मैंने फेसबुक पर अपने मित्रों से सबसे कम रेडिएशन वाले मोबाइल फोन के बारे में पूछा. इस पर कइयों ने कई ब्रांडनेम सजेस्ट किए लेकिन कुछ मजेदार टिप्पणियां आईं. सोशल मीडिया में विज्ञान और ब्रह्मांड मामलों के चर्चित लेखक विजय सिंह ठकुराय का साफ कहना है कि सभी मोबाइल रेडियो वेव्स पर कार्य करते हैं, रेडियो वेव्स इंसानी स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालती।
इनके जवाब में हांगकांग में रह रहे मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर कहते हैं- ‘radiation फिर भी होता है. हाँ, सैमसंग में काफी कम है. ऐपल में थोड़ा ज़्यादा. बाक़ी सहमत- कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता. डिस्क्लेमर: मैं ऐपल इस्तेमाल करता हूँ.’
समर के कथन के बाद विजय सिंह ठकुराय का जो जवाब आया वह ज्यादा इंटरेस्टिंग है. विजय लिखते हैं- ”कम रेडिएशन या ज्यादा रेडिएशन अपने उत्पाद बेचने के लिए पैदा किया गया बाजारवाद का ढकोसला है। रेडिएशन सिर्फ वह घातक होता है जिसकी वेवलेंग्थ इतनी सूक्ष्म हो कि आपके डीएनए को penetrate कर सके। उसके अलावा कोई रेडिएशन घातक नहीं है। हम सब रेडिएशन के समुद्र में हर पल नहाते हैं। चाहें सूर्य हो अथवा दीवारें, सिगरेट, किचन की आग या इंसानों के शरीर; दुनिया की हर चीज रेडिएशन उत्पन्न करती है और रेडियो वेव्स से कहीं अधिक ऊर्जावान रेडिएशन हमारा आपका शरीर उत्पन्न करता है। कुछ लोगों ने गप्प उड़ा दी कि मोबाइल से कैंसर होता है और उसी को पकड़ कर मोबाइल उत्पादक मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। रेडिएशन क्या है, यह इन्हें दूर-दूर तक नही पता। बस भेड़चाल चल रही है।”
वहीं टेक एक्सपर्ट अंकित माथुर कहते हैं- ‘SAR’ वैल्यू जानिए, *#07# डायल करके. सेफ लेवल 1.6 होता है. अंकित अपनी बात के समर्थन में एक डाक्यूमेंट भी अपलोड किए हैं जो यूं है-
युवा पत्रकार Ramji Mishra की टिप्पणी सबसे ट्रेडीशनल है. वे लिखते हैं- ”कम रेडिएशन के लिए सैमसंग या नोकिया के फोन ठीक रहेंगे. रेडियो तरंगे बहुत घातक हैं. कई कंपनियों के फोन जैसे लावा आदि के हृदय के दिशा में ऊपर की शर्ट वाली जेब में रखने पर दर्द उत्पन्न कर देता है. मेरा अनुभव है.”
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.