Rana Yashwant : आज एक स्टोरी आई. स्क्रिप्ट पढते ही मैं चौंक गया. कहा- कल इसको ठीक से करेंगे. अभी वही खबर दिख गई तो सोचा आपसे साझा कर लूं. शहाबुद्दीन जैसे लोगों के लिये सैकड़ों गाड़ियों का काफिला और हजारों की भीड़ चुटकियों में खड़ा हो जाते हैं, लेकिन एक आदमी इस देश की सेवा की बेहतरीन मिसाल खड़ी कर गया और हम उसको जानते तक नहीं. आलोक सागर, आईआईटी में प्रोफेसर हुआ करते थे. उनके छात्रों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं.
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जीवन बदलने वाली कहानी : बुद्ध और मांस
कुछ कहानियां, वाकये, अनुभव ऐसे होते हैं जो जीवन को बदल कर रख देते हैं. वाकये और अनुभव तो आप खुद जीते हैं, खुद जिएंगे. लेकिन कहानियां तो कोई सुना सकता है. खासकर उन लोगों के लिए कहानियां बहुत जरूरी हैं जो मन से तन से मस्त हो चुके हैं. संन्यस्त होने की ओर छलांग लगाने को तैयाार हो चुके हैं. ऐसे लोगों के लिए एक वक्त ऐसा आता है जब अकेलापन और मौन इन्हें बहुत भा जाता है… ये लोग पाते हैं कि वे दिल की बात अनसुनी नहीं कर पा रहे… वैसे यह भी सच है कि एक से एक उम्दा संत किस्म के लोग घर-परिवार के चूल्हा जुटान चक्कर में अंततः डिप्रेशन, सिस्टम, रुटीन, दायरे के हिस्से होकर रह जाते हैं… उन्हें धरती को, सभ्यता को जो कुछ अदभुत देना / पाना था, उससे वंचित रह जाते हैं…
महिला पत्रकार अपने इंजीनियर पति से बोली- बिना इजाजत हाथ लगाया तो जेल में सड़ा दूंगी!
बीवी पत्रकार और पति इंजीनियर। शादी के दो साल बाद इनकी कहानी अब पुलिस थाने तक पहुंच गई है। मुरादाबाद के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने दो साल पहले अपने इंजीनियर बेटे की शादी हिसार हरियाणा में रहने वाली पत्रकार लड़की से की थी। शादी के बाद से ही लड़की ने उसे पति मानने से इनकार कर दिया। जैसे-तैसे ये रिश्ता दो साल तक खिंचा। इंजीनियर का आरोप है कि जब वह उसे पत्नी की तरह मानकर पास जाता है तो वह कहती है- ”मैं पत्रकार हूं… मुझे बिना इजाजत छुआ तो पूरे खानदान को जेल में सड़ा दूंगी”। दुखी पति कहता है कि शादी को दो साल हो गए लेकिन पत्रकार पत्नी ने कभी उसे पति ही नहीं माना। पत्नी को समझाने की कोशिश करने पर वह भड़क उठती है और जेल भिजवाने की धमकी देती है।
जानिए, ये मृत्यु का प्रोग्राम काम कैसे करता है…
आपकी मौत का प्रोग्राम! The Program Of Death… आज इसी पर बात करते हैं… मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है… पर… किसी दुर्घटना में जान गवा देना या किसी के द्वारा आघात करने से मर जाना समझ आता है… मैं बात कर रहा हूँ आज… “वृद्ध हो के मरने की”… ऐसा क्या है जिसकी वजह से लोग बूढ़े होने लगते है और अंत में सुबह पता चलता है कि… “शरीर है… पर वो अब नहीं रहे”… ये मृत्यु का प्रोग्राम काम कैसे करता है?
गीता श्री, अचला शर्मा और रमा पाण्डे के मिज़ाज का क़िस्सा सुना रहे हैं नीलाभ अश्क
साहबो, जब-जब हम फ़ेसबुक पर आते हैं, हमें अपनी अज़ीज़ा गीताश्री का ख़याल हो आता है. ये क़िस्सा उन्हीं के मुतल्लिक़ है. और उनके हवाले से हमारी दो और दोस्तों से. जिन क़द्रदानों ने हमारे क़िस्सों पर नज़रसानी की है, वे इस बात से बख़ूबी वाक़िफ़ हो गये होंगे कि हमें बात चाहे ज़री-सी कहनी हो, मगर हमारी कोशिश यही रहती है कि वह मुन्नी-सी बात भी एक अदा से कही जाये जिससे हमारे सामयीन का दिल भी बहले और हमें भी कुछ तस्कीन हो कि हमने वक़्त ज़ाया नहीं किया.
