पीएम के गोद लिए गाँव की महिला माला ने पलटी मारी, स्क्रॉल की सुप्रिया खिलाफ एफआईआर… वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है। सुप्रिया शर्मा ने लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक गांव की हालत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रामनगर पुलिस थाने में एफआईआर दज कराने वाली माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान को गलत तरीके से प्रकाशित किया है और झूठे दावे किए हैं।
पुलिस ने शर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के संबंधित प्रावधानों के साथ आईपीसी की धारा 501 (ऐसे मामलों का प्रकाशन या उत्कीर्णन, जो मानहानिकारक हों) और धारा 269 (लापरवाही, जिससे खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका हो) के तहत मामला दर्ज किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लॉकडाउन के प्रभावों पर आधारित अपनी रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक था ’प्रधानमंत्री के गोद लियए गांव में लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे लोग’ में सुप्रिया शर्मा ने माला के बयान को प्रकाशित किया था, जो कि कथित रूप से घरेलू कर्मचारी हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि माला को लॉकडाउन के दौरान बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा, उन्हें राशन की कमी तक पड़ गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि माला अपने घर में छह बच्चों की देखभाल करने वाली अकेली मां हैं। लॉकडाउन के दौरान उनके नियोक्ता ने भुगतान करना बंद कर दिया। इसलिए घरेलू कामगार ने इस उम्मीद में बनारस की अलग-अलग जगहों की यात्रा की ताकि उसे अपने पांच बच्चों के लिए भोजन खरीदने के लिए कुछ कुछ विषम काम मिल सके। लेकिन वह इसमें असफल रहीं। महिला ने कहा कि हम चाय और रोटी पर ही सोते हैं।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया था यह न तो कल्लू और न ही माला का ही असाधारण अनुभव है। लॉकडाउन ने उन लाखों असुरक्षित भारतीयों को परेशान कर दिया है जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे। लेकिन उनकी कहानियों में जो बात है, वह सच है कि वो प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव में रहते हैं।
हालांकि 13 जून को माला देवी ने पलटी मार दी और एफआईआर दर्ज़ करा दिया। एफआईआर में माला देवी ने दावा किया है कि वह घरेलू कर्मचारी नहीं हैं और उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वह वाराणसी की नगरपालिका में ठेके पर सफाई कर्मी हैं, और उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किसी भी संकट का सामना नहीं किया। उन्हे भोजन भी उपलब्ध था।
माला ने कहा कि शर्मा ने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा; मैंने उन्हें बताया कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार में किसी को कोई समस्या है।
एफआईआर में माला देवी ने कहा है कि यह कहकर कि मैं और बच्चे भूखे हैं, सुप्रिया शर्मा ने मेरी गरीबी और मेरी जाति का मजाक उड़ाया है। उन्होंने समाज में मेरी भावनाओं और मेरी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है। माला ने सुप्रिया शर्मा और स्क्रॉल के एडिटर इन चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
स्क्रॉल डॉट इन ने हालांकि दावा किया है कि माला देवी की टिप्पणियों को “सटीकता” के साथ रिपोर्ट किया गया है और एफआईआर स्वतंत्र पत्रकारिता को “डराने और चुप कराने” का प्रयास है। स्क्रॉल एडिटोरियल ने वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा है कि स्क्रॉल डॉट इन ने 5 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गांव की माला का साक्षात्कार किया। उनके बयान को आलेख में सटीकता के साथ रिपोर्ट किया गया। स्क्रॉल डॉट इन लेख का समर्थन करता है, जिसे प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से रिपोर्ट किया गया है।
यह एफआईआर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कमजोर समूहों की स्थितियों पर रिपोर्टिंग करने की कीमत पर स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने और चुप कराने का एक प्रयास है।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.