देश में 97.5 फीसद नागरिकों ने कानून का उपयोग नहीं किया

छत्तीसगढ़ आरटीआई के तहत सभी सालाना रिपोर्ट फाइल करने वाला अकेला राज्य, उप्र ने एक भी नहीं दी कल 12 अक्टूबर को आरटीआई दिवस था। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत हथियार के रूप में लागू किये गये सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के उपयोग की गति बीते 14 सालों में धीमी रही है और …

प्रेस क्लब को आरओसी का नोटिस, सात दिन में जवाब देने का निर्देश

जयपुर : कंपनियों के पदाधिकारियों को अभी तक भ्रम था कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनिया आरटीआई के दायरे में नही आती है। संलग्न पत्र से जाहिर हो जाएगा कि किसी कंपनी के बारे में सूचना मांगने पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी वांछित सूचना उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है। देश में बहुत से लोगो ने विभिन्न कंपनियों …

RTI अधिनियम बचाने के लिए राष्ट्रपति को ई-चिट्ठी भेजने की मुहिम का हिस्सा बनें

साथियों, आरटीआई संशोधन बिल संसद द्वारा पास हो चुका है। लेकिन आरटीआई बचाने की लड़ाई जारी है। इस चिट्ठी को राष्ट्रपति को भेजें व माँग करें कि RTI संशोधन पर हस्ताक्षर न करें। ये हैं मेल आईडी जिन पर आपको मेल करना है…. secy.president@rb.nic.in presidentofindia@rb.nic.in इस पते पर भी कॉपी करें saverti2019@gmail.com अगर आप हिंदी …

मोदीजी ने RTI कानून की वॉट लगाकर करप्शन पकड़ने का इकलौता सरल रास्ता बंद कर दिया!

Krishna Kant : अब कोई व्यापम घोटाला सामने नहीं आएगा। आरटीआई कानून को कमज़ोर करके मोदी जी ने भ्रष्टाचारियों के हाथ काफी मजबूत कर दिए हैं। लोकसभा से यह कानून पास हो गया है। एक विदेशी दौरे पर जाकर मोदी जी ने दुनिया को बताया था कि उनके पीएम बनने के पहले भारत में पैदा …

बिहार में आरटीआई एक्टिविस्ट गिरफ्तार, देखें तस्वीर

पटना । लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी बिहार की एनडीए सरकार ने अपने विरोधियों को एक बड़ा हथियार दे दिया है। मुजफ्फरपुर के चर्चित सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत कुमार को पुलिस ने कल मोतिहारी से गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारी एससी-एसटी एक्ट के तहत की गयी है। चर्चा है कि आनन-फानन में दर्ज किये …

शादी के कारण 8 वर्षों में 62 आईपीएस अफसरों का कैडर ट्रान्सफर, देखें पूरी लिस्ट

गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को आरटीआई में दी गयी सूचना के अनुसार 01 जनवरी 2010 से आज तक कुल 67 आईपीएस अफसरों को अंतर्राज्यीय कैडर परिवर्तन प्रदान किया गया है. इनमें 62 मामलों में विवाह के आधार पर कैडर परिवर्तन हुआ है. एम चन्द्रशेखर तथा डॉ राजवंत पाल …

बिहार के सीएम नितीश कुमार को दिल्ली में बंगला आवंटन नियमों के परे

संपदा निदेशालय, भारत सरकार द्वारा लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को दी गयी सूचना के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आवास पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीए) द्वारा आवश्यक अनुमोदन मिले बिना ही नयी दिल्ली स्थित के कामराज लेन में बंगला नंबर 6 आवंटित कर दिया गया.

आरटीआई : अमिताभ कान्त, महर्षि, अरोरा चुनाव आयुक्त के रेस में थे

विधि तथा न्याय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को आरटीआई में दी गयी सूचना से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत स्तर पर सुनील अरोरा को चुनाव आयुक्त के रूप में उपयुक्त पाते हुए उनकी संस्तुति की थी जिसे राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया.

केंद्रीय मंत्री को मिलते हैं पांच चपरासी

कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार द्वारा लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को आरटीआई में दी गयी सूचना के अनुसार भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री को कार्यालय के कार्यों के लिए 01 वरिष्ठ चपरासी और 04 चपरासी यानी कुल 05 लोग मिलते हैं. यह व्यवस्था 25 अक्टूबर 1975 को जारी शासनादेश के अनुसार है. इसी आदेश के अनुसार राज्य मंत्री को 01 वरिष्ठ चपरासी और 03 चपरासी अर्थात 04 लोग तथा उप मंत्री को 01 वरिष्ठ चपरासी तथा 01 चपरासी अर्थात 02 लोग कार्यालय में सहायता के लिए दिए जाते हैं.