अपने नाम की गलत स्पेलिंग बनी पत्रकारिता में आने का जरिया : शेखर गुप्ता
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने जब स्टूडेंट्स को अपने पत्रकार बनने की कहानी सुनाई तो सब चौंक गए। शेखर गुप्ता ने बताया कि बॉटनी का रिजल्ट आने के बाद डीएमसी देखी तो नंबर देख खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन जैसे ही नजर डीएमसी में लिखे नाम की shekhar की बजाए sheikhar गलत स्पेलिंग पर पड़ी तो खुशी छूमंतर हो गई। बाद में पेरेंट्स की सलाह के बाद पीयू में स्पेलिंग ठीक करवाने पहुंचा। नाम ठीक करवाने के लए बाबू चक्कर पर चक्कर लगवाए जा रहे थे। यहां वहां भेजा जा रहा था तभी नजर कैंपस में लगे पत्रकारिता के टेस्ट की जानकारी देने वाले बोर्ड पर पड़ी। सोचा नाम तो पता नहीं कब ठीक होगा टेस्ट ही दे दिया जाए।
‘न्यूज नेशन’ उगाही कथा (5) : छत्तीस लाख फिरौती मांगने वाली शीतल कपूर आज भी आजाद
Pampati Sharma : OXXY कंपनी है खेल खेलने वाली और उसकी प्रमुख खिलाड़ी है शीतल कपूर जो छुट्टा घूम रही। मैने यह बताया था कि कैसे एक महिला ने एक सेंटर के डायरेक्टर महोदय को फोन करते हुए सीधे सीधे एक्सटार्शन यानी उगाही यानी फिरौती मांगी कि यदि आप 36 लाख दे देते हैं तो स्टिंग में आपका सेंटर नहीं होगा. संचालक महोदय ने तत्काल पुलिस को सूचित किया. उस महिला का फोन 18 दिसंबर को आया था. उसने कहा था कि क्लीपिंग दिखा देंगे तब पूरा पेमेंट दीजिएगा जो चेक से होगा. हम अपना कमीशन काट कर बाकी की रकम चैनल में ऊपर के लोगों को पहुंचा देंगे.
ये है शीतल कपूर
शामली में गैंगरेप से डरे मां-पिता ने बेटी के पैर में जंजीर डाल दिया!
एक स्टोरी लिख रहा था ‘बेटी के पैर में जंजीर’..आप भी सोच रहें होंगे कि आखिर एक बेटी के पैर में भला किसने और क्यों जंजीर डाल दी। सुनकर किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा। घटना यूपी के शामली की है लेकिन पूरे देश को प्रतिबिंबित करती है। खुद माता पिता ने ही बेटी की अस्मत बचाने के लिए उसके एक पैर में जजीर बांध दी। वाकई माता पिता ने वो किया जिसे कानून इजाजत नहीं देता है लेकिन सोचिए लाचार माता पिता और क्या करते। महज 16 साल की उनकी बेटी मानसिक तौर से कमजोर है और कुछ दिन पहले उसे अज्ञात अपराधी घर के पास से बहकाकर ले गए और उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दे दिया।
मुझे मेरी बीबी से बचाओ
Hello
I am Bheem sonkar suffering from very big problem. I have completed M.TECH from IT BHU and B.TECH from KNIT Sultanpur. Sir when I was doing m.tech in 2011, Tabhi mere ghar wale shadi kar diye. Jinke ghar me shaadi kiye, vah ghar Azamgarh me criminal ke rup me Jana jata hain.
युवा लेखक विक्रम सिंह बालँगण की पाकिस्तान पर लिखी छोटी-सी कहानी ‘इंतिहां!’ पढ़ें
घने कोहरे और ठण्ड़ के चलते रज्जाक अभी रजाई में ही दुबका पड़ा था। मन ही मन अपनी आंखें मूंदे शायद यह सोच रहा था कि आज स्कूल न जाना पड़े और छुट्टी का कोई बहाना मिल जाये। मगर अम्मीजान के बनाए परांठों की महक आते ही तपाक से उठ खड़ा हुआ। अब कोई बहाना नहीं था..देर सबेर अपना बस्ता तैयार करता रज्जाक फिर भी न जाने कितने बहाने कर रहा होगा स्कूल न जाने के। कभी अब्बूजान के चक्कर लगाता तो कभी बहन नज़मा के इर्द गिर्द मिन्नतें करता रहा कि कैसे भी हो कोई बहाना मिल जाए उसे, आज तो अल्लाह से भी कई बार दुआ कर चुका था। अपने स्कूल के दिनों शायद हर कोई ऐसे ही नाटक करता है।
उबर के सीईओ ने कहा था- हम एक बूबर कंपनी हैं जिसके साथ महिलाएं सोना चाहती हैं!
