सुब्रत राय की सुनहरी ऐयाशियों की अट्टालिका जब ढहने लगी तो अब शुरू हो गया है सहारा इंडिया में आत्महत्याओं का भयावह दौर। सूत्र बताते हैं कि शुरूआत में यह दौर कर्मचारियों की आत्महत्याओं का है, इसके बाद तो सामान्य निवेशकों का दौर शुरू होगा जिन्होंने अपनी जीवन की सारी जमा-पूंजी सुब्रत राय के दिखाये सुनहले सपनों पर न्योछावर कर दी है।
खबर है कि अकेले लखनऊ में सहारा के कम से कम तीन कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली। सबसे दर्दनाक मौत तो हुई प्रदीप मण्डल की, जिसने सहारा इंडिया के सहारा टॉवर की नौवीं मंजिल से कूद कर अपने शरीर के चीथड़े बिखेर दिये। पिछले 6 महीनों से वह बिना वेतन के न जाने कैसे जी रहा था। भूखे बच्चे और असहाय बीवी की पीड़ा जब सहन नहीं कर पाया 47 बरस का प्रदीप मण्डल, तो उसने इहलीला खत्म कर दी।
समय सहारा के कर्मचारी लक्ष्मीनारायण तिवारी गोरखपुर के रहने वाले थे, लेकिन उनकी तैनाती लखनऊ में थी। वेतन मिलना बंद हो गया तो परिवार में तबाही के लक्षण दिखने लगे। बताते हैं कि उसने कई बार अपने मित्रों से कहा था कि हालत न ठीक हुए तो वह आत्महत्या कर लेगा। और आखिरकार पिछले दिनों तिवारी ने खुद को खत्म ही कर दिया। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि यह हार्ट अटैक का मामला था। लेकिन अगर ऐसा ही था, तो भी बेचारा दिल आखिरकार कितनी दिन बर्दाश्त कर पाता। बताते हैं कि सहारा स्टेट में उसके घर के बाहर सहारा वालों ने अपने गार्ड तैनात कर दिये हैं, ताकि कोई खबर न लीक हो जाए।
उधर दिल्ली में तैनात और गोरखपुर का रहने वाला अमित पाण्डेय सहारा समय में सब एडीटर के पद पर तैनात था। छह महीनों तक जब वेतन नहीं मिला तो वह अपने घर लौटने के लिए लखनऊ होते गोरखपुर की ओर बढ़ा। सूत्र बताते हैं कि अचानक उसकी तबीयत खराब हुई। शायद उसने कुछ जहरीली सामग्री खा ली थी। वह सहारा अस्पताल की ओर भागा, लेकिन पैसा न होने के चलते उसको एडमिट नहीं किया गया। आखिरकार उसके कुछ मित्र उसे लेकर जनता अस्पताल ले गये, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी।
यह खबर मिलते ही आनन-फानन सहारा के आला अफसरों ने उसकी लाश गोरखपुर की ओर रवाना की और उसका सारा बकाया पैसा फौरन अदा कर दिया। बीती दोपहर उसका ब्रह्मभोज सम्पन्न हो गया। हे ईश्वर। इस बेशर्म सुब्रत राय के सहारा इंडिया में आत्महत्याओं का दौर आखिर यह कब तक चलेगा ?
कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से
Comments on “कब थमेगा सहारा इंडिया में आत्महत्याओं का दौर, हालात भयावह”
इतना भी भयावह हालात नही जितना बताया जा रहा हैं संकट किस घर में नही आते, क्या लोग वे दिन भूल गये जब जॉब सिक्योरिटी सहारा में ही होती थी और आज भी हैं।
100% Right Mr. Negi, sahara group job as like government job. Forget this one year sahara always rise.
Ye sab faltu bakwas hai sahara India me kabhi aisa din nahi aayega