PMO denies info on expenses on PM Security

The Prime Minister Office (PMO) has denied information about the personnel and vehicles provided for the security of the Prime Minister. Lucknow based activist Dr Nutan Thakur had sought information about the number of personnel and vehicles provided for the security of the Prime Minister along with the expenses incurred for the salary of these security personnel and the expenses incurred for maintenance and fuel expenses of these vehicles.

राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात कर्मियों पर चार साल में सेलरी के रूप में 155.4 करोड़ रुपये खर्च

लखनऊ स्थित आरटीआई  एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार पिछले 04 साल में राष्ट्रपति के साथ लगे सुरक्षाकर्मियों के सैलरी पर 155.4 करोड़ का खर्च आया है. इसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 में रु० 38.17 करोड़, 2015-16 में रु० 41.77 करोड़, 2016-17 में रु० 48.35 करोड़ तथा 2017-18 में अब तक रु० 27.11 करोड़ शामिल है. 

पत्रकार से सूचना आयुक्त बने आशुतोष ने यहां भी दिखाए तेवर

राजस्थान की पत्रकारिता में झण्डे गाड़ने के बाद अब राजस्थान के सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा सूचनाएं उजागर करवाने के नए फील्ड में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। शर्मा ने सूचना आयुक्त के रूप में हाल ही अपने ऐतिहासिक फैसले में राजस्थान के सभी मंत्रियों के कार्यालयों को सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में मानते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि एक माह में मंत्रियों के कार्यालय में अलग से राज्य लोक सूचना अधिकारी तैनात कर सूचना प्रदान करने की पुख्ता एवं स्पष्ट व्यवस्था की जाए।

Defence Chief appointments come under Official Secret Act

The Defence Ministry has denied information on the appointment of Army and Air Force Chiefs, saying that they are part of classified documents, which are covered under the Official Secrets Act 1923. Activist Dr Nutan Thakur had sought under RTI documents related with appointment of the three Heads, to which U K Tiwari, Under Secretary, Vayu Bhawan and Revati Raman, Under Secretary, Sena Bhawan said that these appointments are classified documents.

शिवपाल यादव की सिफारिश पर पत्रकार योगेश मिश्र को मिला था यश भारती!

यूपी में अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच 200 से ज्यादा लोगों को यश भारती पुरस्कार बांटा. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक आरटीआई से मिली जानकारी के बाद जिन लोगों को यश भारती मिला, उनको किस मापदंड या सिफारिश के आधार पर दिया गया, इसका खुलासा किया है. लिस्ट देखने से पता चलता है कि कहीं कोई मापदंड नहीं था. सिर्फ सिफारिश ही काम आई. यश भारती पुरस्कारों के लिए सत्ता की मर्जी ही मानक थी.

प्रसार भारती में गड़बड़ियां : अब तो ये आरटीआई से मांगे गए सवालों के जवाब तक नहीं देते!

भारत के लोक प्रसारक यानि दूरदर्शन और आकाशवाणी जो कि प्रसार भारती के तहत काम करते हैं, दोनों ही देश दुनिया को तमाम ख़बरों से रूबरू करवाते हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि दोनों ही संस्थाओं के लिए नियम कायदे बनाने वाले प्रसार भारती के पास खुद के ही कर्मचारियों और उनके लिए बनाए गए नियमों के बारे में ही जानकारी नहीं है। यह बात हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के बाद सामने आई है।

एयर इंडिया को खुद के निजीकरण और पीएमओ को पीएम की विदेश यात्रा के बारे में नहीं पता!

एयर इंडिया, जिसके निजीकरण के सम्बन्ध में पिछले दिनों लगातार चर्चा चल रही है, को अपने स्वयं के निजीकरण के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है. आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने एयर इंडिया से उसके निजीकरण के सम्बन्ध में उसके तथा अन्य कार्यालयों में हुए पत्राचार सहित निजीकरण प्रस्ताव विषयक समस्त अभिलेख देने का अनुरोध किया था. एयर इंडिया के एजीएम (ओए) एस के बजाज ने 11 जुलाई 2017 के अपने पत्र द्वारा बताया कि एयर इंडिया ने किसी प्रस्तावित निजीकरण के सम्बन्ध में किसी भी कार्यालय से कोई पत्राचार नहीं किया है और न ही उसे इस सम्बन्ध में कोई भी पत्र प्राप्त हुआ है. अतः उसे प्रस्तावित निजीकरण के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं है. नूतन के अनुसार यह आश्चर्यजनक है कि जिस कंपनी का निजीकरण प्रस्तावित है, वह ही इस पूरी प्रक्रिया से अलग रखा गया दिख रहा है.  

