अमर उजाला इलाहाबाद के संपादक सचिन शर्मा पर उगाही के गंभीर आरोप उनके ही अधीन कार्य करने वाले एक पत्रकार ने लगाया है. आरोप लगाने वाले पत्रकार ने सुबूत के दौर पर कई आडियो रिकार्डिंग भी जारी किए हैं. एक आडियो रिकार्डिंग के बारे में बताया गया है कि इसमें सम्पादक जी सोसायटी के नाम पर पैसे मांग रहे हैं. दूसरी आडियो रिकार्डिंग इलाहाबाद यूनिट से जुड़े बड़ोखर सम्वाददाता की बातचीत है. तीसरे आडियो टेप में भाजपा नेता संजीव जायसवाल से बातचीत है.
संपादक सचिन शर्मा पर उगाही के आरोप लगाने वाले और सुबूत के तौर पर आडियो टेप जारी करने वाले नैनी, इलाहाबाद के पत्रकार मिथलेश त्रिपाठी द्वारा अमर उजाला के मालिक राजुल माहेश्वरी को भेजा गया पत्र इस प्रकार है….
सेवा में
श्रीमान प्रबन्ध निदेशक
अमर उजाला।
महोदय
मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि मैं आपके सम्मानित अख़बार अमर उजाला में नैनी कार्यालय में कार्य कर रहा था। 8 मई 2015 को मैने ज्वाइन किया था। अगस्त महीने तक सब ठीक चला लेकिन बाद में उन्होंने (संपादक सचिन शर्मा) पैसे की मांग करना शुरू कर दिया। सीतामढ़ी, नेपाल और अमरकंटक टूर पर जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने की बात करने लगे। दो बार तो हमने काम को बचाये रखने के लिए दोस्तों से और अपने घरवालों से लेकर किसी तरह से गाड़ी करा दी। लेकिन उनकी आदतें दिन पर दिन बिगड़ती गयी।
उसके बाद सम्पादक जी ने पैसे की मांग करना शुरू कर दिया। जिला पंचायत और प्रधानी के चुनाव में भी हमने करीब दो लाख का विज्ञापन दिया जिसमे भी सम्पादक जी ने खबर छापने के लिए विज्ञापन के नाम पर एक लाख रूपये ले लिए। प्रत्याशी भी अपनी खबरों को प्रकाशित कराना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पैसे दे दिए थे। इसके बाद प्रत्याशियों की खबर विज्ञापन के साथ लगी। इतना ही नहीं, ब्लाक प्रमुख के चुनाव में जसरा इलाके की खबरों को लगवाने के लिए रूपये लिए थे।
घूरपुर में लड़के की ज्वाइनिंग के लिए भी बीस हजार रूपये लिए थे। इसके बाद इन्होंने नैनी के एक हिस्ट्रीशीटर पप्पू गजिया से मिलाने के लिए कहा तो इन्हें उसके फार्म हॉउस पर शनिवार के दिन मुलाक़ात करवाया था। उनसे मिलवाने के बाद में मैं पूरी तरह से परेशान हो गया। इनकी मांगे बढ़ता देख मैं इनकी बातों को रिकार्ड करने लगा। इन्होंने मुझे अपने घर पर किसी सोसाइटी में दान देने के नाम पर 30 हजार और अपनी बेटी का खाता खुलवाने के नाम पर अलग से पैसे पप्पू गजिया से मांगने को कहा तो मैने टालमटोल करते हुए मामले को टरकाने लगा।
लेकिन सर ने कई बार दबाव बनाया। मैं इनकी बातों को रिकार्ड कर रहा था। अंत में इन्हें खुदकी बातों की रिकार्डिंग के बारे में किसी से जानकारी हुई तो मुझे घर पर बुलाकर मेरा मोबाईल चेक किया और फार्मेट मार दिया। कोई भी बात करने के लिए मुझे घर पर ही बुलाते थे। रिकार्डिंग की जानकारी होने पर इन्होंने हमे 25 अप्रैल को हटा दिया। सर यही नौकरी ही मेरा सहारा था। श्रीमान जी से अनुरोध है कि मेरी बातों और इस रिकार्डिंग पर विश्वास करते हुए मुझे न्याय दिलाने की कृपा करें।
प्रार्थी आपका सदैव आभारी रहेगा।
प्रार्थी
मिथलेश त्रिपाठी
नैनी, इलाहाबाद
इस पूरे प्रकरण में संपादक सचिन शर्मा का पक्ष जानने के लिए नीचे दिए गए शीर्षक पर क्लिक करें :
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