड़ने के बावजूद सीबीआई जांच शुरू नहीं हुई। यह है आजकल मीडिया या पत्रकारों की ताकत। अब इसमें यह पूछना कि शहाबुद्दीन को जमानत कैसे मिल गई? मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा है। इसपर तो रिसर्च करना पड़ेगा।
एनडीटीवी से बातचीत में राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने एक निजी चैनल पर शहाबुद्दीन के उस बयान की चर्चा की जिसमें उन्होंने कहा है कि सीबीआई ने मामला देखने के बाद इसे अपने हाथ में लेने लायक नहीं समझा और वापस कर दिया। आशा देवी ने सवाल किया कि जो बात केन्द्र सरकार नहीं बता रही, गृह मंत्री ने नहीं बताया उसकी जानकारी हाल तक जेल में रहे शहाबुद्दीन को कैसे हो गई। आशा रंजन ने कहा कि अगर इस मामले से शहाबुद्दीन का कोई लेना-देना नहीं है तो इस मामले में जानकारी एकत्र करने की क्या जरूरत है?
लेखक संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और सोशल मीडिया पर अपने बेबाक लेखन के लिए चर्चित हैं.