वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने जब स्टूडेंट्स को अपने पत्रकार बनने की कहानी सुनाई तो सब चौंक गए। शेखर गुप्ता ने बताया कि बॉटनी का रिजल्ट आने के बाद डीएमसी देखी तो नंबर देख खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन जैसे ही नजर डीएमसी में लिखे नाम की shekhar की बजाए sheikhar गलत स्पेलिंग पर पड़ी तो खुशी छूमंतर हो गई। बाद में पेरेंट्स की सलाह के बाद पीयू में स्पेलिंग ठीक करवाने पहुंचा। नाम ठीक करवाने के लए बाबू चक्कर पर चक्कर लगवाए जा रहे थे। यहां वहां भेजा जा रहा था तभी नजर कैंपस में लगे पत्रकारिता के टेस्ट की जानकारी देने वाले बोर्ड पर पड़ी। सोचा नाम तो पता नहीं कब ठीक होगा टेस्ट ही दे दिया जाए।
टेस्ट क्लीयर हो गया और पत्रकारिता का सफर शुरू होकर इस मुकाम तक पहुंच गया। शेखर गुप्ता ने पत्रकारिता में आने की अपनी यह कहानी पंजाब यूनिवर्सिटी केभटनागर ऑडिटोरियम में बयां की। गुप्ता पीयू के ही एलुमनी हैं। वह 1975-76 बैच से पासआउट हैं। स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन की ओर से आयोजित कोलोक्यूम लेक्चर की शुरुआत शेखर गुप्ता के लेक्चर से हुई। उन्होंने मीडिया टुडे नॉइस या न्यूज-फिक्शन या फेक्ट्स विषय पर विचार व्यक्त किए। गुप्ता ने कहा कि मीडिया ध्यान खींचने केलिए कई बार तथ्यों को अतिशयोक्ति से पेश करता है। अति होने पर लोग इसे सच समझने लगते हैं।
उन्होंने इस ट्रेंड को गलत बताते हुए तथ्यों को सही रूप में ही प्रस्तुत करने पर जोर दिया। 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे घोटालों केआंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने यह बात समझाई। शेखर गुप्ता को सुनने के लिए पूरा ऑडिटोरियम भरा रहा। 90 मिनट केलेक्चर में उन्होंने मीडिया के हर पहलू पर बात की। उन्होंने कहा कि आज की मीडिया में भाषा की संभावनाएं हैं। पीयू के वाइस चांसलर प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। (साभार: अमर उजाला)