योग दिवस पर दो वर्षों में 34.50 करोड़ खर्च

आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को उपलब्ध करायी गयी सूचना में बताया है कि वर्ष 2015 तथा 2016 में उसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कुल 34.50 करोड़ रुपये खर्च किये गाये थे. इनमे 16.40 करोड़ वर्ष 2015 तथा 18.10 करोड़ वर्ष 2016 में खर्च किये गए. जन सूचना अधिकारी बनमाली नायक द्वारा उपलब्ध करायी सूचना में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2017 में मंत्रालय के खर्च की अंतिम गणना नहीं हुई है. जन सूचना अधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह आयुष विभाग का खर्च है और योग दिवस पर हुआ पूरा खर्च उपलब्ध नहीं है. उन्होंने इन खर्चों से जुड़े पत्रावली के नोटशीट और अभिलेख सैकड़ों पृष्ठों में होने के आधार पर देने से मना कर दिया.

आईपीएस अफसरों पर मुकदमों की सूचना गृह मंत्रालय में नहीं है!

गृह मंत्रालय के पास आईपीएस अफसरों पर आपराधिक मुकदमों की सूचना नहीं है. यह तथ्य आईपीएस अफसरों के मामलों को देखने वाली गृह मंत्रालय की पुलिस डिवीज़न-एक द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को आईपीएस अफसरों पर दर्ज आपराधिक मुकदमों की सूचना मांगे जाने पर बताया गया है. जहाँ गृह मंत्रालय ने यह प्रार्थनापत्र नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को अपने स्तर से उचित उत्तर देने हेतु भेजा है, वहीँ उसने यह भी स्वीकार किया है कि आईपीएस अफसरों पर दर्ज होने वाले आपराधिक मुकदमों की सूचना की पत्रावली उसके द्वारा नहीं रखी जाती है. नूतन ने अनुसार आईपीएस अफसरों के कैडर नियंत्रण संस्था होने के बाद भी गृह मंत्रालय के पास यह बुनियादी सूचना उपलब्ध नहीं होना उनकी लापरवाही को दर्शाता है.

आरटीआई से सूचना मांगने पर पत्रकार को जान का खतरा, लिखा सीएम योगी को पत्र

सेवा में,
श्री आदित्यनाथ योगी जी
मुख्यमंत्री, उ.प्र.शासन,
पांच कालीदास मार्ग,लखनऊ          

विषयः आरटीआई से सूचना मांगने पर पत्रकार को जान का खतरा।

महोदय,

मैं प्रदीप कुमार रावत पुत्र श्री गंगाधर रावत, निवासी 92सी, दशरथ कुंज, अर्जुन नगर, आगरा का निवासी हूं व प्रार्थी भारत गणराज्य का नागरिक है। सर मैं पिछले 18 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूं। इस दरम्यान मेरी विचारधारा सामाजिक व सरकारी योजनाओं के प्रति आमजन को जागरूक करने की रही है। इसी क्रम में मैं जन सूचना अधिकार के माध्यम से सूचनायें प्राप्त कर लोगों को शासकीय योजनाओं की जानकारी पहुंचाने का प्रयास करता रहा हूं। यह प्रक्रिया भविष्य में भी अनवरत जारी रहेगी।

पत्रकार राजीव रंजन नाग की सामंती मानसिकता और घटिया हरकत से नाराज विपिन धूलिया ने लिखा खुला पत्र, पढ़ें

Mr. Rajiv Ranjan Nag

President

Press Association, New Delhi

Lounge, P.I.B., Shastri Bhavan, New Delhi

Dear Friend

मजीठिया क्रांतिकारियों से अपील, हम सभी आरटीआई को हथियार बनाएं

दोस्तों मैं एक बार फिर आप सब से अपील कर रहा हूँ कि आप आरटीआई को हथियार बनाइये। श्रम विभाग के पास अखबार मालिकों द्वारा मंत्रियों से फोन करा कर उन पर दबाव डलवाया जा रहा है। उनके पास मंत्री हैं। हमारे पास आरटीआई है। इसी आरटीआई ने सुरेश कलमाणी को जेल डलवा दिया। शीला …

मुम्बई के दो पत्रकारों ने श्रम आयुक्त कार्यालय में किया ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (देखें वीडियो)

पत्रकारों की छापेमारी से घबराए अधिकारियों ने गिफ्ट के पैकेट बाहर फेंके, गिफ्ट के पैकेटों का आरटीआई से माँगा गया जवाब, घटनाक्रम हुआ कैमरे में शूट

मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और प्रमोशन की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे मुम्बई के दो पत्रकारों शशिकान्त सिंह और धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने शनिवार को महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त कार्यालय में ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक किया कि श्रम अधिकारी भी हक्के बक्के रह गए। ये दोनों पत्रकार काफी दिनों से देख रहे थे कि महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त और मुम्बई शहर कार्यालय में अखबार मालिकान सहित कई दूसरी कंपनी के लोग श्रम अधिकारियों को बड़े बड़े गिफ्ट के पैकेट दे रहें हैं, जो पूरी तरह गलत है। इन दोनो पत्रकारों ने तय किया कि इस मामले का भंडाफोड़ किया जाय।

आरटीआई से खुलासा: अखबार मालिकों को सरकार द्वारा दी गयी जमीन के कागजात हुए आग के हवाले

पत्रकारों और गैर पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे महाराष्ट्र के अखबार मालिकों के बारे में सरकारी लापरवाही की एक और दास्ताँ सामने आई है। महाराष्ट में पूर्व की सरकार ने अखबार मालिकों को लाभ देने के तहत कौड़ियों के दाम पर बेशकीमती जमीन …

मजीठिया वेज बोर्ड की लडाई लड़ रहे साथी ऐसे करें आरटीआई के लिए आवेदन

मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे सभी साथी और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिस के तहत वेतन,एरियर और प्रमोशन पाने के इच्छुक देश भर के सभी पत्रकार साथियों से निवेदन है कि इस अधिकार की लड़ाई के लिए आरटीआई का सहारा लें। आप एक बात एकदम स्पष्ट जान लीजिये यही वो ब्रम्हास्त्र है जो मैनेजमेंट के भ्रस्टाचार को आपके सामने लाएगा। उत्तर प्रदेश के एक साथी ने मेरे कहने पर कुछ सवाल आरटीआई से माँगा है।

देश भक्त मोदी के कारिंदो का काला चिट्ठा आरटीआई के जरिए हुआ उजागर

Vishwanath Chaturvedi : देश भक्त मोदी के कारिंदो का काला चिट्ठा जानिये…. पूँजीपतियों की किस किस कम्पनी ने लगाया चूना, देश और देशभक्ति के नाम पर : आर टी आई से हुआ खुलासा… आप एक विजय माल्या की बात करते हैं.. मैं आपको बता दूँ अभी हाल में एक आरटीआई आवेदन के ज़रिये इस बात का खुलासा हुआ कि 2013 से 2015 के बीच देश के सरकारी बैंकों ने एक लाख 14 हज़ार करोड़ रुपये के कर्जे माफ़ कर दिये। इनमें से 95 प्रतिशत कर्जे बड़े और मझोले उद्योगों के करोड़पति मालिकों को दिये गये थे। यह रकम कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर ये सारे कर्ज़दार अपना कर्ज़ा लौटा देते तो 2015 में देश में रक्षा, शिक्षा, हाईवे और स्वास्थ्य पर खर्च हुई पूरी राशि का खर्च इसी से निकल आती।

यूपी के खराब सूचना आयुक्तों के नाम का खुलासा : मुलायम के समधी अरविन्द बिष्ट टॉप पर, जावेद उस्मानी नंबर दो

लखनऊ : येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी, आरटीआई विधिक सलाहकार और उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई और आरटीआई एक्सपर्ट आर.एस. यादव ने आज लखनऊ में एक प्रेस वार्ता को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए सबसे खराब सूचना आयुक्त पता लगाने के वास्ते किए जा रहे सर्वे के परिणाम सार्वजनिक किये. सर्वे के आधार पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट को सूबे का सबसे खराब सूचना आयुक्त बताया गया है तो वहीं जन सूचना अधिकारियों द्वारा आरटीआई आवेदनों के निस्तारण में की जा रही हीलाहवाली आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आयी है.

यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त के नाम की घोषणा लखनऊ में कल होगी

लखनऊ : यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता लम्बे समय से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सभी 9 सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और व्यवहार पर उंगली उठाते रहे हैं. जहाँ एक तरफ आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना आयुक्तों पर उत्पीडन करने और सरकार की चाटुकारिता करने के चलते समय पर सूचना न दिलाने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं सूचना आयुक्त भी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.

