आखिरकार सहारा मीडिया के कर्तव्य योगियों को इस महीने की खुराक ( दो बूंद जिंदगी की) मिल गई। हालाँकि यह चकित करने वाला है, क्योंकि बीते सवा साल से कभी भी समय पर वेतन नहीं मिला, सिवाय जून को छोड़ कर।
अब ऐसा क्या है कि जून में तनख्वाह 10 तारीख के पहले आ जाती। तो जान लीजिए, 10 जून को सहारा के मालिक का इस धरा पर अवतरण हुआ था। जिस तरह राजा विशेष अवसर पर अपने रियाया को पद और महत्व के अनुसार कुछ न कुछ देता है, वैसे ही सुब्रतो राय भी कर रहे हैं। अब जेल में हैं, ज्यादा कुछ नहीं कर सकते तो पगार ही दे दे रहे हैं । भक्त टाइप के कर्मचारी भी गद्गद हैं कि भागते भूत की लंगोटी ही सही।
वैसे सैलरी और इसको देने के तरीके पर कर्मचारियों में रोष व्याप्त है । खाते में वेतन जिसे जिसे प्रबंधन सैलरी एडवांस तो कर्मचारी जीवन यापन भत्ता तो कुछ कर्मचारी दो बूंद जिंदगी की मान रहे हैं के आते ही कर्मचारियों ने एकाउंट और एच आर हेड को घेर लिया क्योंकि मुख्यालय ने बहुतों की सैलरी काट ली । अब कर्मचारियों को मिलता ही कितना है । एक चपरासी से कम सब एडिटर की सैलरी है, उसमें से मिल रही है आधी। उस आधी में भी चुंगी मार दी ।
यही नहीं, इन दिनों प्रबंधन नीचता पर उतर आया है । लोगों को भांति भांति से परेशान किया जा रहा है। लोग कम हैं। काम ज्यादा पड़ रहा है । हर यूनिट में लोग गधे की तरह काम करने को मजबूर हैं । हाजिरी दर्ज करने वाला सिस्टम 15-20 दिन से बंद कर दिया गया है । ताकि लोग छुट्टी पर न जाएं । छुट्टी होते ही एलडब्ल्यूपी कर दिया जा रहा है । नोएडा के कर्मचारी को ड्यूटी करने के बाद भी कई दिन का वेतन काट लिया वो एक महीने नहीं, लगातार दो महीने तक।
सूत्रों ने बताया कि प्रबंधन लंबी छुट्टी लेने वालों को अपने राडार पर ले रहा है । अभी उनका वेतन काटा जा रहा है बाद में जब संस्थान के हलात सुधरेंगे उनका तबादला दूर कर दिया जाएगा । साथियों इसके पहले प्रबंधन कठोर कार्रवाई करे, एकजुट हो जाएं और संगठित लड़ाई लड़ें। प्रबंधन के हौसले इसलिए बुलंद हैं कि हम एक नहीं है ।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
abc
June 11, 2015 at 4:56 am
सहारा मै एकजुट होना बहुत मुस्किल काम है क्यों कि ज्यादातर लोगो की नौकरी केवल चापलूसी और बेमानी पर चल रही है.