: अमेरिकी महिला पत्रकार ने किया बड़ा खुलासा : बात इसी साल अक्टूबर की है जब सारा लेसी फ्रांस के शहर लियोन में थीं और कहीं जाने के लिए टैक्सी का इंतजार कर रही थीं। तभी उनकी निगाह एक ऐसे प्रचार पर पड़ी जिसमें लिखा था कि हॉट फीमेल ड्राइवर्स की सुविधा के लिए इस नंबर पर डायल करें। इस एड को देखते ही लेसी ने तय किया कि वह उस एप को ही डिलीट कर देंगी जो कैब की सुविधा देती है। लेसी को लगा कि वह खुद एक महिला हैं और अगर महिलाओं का इस्तेमाल इस तरह से किया जाएगा तो उनके साथ रेप जैसी घटनाओं को होने से कैसे रोका जा सकता है।
राजनीति के जंगल में औरतों के भूखे न जाने कितने भेड़िये रहते हैं जो उन की देह चाटते रहते हैं
अब तक मैं दयानंद जी की 25 कहानियों में गोता लगा चुकी हूं …यानि उन्हें पढ़ चुकी हूं। जिन में कुछ प्रेम कहानियां , कुछ पारिवारिक जीवन और कुछ व्यवस्था पर हैं। आप के लेखन में समकालीन जीवन के रहन-सहन और उनकी समस्यों का विवरण बड़े खूबसूरत और व्यवस्थित ढंग से देखने व पढ़ने को मिलता है। आपकी ये सात कहानियां व्यवस्था पर हैं। अगर जीवन में व्यवस्था सही ना हो तब भी बहुत समस्या हो जाती है।
दबंग दुनिया भोपाल के न्यूज़ एडिटर ने उड़ाई जागरण जोश की स्टोरी
इंदौर। एक सितंबर से दबंग दुनिया की नई मैगजीन मुंबई से शुरू हुई है। इसमें पहली स्टोरी ‘इनोवेशन में सुनहरा भविष्य’ हेडिंग से प्रकाशित हुई। स्टोरी भोपाल संस्करण के न्यूज एडिटर अमित देशमुख ने अपने नाम और फोटो से प्रकाशित की है। इतना ही नहीं अपनी ईमेल आईडी भी बाईलाइन के साथ लगाई।
विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता के लिए अपनी प्रविष्टियां भेजें, देखें विज्ञापन
भारत सरकार व मॉरीशस सरकार की द्विपक्षीय संस्था ‘विश्व हिंदी सचिवालय’ द्वारा विश्व हिंदी दिवस 2015 के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। आप दुनिया के किसी भी हिस्से में हो अपने भौगोलिक क्षेत्र का जिक्र करते हुए नियम व शर्तों के अनुरूप अपनी प्रविष्टि भेज सकते हैं। प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र के विजेताओं को प्रमाण पत्र व नकद पुरस्कार दिया जाएगा। प्रथम पुरस्कार 300 डॉलर, द्वितीय पुरस्कार 200 डॉलर और तृतीय पुरस्कार 100 डॉलर है। प्रविष्टियां भेजने की अंतिम तिथि 15 नवम्बर, 2014 है। स्वयं भाग लें और मित्रों को भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। अधिक जानकारी के लिए नीचे विज्ञापन को पढ़ें:
साइनाइड ढूंढते ढूंढते उनमें प्यार हो गया और मरने का कार्यक्रम कैंसिल कर आपस में विवाह कर लिया
Sanjay Sinha : मैने ये कहानी कब, कहां और कैसे पढ़ी है मुझे जरा भी याद नही। कहानी भी लगता है कुछ कुछ ही याद है। लेकिन जितनी कहानी याद है उससे मेरी आज की बात पूरी हो जाएगी। कहानी इस तरह है – एक लड़का किसी लड़की के प्रेम में धोखा खाकर ज़िंदगी से निराश हो गया। उसे लगने लगा कि अब ज़िंदगी में कुछ बचा नहीं, और मन ही मन तय कर लिया कि अब मर जाना चाहिए। उसने मरने की सबसे आसान विधा के बारे में पढ़ा और ये समझ पाया कि अगर पोटैशियम साइनाइड जैसा जहर कहीं से मिल जाए तो मौत बेहद आसान हो जाएगी। पोटैशियम साइनाइड मतलब जुबां पर रखो और सबकुछ सदा के शांत।