लखनऊ : रिहाई मंच ने कहा है कि शाहजहांपुर में पत्रकार की हत्या के बाद जिस तरीके से बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की दिन दहाड़े हत्या, आरटीओ चुन्नी लाल पर बेसिक शिक्षा एवं बालपुष्टाहार मंत्री कैलाश चैरसिया द्वारा थप्पड़ तानने और उन्हें जान से मारकर गंगा में फेंकने की धमकी दी गई, इस सबने साबित कर दिया है कि सपा सरकार इंसाफ मांगने की हर आवाज का कत्ल कर देना चाहती है।
मंच ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के कई आईपीएस अधिकारियों और पूर्व डीजीपी ए. सी. शर्मा, ए. एल. बनर्जी तथा आगरा के समाजवादी पार्टी नेता शैलेन्द्र अग्रवाल की मिलीभगत से चल रहे ट्रान्सफर-पोस्टिंग के काले खेल की पूरी कलई जिस तरह से हर रोज परत दर-परत खुल रही है उसने सपा सरकार के काले कारनामों को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया है। रिहाई मंच ने अखिलेश सरकार से उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार और सपा जिलाध्यक्षों की आपराधिक रिकार्ड पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए उनकी अवैध आय की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग की है।
रिहाई मंच के नेता राजीव यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि जगेन्द्र सिंह की हत्या के बाद अखिलेश यादव ने सपा के जिला अध्यक्षों की अगुवाई में दुष्प्रचार विरोधी टीम गठित करने के नाम पर सूबे में इंसाफ मांगने वालों की हत्या करने के लिए अपराधियों की एक संगठित टीम बनाई है। बहराइच के गौरा गांव में आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद शुक्ला की हत्या जिसकी तस्दीक करती है। एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री होने के नाते होना तो यह चाहिए था कि तत्काल पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या, बलात्कार आरोपी और खनन माफिया मंत्री राम मूर्ति सिंह वर्मा को बर्खास्त करते हुए जेल की सलाखों के पीछे भेजते। पर अखिलेश यादव का यह कहना कि राज्य में विकास का माहौल है, फिल्मों की शूटिंग चल रही है, विदेशी निवेश कर रहे हैं, सौहार्द का माहौल है जो साबित करता है कि उनके मंत्रियों और पुलिस द्वारा हत्या रिश्वतखोरी में वह बराबर की भागीदार है। प्रदेश ही नहीं पूरा देश पत्रकार जगेन्द्र सिंह और आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद शुक्ला की हत्या पर स्तब्ध है और अंधेर नगरी का यह चौपट राजा फिल्मों की शूटिंग में मशगूल है।
रिहाई मंच नेता हरे राम मिश्र ने कहा कि शैलेन्द्र अग्रवाल के पकड़े जाने के बाद जिस तरह से थानेदारों और इंस्पेक्टरों की ट्रान्सफर, पोस्टिंग और प्रमोशन में बीस-बीस लाख रुपए लेने की बात सामने आ रही है वह साबित करता है कि पूरा का पूरा पुलिस विभाग ही बिक चुका है। यह जांच का विषय है कि इन सब पुलिस अधिकारियों ने प्रमोशन के लिए कितने फर्जी एनकांउटर किए, फर्जी मुकदमे और नाजायज वसूली की, इन सब की भी गहराई से जांच की जाए। आज उत्तर प्रदेश पुलिस में ट्रान्सफर-पोस्टिंग का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है और इसकी कमाई ऊपर बैठे सत्ता के लोगों तक जा रही है और यही वजह है कि चाहे वह कानपुर दंगे की माथुर जांच कमेटी में आरोपी बनाए गए ए. सी शर्मा हों या फिर हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद खुले घूम रहे डीजीपी विक्रम सिंह और बृजलाल, इन लोगों की यही काली कमाई इनके लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।
रिहाई मंच राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस में जिस तरह से अंडरवर्ल्ड की तरह रिश्वत के लिए बकरा, मुर्गा, शर्ट, मिठाई आदि कोडवर्ड का प्रयोग किया जाता है वह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस आपराधिक गिरोह में तब्दील हो चुकी है। ऐसी भाषा तो फिल्मों में ’डी’ कंपनी के माफिया इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से महिलाओं के अश्लील फोटोग्राफ के कारोबार में क्राइम ब्रांच पुलिस आरोपी बनी है ठीक इसी तरह एटीएस-एसटीएफ के अधिकारियों-कर्मचारियों पर सादे ड्रेस में फर्जी गिरफ्तारियों और धन उगाही के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा के नाम पर नागरिकों से अवैध वसूली और उत्पीड़न कर रही उत्तर प्रदेश पुलिस के इन विशेष आपराधिक दस्तों को प्रदेश सरकार तत्काल भंग करे।