विजुअल स्टोरीटेलिंग आंखिन देखी सच्ची और सामाजिक कला है… जब समाज में एक ही तरह की कहानी सारे माध्यमों से बतायी जा रही हो तो हम सबको अपनी-अपनी कहानियां लेकर आना चाहिए। कबीर की तरह सच्ची कहानियां लेकर जो आंखन देखी हो। आपके अपने अनुभवों और परिवेश की वे कहानियां जो झूठी कहानियों का पर्दाफाश करें। ये बातें आज बीएचयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष और मुख्य अतिथि प्रो. चौथीराम यादव ने विजुअल स्टोरीटेलर वर्कशॉप के समापन में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही।
आठ दिवसीय विजुअल स्टोरीटेलर वर्कशॉप का आयोजन 23 से 30 जून तक युवाओं को फिल्ममेकिंग का क्राफ्ट और तकनीक सिखाने के लिए झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा ने किया था। समापन समारोह रांची के प्रेस क्लब सभागार में संपन्न हुआ। मौके पर वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों द्वारा रचित कहानियां और विजुअल्स का प्रदर्शन हुआ उन्हें प्रमाण-पत्र भी वितरित किए गए।
प्रो. यादव ने अपने भाषण में कहा कि अभिव्यक्ति के सभी माध्यम इन दिनों संकट से गुजर रहे हैं। देश में एक अघोषित प्रतिबंध सा है और सच्ची बात कहने वाले जेल में डाले व मारे जा रहे हैं। मीडिया और लोकप्रिय सिनेमा सत्ता के आगे एक तरह से समर्पण कर चुका है। ऐसे में विजुअल कहानीकारों की नई पौध इस तरह की कार्यशाला के जरिए सामने आने को तैयार है, यह एक बहुत सकारात्मक बात है।
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव ने अपने उद्बोधन में कहा कि झारखंडी समाज की कहानियां विजुअल मीडिया में नहीं है। इसे लाने का दायित्व हम सभी पर है। यह विजुअल स्टोरीटेलर वर्कशॉप उसी की एक पहल है। मौके पर उपस्थित संवाद की श्रावणी और छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ की शचि कुमारी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं निरंतर होनी चाहिए जिससे युवाओं को झारखंड में फिल्ममेकिंग का प्रशिक्षण और प्रोत्साहन मिल सके। फिल्म निर्देशक अनिल सिकदार ने प्रतिभागियों से कहा कि सिनेमा में झारखंड की कहानियां उपेक्षित हैं। इसलिए नये फिल्मकारों को अपना ध्यान झारखंड पर केंद्रीत करना चाहिए। कलाकार दिलेश्वर लोहरा ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को आर्ट व सेट डिजाइनिंग पर महत्वपूर्ण टिप्स दिए।
वर्कशॉप के डायरेक्टर रंजीत उरांव ने इस अवसर पर कहा कि झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है पर ऐसे संस्थान का अभाव है जहां युवा लोग विजुअल स्टोरीटेलिंग का व्यवस्थित प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। हमारी कोशिश होगी कि आने वाले दिनों में हम प्रशिक्षणात्मक सुविधाएं उपलब्ध करा सकें।
प्रतिभागियों की ओर से कौशिकी कुमारी ने वर्कशॉप पर रिपोर्ट पेश की। ट्विंकल और अशोक कुमार मंडल ने फीडबैक प्रस्तुत किया जबकि अनमोल तिग्गा ने प्रतिभागियों की अपेक्षाओं से अवगत कराया। समारोह का संचालन स्टोरीटेलर और संस्कृतिकर्मी अश्विनी कुमार पंकज ने किया व धन्यवाद नीता कुसुम बिलुंग ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर रांची के कई कलाकार और साहित्यकार उपस्थित थे।
केएम सिंह मुंडा
प्रवक्ता
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा