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एसजीपीजीआई के डाक्टरों की घोर लापरवाही पर उपभोक्ता आयोग ने लगाया 49 लाख रुपये का जुर्माना!

बच्चे को ब्लड कैंसर था और उसका इलाज बाल रोग विशेषज्ञ करते रहे… ये एसजीपीजीआई का हाल है…

उपेक्षापूर्ण और लापरवाही से कैन्‍सरग्रस्‍त बच्‍चे का इलाज करने के कारण उत्‍तर प्रदेश राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग के पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह ने विपक्षीगण पर कुल 49.00 लाख रू0 का जुर्माना लगाया है जो निर्णय के 45 दिन के अन्‍दर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ दिनांक 01-06-1994 से देना होगा और अगर 45 दिन में भुगतान नहीं किया गया तब ब्‍याज की दर 15 प्रतिशत देनी होगी जो दिनांक 01-06-1994 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक देनी होगी।

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न्यायिक सदस्‍य राजेन्‍द्र सिंह

परिवादी राजेन्‍द्र नाथ केसरवानी के एक मात्र पुत्र हर्षित केसरवानी को इलाज के लिए एस0जी0पी0जी0आई0 में वर्ष 1994 में भर्ती किया गया था जहॉं पर उसका इलाज डॉ0 पियाली भट्टाचार्या, डॉ0 सोनिया नित्‍यानन्‍द, डॉ0 चन्‍द्रशेखर तथा डॉ0 नेगी ने किया। भर्ती होने के दिन ही यह मालूम हो गया कि बच्‍चे को एक्‍यूट लिम्‍फोब्‍लास्टिक ल्‍यूकेमिया अर्थात् ब्‍लड कैन्‍सर है। इसके बाबजूद उसका इलाज बाल रोग विशेषज्ञ करती रहीं और उसे इम्‍यूनोलाजी विभाग में नहीं भेजा गया जिससे उसकी हालत बिगड़ती रही। अन्‍त में उसे इम्‍यूनालाजी विभाग भेजा गया लेकिन तब तक डॉक्‍टरों के हाथ से मामला निकल चुका था।

बोन मैरो प्रत्यारोपण, कीमोथिरेपी तथा रक्‍त चढ़ाने के बाद भी हालत पर काबू नहीं पाया गया और अन्‍तत: उस बच्‍चे की मृत्‍यु जून, 1994 में हो गई। मृत्‍यु के समय बच्‍चे की आयु 07 वर्ष थी अर्थात् जिस समय उसे भर्ती किया गया था अर्थात् दिनांक 26-11-1992 को बच्‍चे की आयु लगभग 05 वर्ष थी।

एस0जी0पी0जी0आई0 के विशेषज्ञ डॉक्‍टरों के होते हुए भी बच्‍चे को जनरल हास्पिटल/जनरल बार्ड में रखा गया। परिवादी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्‍तर्गत एस0जी0पी0जी0आई0 से कई प्रश्‍नों के उत्‍तर मांगे गए जिससे वस्‍तुस्थिति स्‍पष्‍ट हुई कि इस बच्‍चे का इलाज कैन्‍सर विभाग के डॉक्‍टर द्वारा नहीं किया गया बल्कि बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा किया गया जिन्‍होंने इसको कैन्‍सर विभाग को सन्‍दर्भित करने की आवश्‍यकता भी नहीं समझी और लगभग 12 दिनों से अधिक तक इलाज करती रहीं।

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समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग ने पाया कि डॉक्‍टरों और एस0जी0पी0जी0आई0 की घोर लापरवाही और उपेक्षापूर्ण रवैया सामने आया जिस पर सभी पर एवं पृथक-पृथक रूप से हर्जाना लगाया गया।

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