शिल्पा शेट्टी का कहना है कि उन्हें गंगा दर्शन से प्रेरणा एवं संबल प्राप्त होता है इसलिए वह बार बार मां गंगा की शरण में आती हैं. 27 अक्टूबर को फिल्म जगत की अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी अपने पति व जाने-माने उद्योगपति राज कुन्द्रा, बहन शमिता शेट्टी व अपनी माताश्री के साथ ऋषिकेश पहुंचीं. यहां स्थित परमार्थ निकेतन की मेहमान बनीं. पावन गंगा आरती एवं यज्ञ में शामिल हुईं. परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मिलकर इन लोगों ने आशीर्वाद प्राप्त किया. वैसे परमार्थन निकेतन वाले चिदानंद के बारे में कहा जाता है कि यह केवल बड़े नेताओं, बड़े लोगों आदि से ही सीधे मिलता है और उनके लिए गंगा पूजा उन्हें अपने बगल में खड़ा करा के कराता है. अगर कोई गरीब परमार्थ निकेतन पहुंच जाए तो चिदानंद का मिलना दूर, आश्रम के लोग ही उस गरीब को झिड़क कर भगा देते हैं. यानि यहां भी पैसा फेंको और धर्म का तमाशा देखो वाला फंडा चलता है.
लेकिन अगर शिल्पा शेट्टी और उसके उद्योगपति पति जैसी मोटी पार्टी आई हो तो चिदानंद का ठीकठाक वक्त देना और बहुत सारी गंभीर बातें करना बनता है. चिदानंद ने शिल्पा शेट्टी और उनके परिजनों से पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छता, वृक्षारोपण के संदेश प्रसारित करने आदि मुद्दों पर चर्चा की. चिदानन्द ने कहा कि उत्तराखण्ड के कण-कण में देवत्व है. यहां की मिट्टी व जल में अद्भुत व दिव्य ऊर्जा है. यहां आने पर हर व्यक्ति चार्ज हो जाता है. उत्तराखण्ड में गंगा तट पर आने पर व्यक्ति में एक नई ऊर्जा मिलती है जिससे अपने भौतिक जगत के तनाव को कम करके स्वयं को आध्यात्मिक शिखर तक ले जा सकते है. उन्होंने शिल्पा शेट्टी को गंगा एवं पर्यावरण के लिये कार्य करने की प्रेरणा भी दी.
चिदानंद ने कहा, ’अभिनय और नृत्य का सृजन प्रकृति से होता है अतः प्रकृति ही नृत्य और संगीत का मूल स्रोत है। यदि हमें नृत्य और संगीत की मधुरता, शान्ति एवं सौन्दर्य के बोध को बचाये रखना है तो हमारे लिये पर्यावरण संरक्षण करना बेहद आवश्यक है। क्योंकि प्रकृति जब नृत्य करती है, गुनगुनाती है तो सारा वातावरण दिव्यता से गूंजने लगता है और वह जब रूष्ट होती है तो चारों ओर तबाही ही तबाही होती है। अतः प्रकृति को नृत्यमय और संगीतमय बनाये रखने के लिये उसका संरक्षण करना हमारा धर्म है।’
अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने अपने पूरे परिवार के साथ गंगा आरती एवं यज्ञ में भाग लिया। शिल्पा शेट्टी ने आरती की दिव्यता से भीतर तक अभिभूत होकर कहा, गंगा माँ के पास आकर अपार शान्ति, प्रसन्नता और आनन्द की अनुभूति होती है। माँ गंगा मेरे हृदय में विद्यमान कला को और संबल प्रदान करती रहे। माँ गंगा के तट पर गुरू का सानिध्य मुझे ऊर्जावान बना देता है।’ पतित पावनी माँ गंगा की आरती के पश्चात स्वामी जी ने शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनके यश एवं कीर्तिमय जीवन की कामना की।
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