अमर उजाला इलाहाबाद के संपादक सचिन शर्मा ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में खुद पर लगाए गए उगाही के आरोपों के बाबत कहा कि उन्होंने पैसे बिलकुल नहीं लिए. पैसे के लिए जो बात हुई थी, वह साफ तौर पर फाउंडेशन / समिति की खातिर की गई थी और यह फाउंडेशन दरअसल अमर उजाला फाउंडेशन है जिसे बार बार समिति के रूप में कहा जा रहा है. मेरी अपनी कोई निजी समिति या फाउंडेशन नहीं है. जो आदमी मिथलेश त्रिपाठी आरोप लगा रहा है उसे पंचायत चुनाव में गड़बड़ियों के आरोप में निकाल दिया था चार पांच महीने पहले, वह तभी से मेरे खिलाफ अनर्गल प्रलाप कर रहा है.
इस मिथलेश त्रिपाठी ने एक व्यक्ति को नौकरी पर रखने के लिए कहा और उस व्यक्ति से पैसे भी ले लिए. इस कारण मिथलेश के खिलाफ एफआईआर के लिए तहरीर भी पीड़ित ने दी. घपले, घोटाले और वसूली में लिप्त मिथलेश के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी तो वह मेरे खिलाफ एकतरफा दुष्प्रचार में संलग्न हो गया. सचिन के मुताबिक वह मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. वह स्थानीय स्तर पर किसी से कोई निजी लेन देन नहीं करते न किसी को जानते हैं. जिस सपा नेता से पैसे लेने की बात कही गई है वह सपा नेता पहले ही कह चुका था कि अमर उजाला के सोशल काज वाले कार्यक्रमों में वह मदद करेगा. हालांकि इस आदमी से पैसे लिए नहीं गए. अमर उजाला फाउंडेशन ब्लड डोनेशन कैंप से लेकर कई किस्म की सामाजिक गतिविधियां करता है. इसके लिए अखबार स्थानीय तौर पर मदद / स्पांसरशिप लेता है. इसी कार्यक्रम की खातिर बात हुई थी.
सचिन के मुताबिक हम लोगों ने एक गरीब छात्र जिससे आईआईटी की फीस नहीं जमा हो रही थी, उसकी फीस जमा करवाई, एक बीमार गरीब बच्चे का सफल आपरेशन इलाज करवाया और इस नेक काम के लिए दसियों लाख रुपये एकत्र किए. अब कोई ऐसे पैसे के लिए कहे कि वसूली कर रहे हैं तो वह सरासर मानसिक रूप से दिवालिया होगा. सचिन ने बताया कि इस मिथलेश नामक पत्रकार को उन्होंने गड़बड़ी में लिप्त पाए जाने पर निकाला, यही आडियो सुनाता फिर रहा है और उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहा है जबकि जो भी सारी बातचीत है वह कंपनी के कामकाज के लिए है, उनका कोई निजी तौर पर किसी से कोई इनवाल्वमेंट नहीं है.
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