Vishwanath Chaturvedi : सुब्रत की बेनामी सम्पत्तियों और राजनेताओं के नापाक गठबंधन के लिए कोर्ट मानिटरिंग में सीबीआई जाँच के बगैर 40 हज़ार करोड़ की वसूली नामुमकिन! सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दो सालों से जेल में बंद सुब्रत राय के वकीलों की दलील ठुकराते हुए सेबी को सम्पत्तियों की नीलामी का निर्देश दे दिया। सेबी अधिकारियों द्वारा किये गए आंकलन के मुताबिक़ मौजूदा सम्पत्ति 15 हज़ार करोड़ से कम की है। आप लोगों को लखनऊ के सहारा शहर के बारे में जानकारी नहीं होगी। उक्त सम्पत्ति एक रुपये पच्चासी पैसे एकड़ की दर से मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री काल 1994 में ग्रीन बेल्ट के विस्तार के लिए मात्र 30 सालों के लीज़ पर दी गई थी। उक्त सम्पत्ति को नगर निगम लखनऊ को वापिस करने के लिए 2005 में मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी।
उक्त याचिका में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह द्वारा 1999 में सहारा शहर को खाली कराये जाने के निर्देश, लॉ सेक्रटरी की क़ानूनी सलाह, एलडीए के वीसी श्री विनोद चौबे की सहारा सहर को खाली कराये जाने के निर्देशों की कापी लगाकर याचिका दाख़िल की थी। लेकिन उस वक्त के जज बी एन श्री कृष्णा एवं श्री H K SEMA की बेंच ने बिना सुने याचिका ख़ारिज कर दी थी। चूँकि दस्तावेज़ पिटारे से बाहर थे, सो जब सेबी सर्वोच्च अदालत आयी तो सेबी में सहारा श्री द्वारा नगर निगम की किराये की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति बता कर मॉरगेज करा रखी गई थी। मैंने भी विशेष अनुमति याचिका डालकर कोर्ट व सेबी को तथ्यों-सबूतों से अवगत कराया और कोर्ट से सीबीआई जाँच की मांग और नगर निगम की सम्पत्ति वापिस दिलाने की भी मांग की थी। कोर्ट ने हाइकोर्ट जाकर पिटीशन दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि हाइकोर्ट नहीं सुनती तो सुप्रीम कोर्ट अप्रोच कर सकते हो।
आज कोर्ट द्वारा सहारा की सम्पत्तियों की नीलामी के निर्देश के बाद उम्मीद बंधी है कि लखनऊ वालों को 1996 से अनधिकृत रूप से काबिज़ सहारा सहर की भूमि भी नगर निगम को वापिस मिलेगी। 2 सालो से कैद में सहारा श्री से बेनामी पैसा लगाने वाले राजनेताओ द्वारा लिखाई गई सम्पत्तियो की भी जाँच की आवश्यकता है। यह सीबीआई व ईडी जाँच के बिना 40 हज़ार करोड़ की वसूली हो पाना नामुमकिन है। उ प्र में सत्तारूढ़ दल के मुखिया मुलायम सिंह और सुब्रत राय के सम्बन्ध सर्वविदित हैं और सुब्रत राय के जेल जाने के बाद मुलायम द्वारा लगाई गई बेनामी पूंजी के बदले बहुत सारी संपत्तियों की रजिस्ट्री करा ली गई है। इसलिए 40 हज़ार करोड़ की वसूली के लिए सीबीआई और ईडी जाँच जरूरी है।
कई बड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से.