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सुदर्शन न्यूज़ ने सैकड़ों कर्मचारियों का हक मार रखा है

खुद को संघियों का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा करने वाले चैनल सुदर्शन न्यूज़ ने सैकड़ों कर्मचारियों का हक मार रखा है। इस चैनल में किसी भी कर्मचारी का न पीएफ कटता है और न कभी किसी को सैलरी स्लिप मिलती है। पिछले सात-आठ साल से चल रहे इस चैनल ने करोड़ों रुपये लोन लेकर नोएडा में शानदार बिल्डिंग भी खड़ी कर ली, लेकिन कर्मचारियों का हक मारने का सिलसिला जारी है।

<p>खुद को संघियों का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा करने वाले चैनल सुदर्शन न्यूज़ ने सैकड़ों कर्मचारियों का हक मार रखा है। इस चैनल में किसी भी कर्मचारी का न पीएफ कटता है और न कभी किसी को सैलरी स्लिप मिलती है। पिछले सात-आठ साल से चल रहे इस चैनल ने करोड़ों रुपये लोन लेकर नोएडा में शानदार बिल्डिंग भी खड़ी कर ली, लेकिन कर्मचारियों का हक मारने का सिलसिला जारी है।</p>

खुद को संघियों का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा करने वाले चैनल सुदर्शन न्यूज़ ने सैकड़ों कर्मचारियों का हक मार रखा है। इस चैनल में किसी भी कर्मचारी का न पीएफ कटता है और न कभी किसी को सैलरी स्लिप मिलती है। पिछले सात-आठ साल से चल रहे इस चैनल ने करोड़ों रुपये लोन लेकर नोएडा में शानदार बिल्डिंग भी खड़ी कर ली, लेकिन कर्मचारियों का हक मारने का सिलसिला जारी है।

खबर है कि दो दिन पहले पीएफ खातों की जांच करने आई एक टीम की जमकर ‘सेवा भगत’ की गई। उनको टेबल के नीचे से जमकर खुश किया, इसलिए बिना खातों की ठीक से जांच किए ही पीएफ टीम पॉजिटिव रिपोर्ट देने को तैयार हो गई है। EPFO नोएडा की जो टीम नेशनल दुनिया अखबार को नोटिस भेजकर अपना कॉलर ऊंचा करने में लगी है, उसने सुदर्शन के मामले में पूछना तक गंवारा नहीं समझा। ऐसा क्या है जिससे पीएफ अधिकारी सुदर्शन न्यूज़ के आगे हर बार झुक जाते हैं? बताते हैं कि कंपनी के मालिक सुरेश चव्हाणके ने टीम को ‘अदब’ में लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें की.

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मोदी की सरकार को ‘अपने घर’ की बताया. महाराष्ट्र के मूल निवासी मालिक खुद को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का ‘बेहद खास’ बताते हैं। उन्होंने अपने बेटे के नाम पर चैनल का नाम रखा है. लेकिन पेश ऐसे करते हैं जैसे संघ के पूर्व प्रमुख सुदर्शन के नाम पर रखा गया है. दिन रात चैनल पर मुस्लिम विरोधी कंटेंट चलाकर बीजेपी नेताओं को खुश करने में लगे रहते हैं. लेकिन मोदी सरकार से उतना भी विज्ञापन नहीं मिल पा रहा, जितना डी-ग्रेड के चैनलों तक को मिल जाता है। कर्मचारियों का जमकर शोषण और महीनों मुफ्त में काम कराना इस चैनल की फितरत में शामिल है. सुदर्शन न्यूज़ के कर्मचारी रात दिन काम करके भी तीन हजार, पांच हजार रुपये वेतन पाते हैं। फिर भी जब मन आए उनको निकाल दिया जाता है।

एक सुदर्शनकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. ajit

    January 29, 2015 at 2:16 pm

    धर्म के नाम पर खौफ़ खड़ा कर , हिंदुत्व-वादी दृष्टिकोण का पोषक बन इस चैनल ने न्यूज़ चैनल की दुनिया को बहुत बदनाम किया है ! सुदर्शन टी.वी. के सुरेश चव्हानके किस तरह भाजपा के नेताओं का काला धन खपा रहे हैं , ये ज़्यादातर लोग जानते हैं ! इनके किसी भी कार्यक्रम में भाजपा (खास तौर पर महाराष्ट्र से सम्बंधित ) के नेताओं का आना लगा रहता है ! शादे-ब्याह में टेंट लगा कर जीविकोपार्जन करने वाले बेहद गरीब व्यक्ति सुरेश चव्हानके ने टी.वी. चैनल का लाइसेंस कैसे ले लिया , ये हैरत की बात है ! आज सुरेश चाव्हांके के पास करोड़ों की दौलत है ! कर्मचारियों को अच्छी तनख्वाह कभी, भले ही, ना मिली हो पर इस व्यक्ति ने हिंदुत्व का ढकोसला अपना कर बहुत दौलत जमा कर लिया है ! इसकी गहन जांच होनी चाहिए पर करेगा कौन ? महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित आर.एस.एस. कार्यालय वाले और नितीन गडकरी जी जैसे लोग सीधे कठघरे में हैं ! कृपया ध्यान दें !

  2. abhinav jha

    March 2, 2015 at 10:12 am

    sudharshan ke managing editor ko bhaut shok hai ladkio ko nokri dene se pehle intervew hotel main milker dene ko kehta hai agar koi nhi jaati to nokri per nhi rakhta agar apoint ho bhi jaati hai to tortur ker ke nikal deta hai……

  3. cn yadav

    April 8, 2015 at 10:24 pm

    सुरेश चव्हाणके की काली करतुतो को तो सभी जानते है। हिंदूत्व के नाम पर सुरेश ने बहुत पैसे कुटे है।अब तो यह अपने कर्मचारियों का पैसा भी खाने से बाज नहीं आ रहा है।

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