सोचता हूं एक रिक्शे की चपेट में आकर जब मुझे इतनी चोट लग सकती है कि घर और अस्पताल सब एक हो जाए, मेरे साथ मेरे दोस्त और परिजन भी बेहद परेशान हो जाएं तो फिर सोचिए सलमान जैसे सेलिब्रेटिज और रईसजादों की महंगी और भारी भरकम कारों की मार कितनी खतरनाक होती है। घायल और पीड़ित परिवारों पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ता है।
सलमान लाख पश्चाताप के तौर पर गरीबों और कमजोरों की भलाई कर डाले, करोड़ों की रकम दान कर दे लेकिन इससे उसका अपराध कम नहीं हो सकता है। उस पर से दुख तब और बढ़ जाता है, जब पूरा बॉलीवुड सलमान से तो सहानुभूति जतलाता दिखता है लेकिन उनकी कार से कुचले लोगों को लेकर जरा भी फिक्र नहीं दिखाता है। जबकि पीड़ित चीख चीखकर कह रहे हैं कि उन्हें तो सलमान के जेल जाने से ज्यादा खुशी तब होती, जब उन्हें आगे की जिंदगी जीने के लिए पैसे दिए जाते।
आम जनता को सपने बेचकर करोड़ों कमाने वाले सितारों को भला उनकी जिंदगी से क्या मतलब। उनका दुख तब और बढ़ जाता है, जब मरहम लगाने की बजाय उन्हें गहरा जख्म देते हुए कोई यहां तक कह देता है कि “गरीब मरे तो मरे उसका जन्म ही कुत्ते की मौत मरने के लिए हुआ है।” ….फुटपाथों पर लाचार जिंदगी, कारें दौड़ाती मदमस्त जिंदगी, अमीरी का खुमार ज्यों ज्यों बढ़ता, गरीबों की दम तोड़ती जिंदगी।
लेखक अश्विनी शर्मा कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं और इन दिनों दिल्ली से संचालित ‘एपीएन’ न्यूज चैनल में कार्यरत हैं