मोदी के कब्जे में मीडिया, मीडिया को भी डर लगता है साहब… तथ्यों के साथ देखिए।
मीडिया गोदी में किस तरह है, उसका आज मैं आपको सबसे सटीक और ताजा उदाहरण देने जा रहा हूं. खबरों को सच्चाई के साथ जनता तक पहुंचाने का दावा करने वाले न्यूज़ चैनल अपने रिपोर्टर्स को क्या दिशा निर्देश दे रहे हैं, इसका खुलासा आज मैं करूंगा…
ये वही न्यूज़ चैनल हैं जो देश की जनता की आवाज बनने का दावा करते हैं लेकिन क्या करें, उनकी मजबूरी है, अगर बात नहीं मानेंगे तो कुछ नहीं कर पाएंगे….
सत्ता हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे बड़ा काम किया, उन्होंने उस मीडिया को कब्जे में कर लिया जिस मीडिया की बदौलत वो प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे…
आज हम न्यूज़ चैनल की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हैं लेकिन यह नहीं बताते कि उनकी मजबूरी क्या है…
हाल ही में शुरू हुए एक नेशनल न्यूज़ चैनल के एक वाट्सअप ग्रुप का स्क्रीनशॉट यहां शेयर कर रहा हूं. इससे पता चलता है कि मीडिया आज आजादी से काम नहीं कर रहा, वह जनता को गुमराह कर रहा है. वह किसी पार्टी की ब्रांडिंग करने के लिए काम कर रहा है. आने वाले चुनाव में योगी जी की छवि को बचाने के लिए सारा ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ा जाना है…
इसके लिए तमाम न्यूज़ चैनल यूपी में फील्डिंग बिछाने का काम शुरू कर चुके हैं.. कुछ को तो आप टीवी पर देख कर समझ पा रहे होंगे और कुछ इस तरह चुनावी दिशा निर्देश अपने रिपोर्टर्स को दे रहे हैं… हैरानी की बात है कि रिपोर्टर्स भी हां सर..यस सर… बढ़िया आईडिया सर करते हुए जवाब दे रहे हैं…
आने वाले चुनाव में जनता का विवेक सबसे बड़ा फैसला करेगा… क्या ज़मीनी सच्चाई तक जनता पहुंच पाएगी, ये अधिकारी, नेता, पुलिस और पत्रकारों के सामूहिक गठजोड़ को समझ पाएगी… इसका फैसला 2022 के चुनाव में होगा..
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.