उर्वशी का आरोप- यूपी में आरटीआई को कमजोर करने में जुटे पत्रकार अमित और आरटीआई एक्टिविस्ट मुन्नालाल

लखनऊ : पीत पत्रकारिता करने वाले पत्रकार हमेशा रहे हैं और रहेंगे भीl ऐसे ही एक पत्रकार हैं दैनिक जागरण लखनऊ के रिपोर्टर अमित मिश्रl इसी प्रकार आस्तीन के सांप आरटीआई एक्टिविस्ट भी हमेशा रहे हैं और रहेंगे भीl ऐसे ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट हैं मुन्नालाल शुक्लl आज एक तरफ सूबे के आरटीआई आवेदक सूचनाएं न मिलने से बेहाल-परेशान हैं तो वहीं अपने निहितार्थ साधने के लिए मुन्नालाल शुक्ल सरीखे आरटीआइ कार्यकर्ता सूचना देने में उदासीन सरकारी विभागों को क्लीन चिट देने में लगे हुए हैंl

Why do Lovely Professional University hide Information under RTI Act

: Lovely Professional University hide information what is actual fact in transparency :

To,
The Hon’able Governor of Punjab,
Chandigarh,

Subject : Why do Lovely Professional University hide Information under RTI Act)  

Dear Sir,

I want to bring your kind notice to the state private universities that are looting innocent students with both hands and filling their coffer with money.

मजीठिया पर आरटीआई : गुड़गांव-फरीदाबाद की सूचना नहीं दी, पानीपत और अंबाला का हाल देखिए….

Dear All,

The undersigned sought information under RTI Act 2005 dated 31st July 2014 from Labour Commissioner, Haryana about the implementation of Majithia Wage Board Recommendations on journalists and employees of the Press which was constituted on 4th March 2009. The SPIO cum Deputy Labour Commissioner, Haryana provided the half baked, evasive reply on 23rd Jan 2015. No information about Gurgaon & Faridabad was provided.

ये है जवाब…

मजीठिया : आरटीआई से खुलासा, महाराष्ट्र सरकार ने एससी के फरमान को दफनाया

महाराष्ट्र सरकार  माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुये मजीठिया वेतन आयोग के बारे में दिये गये निर्णय की खुले आम धज्जियां उड़ा रही है या  फिर महाराष्ट्र सरकार नहीं चाहती कि पत्रकारों का भला हो।  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी राज्य सरकारों को एक निर्देश जारी कर स्पष्ट कहा गया था कि एक विशेषश्रम अधिकारी की नियुक्ति करें, जो सभी समाचार पत्र प्रतिष्ठानों की रिपोर्ट देंगे कि कहां कहां मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश प्रबंधन ने लागू की हैं और कहां नहीं। ये रिपोर्ट तीन महीने के अंदर सभी राज्य सरकारों के विशेष श्रम अधिकारी समाचार पत्रों के कार्यालय में जाकर एकत्र करेंगे और प्रबंधन तथा कर्मचारियों से एक उनका पक्ष समझेंगे और अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे।

महाराष्‍ट्र के श्रम अधिकारियों को क्‍या वाकई मजीठिया संबंधी कोई आदेश-निर्देश नहीं

मैं एक आरटीआई कार्यकर्ता हूं और स्‍वतंत्र पत्रकारिता भी करता हूं। पिछले दिनों एक आरटीआई के माध्‍यम से जब मैंने मुंबई के लेबर कमिश्‍नर कार्यालय से ये जानना चाहा कि क्‍या मुंबई के एक दिग्‍गज प्रकाशन संस्‍थान मैग्‍ना पब्लिशिंग कंपनी में मजीठिया आयोग की‍ सिफारिशें लागू कर दी गयी हैं, जिसकी स्‍टारडस्‍ट अंग्रेजी, स्‍टारडस्‍ट हिंदी, सैवी हेल्‍थ एंड न्‍यूट्रिशनए सोसायटी, सोसायटी इंटीरियर, सिटाडेल जैसी आधा दर्जन से अधिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, तो लेबर ऑफिसर महेश पाटिल ने मुझे आरटीआई का लिखित जवाब देने की बजाय आरटीआई पर दिये मेरे फोन नं पर मुझसे संपर्क कर मिलने के लिए अपने कार्यालय में बुलाया। वहां मौजूद उनके साथी अधिकारियों उप श्रम आयुक्‍त जाधवए सहायक श्रम आयुक्‍त भुजबल आदि ने हैरत भरे अंदाज में कहा कि ये मजीठिया वेज बोर्ड क्‍या है। 

आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद की हत्या के लिए सपा सरकार जिम्मेदार : रिहाई मंच

लखनऊ : रिहाई मंच ने कहा है कि शाहजहांपुर में पत्रकार की हत्या के बाद जिस तरीके से बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की दिन दहाड़े हत्या, आरटीओ चुन्नी लाल पर बेसिक शिक्षा एवं बालपुष्टाहार मंत्री कैलाश चैरसिया द्वारा थप्पड़ तानने और उन्हें जान से मारकर गंगा में फेंकने की धमकी दी गई, इस सबने साबित कर दिया है कि सपा सरकार इंसाफ मांगने की हर आवाज का कत्ल कर देना चाहती है। 

