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सुख-दुख

अच्छा खासा जीवन चल रहा था संजीव का, लौंडियाबाजी की लत ने बर्बाद कर दिया!

संजीव मिश्रा कभी दैनिक जागरण कानपुर के चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे. बतौर सिटी चीफ उनकी तूती बोलती थी कानपुर में. वे दैनिक जागरण कानपुर के मालिकों के आंखों के तारे दुलारे थे. नौकरी करते पढ़ते लिखते वे डाक्टर भी हो गए. सो, उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर की एक ठीकठाक नौकरी जुगाड़ ली. जीवन अच्छे से सेटल हो गया था. पर उनकी एक बुरी लत ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा.

संजीव मिश्रा कानपुर में जिस HBTI में असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ करते थे, वहां MBA कर रही एक छात्रा के पीछे प्यार में पागल हो गए. लड़की उनके पद व उनकी उम्र का लिहाज करते हुए काफी दिन तक उन्हें बर्दाश्त करती रही, समझाती रही, सुधरने के मौके देती रही पर संजीव पर तो जैसे प्यार का भूत सवार था.

लड़की कहती है कि डॉ संजीव ने ऑनलाइन क्लास में कई बार ‘आई लव यू’ बोला था. वे अश्लील बातें करते थे. एकांत में बुलाते थे.

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लड़की ने बहुत कुछ आरोप लगाए हैं जिसका एक हिस्सा एफआईआर में नीचे देख सकते हैं.

लड़की ने अपने आरोपों के समर्थन में कुछ काल रिकार्डिंग भी पुलिस को दी है.

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इस कहानी का द एंड यूं है कि संजीव मिश्रा पर कानपुर के नवाबगंज थाने में एफआईआर दर्ज हो गई. उनकी प्रोफेसरी चली गई. सामाजिक इज्जत की जो ऐसी तैसी हुई है, वो अलग.

छात्रा के साथ छेड़ छाड़ करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर को आंतरिक समिति ने दोषी माना, इसी आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर संजीव मिश्रा को बर्खास्त कर दिया गया। उनके कालेज परिसर में आने जाने पर भी पाबंदी लगाई गई। खास बात ये है कि आंतरिक समिति जब दोषी करार देती है तो हाई कोर्ट भी कोई रियायत नहीं देती है वहीं यदि आंतरिक समिति दोष मुक्त करती तो हाई कोर्ट भी उसे सकारात्मक लेती है।

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तो पत्रकार बंधुओं, सबक ये है कि दिल बार बार शरीर से बाहर निकलने को बेताब हो तो भी लड़की की मर्जी के बगैर उसके पीछे न पड़ो वरना संजीव मिश्रा वाला हाल होगा.

मीडिया में कई ऐसे ठरकी हैं जो लड़की देखते ही पगला जाते हैं. नोएडा का एक ठरकी संपादक आजकल चर्चा में बना हुआ है जिसके ठरकपन के कारण उसका घर टूटने की कगार पर है लेकिन वो अब भी अपनी आदत सुधारने की बजाय दूसरों को सुधारने के अभियान में लगा हुआ है!

पता चला है कि संजीव मिश्रा कांड को अमर उजाला ने छापने में कोताही बरती. बहुत दबा छुपा कर छापा. दैनिक जागरण ने संजीव की बर्खास्तगी की खबर को प्रमुखता से छापा जबकि अमर उजाला ने इस समाचार को प्रकाशित करने में कोताही की है।

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स्टेप एचबीटीआई असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा छात्रा से छेड़छाड़ मामले में आंतरिक समिति गठित संबंधी खबर को अमर उजाला ने संक्षेप में छापना उचित समझा। हिंदुस्तान ने असिस्टेंट प्रोफेसर पर आरोपों की जांच में इंटरनल कमेटी गठित करने का समाचार विस्तार से प्रकाशित किया है।

कानपुर के तीन प्रमुख समाचार पत्रों में से दो समाचार पत्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पूर्व में दैनिक जागरण में ब्यूरो प्रमुख रहे व्यक्ति पर एक छात्रा से छेड़छाड़ की प्राथमिकी का समाचार प्रकाशित किया है, जिसके पर्याप्त सुबूत भी पेश किए हैं। हिंदुस्तान समाचार पत्र ने इस समाचार को पर्याप्त स्थान दिया है जबकि दैनिक जागरण ने केवल समाचार प्रकाशित करने का शगुन भर किया है जबकि अमर उजाला ने इस समाचार को प्रकाशित करना ठीक नहीं समझा है।

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किसी भी समाचार पत्र ने शिक्षण संस्थान में विशाखा आंतरिक समिति है या नहीं को लेकर सवाल नहीं उठाया जबकि निजी एवं सरकारी सभी संस्थान जिसमें 20 कर्मचारी काम करते हैं, आंतरिक समिति पहले से ही गठित होना अनिवार्य है। आंतरिक समिति की सालाना रिपोर्ट प्रशासन के पास भेजा जाना भी अनिवार्य है। कमिश्नर पुलिस ने भी संस्थान के प्राचार्य से आंतरिक समिति के बारे में जानकारी नहीं ली। ऐसा ही एक मामला आई आई टी कानपुर में संज्ञान में आया था, जांच में आंतरिक समिति ने मामला सही पाया था और प्रोफेसर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।

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