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सांघी जी हैदराबाद से पटना आ गये, लेकिन पुराने कर्मचारियों की सुध नहीं ले रहे

Pravin Bagi : पटना-रांची के बीच गौरव ट्रेवल्स की वोल्वो बस चलती है। कई अन्य शहरों के लिये भी उसकी बस चलती है। इसके मालिक हैं गिरीश सांघी। राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं। सांघी हैदराबाद के बडे उद्योगपति हैं। रामोजी फिल्मसिटी के पास काफी बडे एरिया में सांघी नगर बसा हुआ है। भाईयों के झगडे में उद्योग बंद हो गया। कर्मचारियों का वर्षों का वेतन नहीं मिला।

<p>Pravin Bagi : पटना-रांची के बीच गौरव ट्रेवल्स की वोल्वो बस चलती है। कई अन्य शहरों के लिये भी उसकी बस चलती है। इसके मालिक हैं गिरीश सांघी। राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं। सांघी हैदराबाद के बडे उद्योगपति हैं। रामोजी फिल्मसिटी के पास काफी बडे एरिया में सांघी नगर बसा हुआ है। भाईयों के झगडे में उद्योग बंद हो गया। कर्मचारियों का वर्षों का वेतन नहीं मिला।</p>

Pravin Bagi : पटना-रांची के बीच गौरव ट्रेवल्स की वोल्वो बस चलती है। कई अन्य शहरों के लिये भी उसकी बस चलती है। इसके मालिक हैं गिरीश सांघी। राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं। सांघी हैदराबाद के बडे उद्योगपति हैं। रामोजी फिल्मसिटी के पास काफी बडे एरिया में सांघी नगर बसा हुआ है। भाईयों के झगडे में उद्योग बंद हो गया। कर्मचारियों का वर्षों का वेतन नहीं मिला।

सांघी जी हैदराबाद से पटना आ गये, नया कारोबार शुरू कर दिया। लेकिन अपने पुराने कर्मचारियों की सुध नहीं ले रहे। सेज के तहत सांघी नगर के पास काफी जमीन भी एलाट करा रखा है।कोई उद्योग तो नहीं लगा़या हां पहाड काट काट कर पत्थर बेच रहें हैं, जो नियम विरूद्ध है। सांघी जी के तो मजे हैं, भूखे मर रहे हैं बेचारे मजदूर। सरकार भी मजदूरों की सुध नहीं ले रही, लेकिन सांघी जी की मदद जरूर कर रही है। यही हमारे देश की व्यवस्था है।

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बिहार के पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं…

Mukutdhari Agrawal ये संभवतः हैदरबाद से कोई हिन्दी समाचारपत्र भी निकालते थे। एक बार ये भागलपुर आए थे जब ये अखिल भारतीय वैश्य महासभा के अध्यक्ष थे। वे बता रहे थे कि सीएम नायडू ने उन्हें बहुत मदद की थी और उन्हें उद्योग लगाने के लिए जमीन दी है। यह बात करीब 8-10 वर्ष पुरानी है।

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Pravin Bagi बिल्कुल सही कहा आपने। अखबार का नाम वार्ता है। अभी भी अखबार निकल रहा है। वैश्य समाज के नाम पर काफी लाभ उन्होंने लिया है।

Vidyut P Maurya स्वतंत्र वार्ता जिसके संपादक कभी राधेश्याम शुक्ला थे

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Savitasingh Nepali जी, सांघीजी को मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूँ। इसके साथ ही कोई अखबार के साथ भी जुड़े हैं। दिल्ली में ही बता रहे थे। लेकिन ये कारनामा नहीं जानती थी जबकि पैसे की इनके पास कोई कमी नहीं है।

Vijay Tiwari गरीबों व मजदूरों की हितैसी सरकार क्या कर रही है… मालिक सांसद बन गए हैं तो कोई कुछ बिगाड सकता है क्या..जागरण के परिवार में रिश्तेदारी भी है..मीडिया और नेता का गठजोड़ मजदूरों के बारे में क्या सोचेगा…

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Manoj Kumar जिस कांग्रेस ने मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ जमीन-आसमान एक कर दिया था.. उसी कांग्रेस ने संघी को मालामाल किया था.. सेज के नाम पर सैंकड़ों एकड़ जमीन दी.. और उस जमीन पर कौन सी आर्थिक गतिविधि चल रही है.. वो अनर्थशास्त्री आसानी से बता सकते हैं..

Shekhar Raj संघी जी बिहार एवं बिहार सरकार दोनों को लूट रहे हैं… पर्यटन निगम तथा राज्य ट्रांस्पोर्ट निगम दोनों का करोड़ो रूपया दबाये बैठे हैं… ई सोचे थे बिहार में बस चलाकर नितीश जी को भरमाकर राज्य सभा पहुंच जायेंगे, परंतु उन्हें पता नहीं था कि बिहारी को बेवकूफ बनाना आसान नहीं।

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