बिहार में माफिया, गुंडों और भ्रष्ट अफसरों से लड़ रहे आरटीआई कार्यकर्ता विपिन गिरफ्तार

मोतिहारी (बिहार) : हरसिद्धि क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल को तीन जून को स्थानीय पुलिस ने एक बोरा सरकारी गेहूं की कालाबाजारी के प्रायोजित आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इससे पूर्व बीडीओ लोकेन्द्र यादव के आवेदन पर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उल्लेखनीय है कि विपिन के कार्यों को लेकर वर्ष 2014 में मुजफ्फरपुर की संस्था सर्वोदय मंडल एक राष्ट्रीय समारोह में उन्हें ‘यूथ आइकोन’ के तौर पर सम्मानित भी कर चुकी है। वह लंबे समय से माफिया, गुंडों और भ्रष्ट अफसरों की अनियमितताओं के खिलाफ आरटीआई के मोरचे पर संघर्षरत हैं।

बिहार की जेल में बंद आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल

राजभवन में वो शख्स कौन है, जो प्रो महावीर अग्रवाल को बचा रहा

देहरादून : राजभवन उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय,हरिद्वार के कुलपति प्रो महावीर अग्रवाल से संबधित जानकारियां उपलब्ध कराने में जिस तरह से लेट लटीफी कर रहा है उससे राजभवन सचिवालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। बडा सवाल उभरकर यह आ रहा है कि राजभवन में आखिर वो सख्श कौन है जो कुलपति के शैक्षणिक अभिलेखों को अपीलकर्ता को उपलब्ध नहीं कराना चाहता है। यहां यह समझना जरूरी है कि राज्यपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और राजभवन सचिवालय से ही कुलपति की नियुक्ति की जाती है। फिर क्यों प्रो महावीर अग्रवाल के दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव को बार बार लिख कर समय वर्बाद कराया जा रहा है। क्या राजभवन में कुलपति के दस्तावेज नहीं हैं या फिर अपनी गर्दन बचाने के लिए गेंद कुलसचिव के पाले में डाली जा रही है। इस पूरे प्रकरण में कुलपति प्रो महावीर अग्रवाल की चुप्पी संदेह को और भी गहरा रही हैं। 

श्रम विभाग से खूब सजग रहें पत्रकार, आरटीआई में खुला उत्तरांचल के सूचना विभाग का झूठ

आज सूचना क्रांति के दौर में  भी उत्तराखंड का सूचना विभाग कितना चुस्त-दुरुस्त है, इसका अंदाजा इस बात से ही लग जाता है कि श्रम विभाग की नजर में देहरादून से प्रकाशित तीन अखबार अमर उजाला , दैनिक जागरण और हिंदुस्तान ने मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया है। झूठ की भी एक हद होती है। 

‘दबंग दुनिया’ अखबार के खिलाफ अधूरी आरटीआई पर अपील की चेतावनी

इंदौर (म.प्र.) : मालवीयनगर निवासी राजेंद्र शर्मा ने आरटीआई के तहत ‘दबंग दुनिया’ अखबार के संबंध में अपीलीय अधिकारी एवं क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त से मिली अधूरी जानकारी के विरुद्ध कोर्ट में मामला दायर करने की चेतावनी दी है।

इस तरह से होंगे लेबर विभाग में शिकायत के फॉरमेट और आरटीआई के फॉरमेट

मजीठिया वेज बोर्ड पाने की जंग अब कायदे से शुरू हो चुकी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी प्रदेशों के श्रम विभागों से तीन माह में जो स्टेट्स रिपोर्ट तलब की हैं, उसे अपने पक्ष में करने के लिए गेंद अब कर्मचारियों के पाले में है। लिहाजा अब अपने-अपने राज्य के श्रम विभाग को हरकत में लाने का समय आ गया है। इसके लिए सबसे पहले तो संबंधित यूनिटों के कर्मचारियों को अपने श्रम निरीक्षक या श्रम अधिकारी को अपने संस्था में मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने व माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सात फरवरी 2014 को आए निर्णय को लागू न किए जाने को लेकर शिकायत पत्र देना होगा। इसी के आधार पर श्रम निरीक्षक संबंधित संस्थान के संबंध में जांच पड़ताल शुरू कर पाएगा। इसके अलावा आरटीआई को भी हथियार बनाना पड़ेगा। इसके जरिये राज्य श्रम विभाग के निदेशालय से यह जानकारी मांगी जा सकती है कि विभाग ने अपने राज्य में प्रकाशित हो रहे समाचार पत्रों व यहां चल रही न्यूज एजेंसियों में मजीठिया वेज बोर्ड लागू करवाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। साथ ही विभाग के रिकार्ड के अनुसार कौन-कौन सा समाचारपत्र या न्यूज एजेंसी वेज बोर्ड के तहत एरियर व वेतन का भूगतान कर चुकी है। कुछ साथियों ने इसके लिए आवेदन के फारमेट पर असमंजस है। लिहाजा मैं इस संबंध में अपने अनुभव के आधार पर निम्म जानकारियां पहले एकत्रित करने की सलाह दूंगा। 

