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मुंबई में इंडियन एक्सप्रेस, फ्री प्रेस, मुंबई मराठी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब को मिली हुई है सरकारी जमीन

मुंबई : अखबार मालिक अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड देने के लिये पैसा ना होने का भले ही बहाना करें मगर सरकार से सस्ते दर पर जमीन पाने के लिए ये लार टपकाए रहते हैं. ये अखबार मालिक सारा मुनाफा लाभ खुद दबाए रखना चाहते हैं और सरकार से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सब कुछ मुफ्त में मिल जाए. पत्रकार संगठनों को इन मालिकों ने अपना पिछलग्गू बना लिया है जिसके कारण ये पत्रकार नेता भी मालिकों और सरकार से कई किस्म के लाभ पाकर चुप्पी साध जाते हैं. ये पत्रकार संगठन भी मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई नहीं लड़ रहे. पत्रकार संगठनों के नेताओं को खुलकर सामने आना चाहिये पर ये पदाधिकारी चुप हैं. पत्रकार संगठनों और प्रेस क्लबों को भी सरकार की तरफ से सस्ते दर पर जमीन दी गयी है. यह खुलासा किया है मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने.

<p>मुंबई : अखबार मालिक अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड देने के लिये पैसा ना होने का भले ही बहाना करें मगर सरकार से सस्ते दर पर जमीन पाने के लिए ये लार टपकाए रहते हैं. ये अखबार मालिक सारा मुनाफा लाभ खुद दबाए रखना चाहते हैं और सरकार से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सब कुछ मुफ्त में मिल जाए. पत्रकार संगठनों को इन मालिकों ने अपना पिछलग्गू बना लिया है जिसके कारण ये पत्रकार नेता भी मालिकों और सरकार से कई किस्म के लाभ पाकर चुप्पी साध जाते हैं. ये पत्रकार संगठन भी मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई नहीं लड़ रहे. पत्रकार संगठनों के नेताओं को खुलकर सामने आना चाहिये पर ये पदाधिकारी चुप हैं. पत्रकार संगठनों और प्रेस क्लबों को भी सरकार की तरफ से सस्ते दर पर जमीन दी गयी है. यह खुलासा किया है मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने.</p>

मुंबई : अखबार मालिक अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड देने के लिये पैसा ना होने का भले ही बहाना करें मगर सरकार से सस्ते दर पर जमीन पाने के लिए ये लार टपकाए रहते हैं. ये अखबार मालिक सारा मुनाफा लाभ खुद दबाए रखना चाहते हैं और सरकार से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सब कुछ मुफ्त में मिल जाए. पत्रकार संगठनों को इन मालिकों ने अपना पिछलग्गू बना लिया है जिसके कारण ये पत्रकार नेता भी मालिकों और सरकार से कई किस्म के लाभ पाकर चुप्पी साध जाते हैं. ये पत्रकार संगठन भी मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई नहीं लड़ रहे. पत्रकार संगठनों के नेताओं को खुलकर सामने आना चाहिये पर ये पदाधिकारी चुप हैं. पत्रकार संगठनों और प्रेस क्लबों को भी सरकार की तरफ से सस्ते दर पर जमीन दी गयी है. यह खुलासा किया है मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने.

शशिकांत सिंह ने आरटीआई के जरिये पहले यह पता लगाने का प्रयास किया कि महाराष्ट्र सरकार ने किस किस अखबार प्रबंधन / कंपनियों को सरकारी दर पर जमीन दी है. पता चला कि सभी दस्तावेज मंत्रालय में कुछ साल पहले लगी आग में जल गए हैं, इसलिये सूचना नहीं दी जा सकती है. उसके बाद शशिकांत सिंह ने जिलाधिकारी और जिलादंडाधिकारी, मुंबई शहर जिला से आरटीआई डालकर यह जानकारी मांगी कि किन किन अखबारों को सरकारी जमीन सस्ते दर पर दी गयी है. इसमें पहले चरण में चार नाम सामने आये जिसमें पहला नाम है इंडियन एक्सप्रेस न्यूज पेपर्स बांबे लिमिटेड मुंबई और दूसरा नाम सामने आया फ्री प्रेस जनरल इस्टेट प्राईवेट लिमिटेड मुंबई. इनके अलावा मुंबई मराठी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब मुंबई को भी सरकारी जमीन दी गयी है. यह जानकारी जिलाधिकारी और जिलादंडाधिकारी, मुंबई शहर जिला के जनमाहिती अधिकारी ने देते हुये लिखा है कि उनके पास जिस समय जमीन आवंटित की गयी, उस समय के इन चार संस्थाओं के कर्मचारियों की सूची नहीं है. यानि सरकारी रिकार्ड बता रहा है कि इंडियन एक्सप्रेस और फ्री प्रेस ने सस्ते दर से सरकार से जमीन ली है.

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शशिकांत सिंह ने स्पष्ट कहा है कि करोड़ों रुपये की ये जमीन निश्चित ही सरकार से कुछ हजार या लाख रुपये में ली गयी होगी. शशिकांत ने कहा कि वे इन जमीनों का आवंटन रद्द कराने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे. इसके लिये भले उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक एक बार फिर जाना रहेगा तो वे जायेंगे. पत्रकारों के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने वाले इन अखबार मालिकों और मुंबई मराठी पत्रकार संघ तथा प्रेस क्लब की सच्चाई सामने लायेंगे. साथ ही वे मुंबई के कई और अखबार मालिकों द्वारा हथियाये गये सरकारी दर पर सस्ती जमीन का पूरा कच्चा चिट्ठा एक एक कर लोगों के सामने लायेंगे. आपको बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले दिनों रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार वितरित किया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि थे.

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५

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