यूपी के सूचना आयुक्त ने एक और आरटीआई आवेदक से जबरन हस्ताक्षर कराया

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट ने एक बार फिर बुजुर्ग 69 वर्षीय आरटीआई आवेदक बालकिशन गुप्ता का उत्पीड़न किया है। अपेक्षित सूचना बिना उपलब्ध कराए ही आरटीआई आवेदक से ज़बरदस्ती उन्होंने ‘सूचना पूरी मिलने’ संबंधी पेपर पर हस्ताक्षर करा लिए। अब आवेदक ने राज्यपाल और सूचना आयोग से इसकी लिखित शिकायत की है। 

आरटीआई मांगने वालों की जांच नियमविरुद्ध, कड़ा ऐतराज़

लखनऊ : आरटीआई कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान द्वारा आरटीआई मांगने वाले लोगों पर सरकारी अधिकारियों द्वारा ब्लैकमैलिंग या रिश्वत मांगने के आरोपों की जांच कराये जाने पर कड़ा ऐतराज़ किया है.

यूपी में आरटीआई के तहत मांगी जानकारी तो देना पड़ेगा जुर्माना

अगर आप उत्तर प्रदेश में आरटीआई ऐक्ट (सूचना के अधिकार) के तहत जानकारी हासिल करने की सोच रहे हैं तो सावधानी के साथ कदम बढ़ाएं। अगर राज्य सूचना आयोग की चली तो वह आपको दंडित कर सकता है और आपको उस सरकारी विभाग को मुआवजा देने के लिए कह सकता है, जिससे आपने सूचना मांगी है। इससे भी परेशान करने वाली बात यह है कि आपको किस आधार पर मुआवजा देने को कहा जाएगा, यह भी पूरी तरह से सूचना आयोग की मर्जी पर निर्भर करेगा।

अंग्रेजी में आरटीआई नियमावली के ड्राफ्ट पर आपत्ति

लखनऊ : सामाजिक कार्यर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आरटीआई कार्यकर्ताओं महेन्द्र अग्रवाल, देवेन्द्र दीक्षित, सलीम बेग, अनुपम पाण्डेय के साथ मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को आरटीआई नियमावली, 2015 और उसके संलग्नकों के ड्राफ्ट मात्र अंग्रेजी भाषा में होने के सम्बन्ध में अपनी प्राथमिक आपत्ति प्रस्तुत की है. 

हिंदुस्तान टाइम्स् ने आरटीआई एक्टिविस्ट की इज्जत उछाल दी

हेलो सर, नमस्‍कार, मेरा नाम सुमेर लाल शर्मा है. मेरा मोबाइल नंबर 09983148394 है. मैं एक आरटीआई एक्‍टीविस्‍ट हूं. हिन्‍दुस्‍तान टाईम्‍स ने दिनांक 18 दिसम्‍बर 2014 को जयपुर एडिशन में मुख्‍य पेज पर मेरे खिलाफ अपुष्‍ट, मुझ से बिना किसी व‍िषय पर बात किये, निराधार, झूठी व मेरी इज्‍जत तार तार करने वाली खबर छाप दी. इस अंग्रेजी अखबार ने मेरी व उन सभी लोगों की जो आरटीआई एक्‍टीविस्‍ट एवं व्हिसल ब्लोअर्स हैं, की इज्‍जत सरेआम नीलाम कर दी.

जशोदा बेन की खबर दिखाने वाले डीडी अफसर को मिली ‘कालापानी’ की सजा, अंडमान द्वीप हुआ तबादला

इस देश में प्रेस आजाद है, शर्त बस यह है कि आप दूरदर्शन में काम न करते हों. और हां, खबर जशोदा बेन के बारे में न हो. अगर ये दोनों संयोग मिल जाएं तो फिर कोई गारंटी नहीं है. आपको पलक झपकते ‘कालापानी’ भेज दिया जाए तो भी कोई बड़ी बात नहीं. अहमदाबाद में तैनात दूरदर्शन अधिकारियों ने यही बात समझने में थोड़ी देर कर दी. जशोदा बेन की खबर दिखाने का नतीजा एक डीडी अधिकारी के तत्काल तबादले के रूप में सामने आ गया. बाकी अधिकारी भी सफाई देने में जुटे हैं.

यूपी में राज्य सूचना आयुक्त की कुर्सी की दौड़ में कौन-कौन पत्रकार और अफसर शामिल थे, पढ़ें उनका नाम

लखनऊ : जनसूचना अधिकार अधिनिमय (आरटीआई) ने जहां आम आदमी को राहत दी है,वहीं कई लोग सरकार से जानकारी हासिल करने के लिये इसे मजबूत हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। आरटीआई का पालन हो।जनता को मांगी गई सूचनाएं समय पर मिलें इसकी जिममेदारी तमाम सरकारी और अर्धसरकारी विभागों में  जनसूचना अधिकारियों के कंधों पर है। अगर कोई अधिकारी सूचना देने में आनाकानी करता है तो राज्य सूचना आयुक्तों का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। सूचना आयुक्त जानकारी न देने वाले अधिकारी को तलब कर सकता है और जरूरत पड़े तो जुर्माना भी लगा सकता है। यही वजह है सूचना आयुक्तों का पद काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट ने आरटीआई एक्टिविस्ट को डांटकर आफिस से बाहर निकाल दिया

326 प्रिंस काम्पलेक्स, हजरतगंज, लखनऊ निवासी पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट महेन्द्र अग्रवाल ने सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अभद्रता, दुर्व्यवहार करते हुए अपशब्दों का प्रयोग किया और सुनवाई कक्ष से बाहर निकाल दिया. मरेंद्र अग्रवाल ने बिष्ट की शिकायत प्रदेश के राज्यपाल सहित मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री उ.प्र. तथा मुख्य सचिव उ.प्र. से की है. शिकायती पत्र में महेंद्र ने यह भी कहा है कि उनके प्रकरण में असंवैधानिक आदेश दिया गया.

अखबार ऐसे विज्ञापन नहीं प्रकाशित कर सकते जो अश्लील या महिला विरोधी हों

नई दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने की नीति के अनुकरण में भारत सरकार प्रेस की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप नहीं करती है, फिर भी स्वनियमन के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई है।

मेरे साथ न्याय नहीं हुआ, बुलाया गया तो मोदी के साथ रहने दिल्ली जाऊंगी : जसोदा बेन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है और उन्हें वे सुविधाएं नहीं मिली हैं, जो एक पीएम की पत्नी होने के नाते उन्हें मिलनी चाहिए थीं। यदि उन्हें बुलाया जाता है तो वह दिल्ली मोदी के साथ रहने जाएंगी। सोमवार को मेहसाणा में स्कूटर की पिछली सीट पर बैठकर घर लौट रहीं जसोदाबेन से जब एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने पूछा कि उन्होंने आरटीआई आवेदन क्यों दिया है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय नहीं मिला है और कोई सुविधा भी नहीं मिल रही है।

बिहार में आरटीआई कार्यकर्ता पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाकर जेल भिजवाया

समस्तीपुर (बिहार) : पंचायत में चल रही विभिन्न विकासात्मक योजनाओं की जानकारी आरटीआई के तहत मांगे जाने से बौखलाये मुखिया ने वांछित जानकारी तो नहीं उपलब्ध कराई उल्टे आवेदक के खिलाफ रंगदारी की प्राथमिकी दर्ज कराकर उसे जेल जरूर भेज दिया. मामला समस्तीपुर जिला के हसनपुर प्रखंड का है.  फुलहारा पंचायत की मुखिया द्वारा हसनपुर थाना में रंगदारी मांगे जाने से संबंधित दर्ज कांड सं.-118/14 पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता ओमशंकर पोद्दार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

आरटीआई संगठनों ने यूपी के सूचना आयुक्तों को दी एक्ट पर खुली बहस की चुनौती, 12 अक्टूबर को करेंगे धरना-प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने  ‘तहरीर’ नामक  संस्था के साथ इकट्ठे होकर राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर 12 अक्टूबर 2014 को पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम में येश्वर्याज सेवा संस्थान, एक्शन ग्रुप फॉर राइट टु इनफार्मेशन, आरटीआई कॉउंसिल ऑफ़ यूपी, ट्रैप संस्था अलीगढ, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन, मानव विकास सेवा समिति, मुरादाबाद, जन सूचना अधिकार जागरूकता मंच, भ्रष्टाचार हटाओ देश बचाओ मंच, एसआरपीडी मेमोरियल समाज सेवा संस्थान, आल इण्डिया शैडयूल्ड कास्ट्स एंड शैडयूल्ड ट्राइब्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन आदि संगठन शिरकत कर रहे हैं।