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सुरेंद्र बहादुर को 11 नवम्बर की शाम हिंदुस्तान देहरादून ज्वाइन करा लिया गया

गोरखपुर। एचएमवीएल कंपनी के हिंदुस्तान देहरादून यूनिट ने सुरेंद्र बहादुर सिंह को ज्वाइन करा लिया है। उन्हें 11 नवम्बर की शाम ही एचआर ने फोन कर बुलाया और बिना शर्त ज्वाइन करा लिया। इस बात की पुष्टि सुरेंद्र ने खुद की है। उन्होंने बताया कि वह माफी मांगकर ज्वाइन करने को तैयार नहीं थे। कंपनी ने बिना शर्त उन्हें वापस ले लिया है। मजीठिया वेज बोर्ड के लिये आवाज उठाने पर एचएमवीएल कंपनी के हिन्दुस्तान गोरखपुर यूनिट से देहरादून ट्रांसफर किये गये सुरेंद्र बहादुर सिंह ने वहां के उप श्रमायुक्त के माफी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

<p>गोरखपुर। एचएमवीएल कंपनी के हिंदुस्तान देहरादून यूनिट ने सुरेंद्र बहादुर सिंह को ज्वाइन करा लिया है। उन्हें 11 नवम्बर की शाम ही एचआर ने फोन कर बुलाया और बिना शर्त ज्वाइन करा लिया। इस बात की पुष्टि सुरेंद्र ने खुद की है। उन्होंने बताया कि वह माफी मांगकर ज्वाइन करने को तैयार नहीं थे। कंपनी ने बिना शर्त उन्हें वापस ले लिया है। मजीठिया वेज बोर्ड के लिये आवाज उठाने पर एचएमवीएल कंपनी के हिन्दुस्तान गोरखपुर यूनिट से देहरादून ट्रांसफर किये गये सुरेंद्र बहादुर सिंह ने वहां के उप श्रमायुक्त के माफी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।</p>

गोरखपुर। एचएमवीएल कंपनी के हिंदुस्तान देहरादून यूनिट ने सुरेंद्र बहादुर सिंह को ज्वाइन करा लिया है। उन्हें 11 नवम्बर की शाम ही एचआर ने फोन कर बुलाया और बिना शर्त ज्वाइन करा लिया। इस बात की पुष्टि सुरेंद्र ने खुद की है। उन्होंने बताया कि वह माफी मांगकर ज्वाइन करने को तैयार नहीं थे। कंपनी ने बिना शर्त उन्हें वापस ले लिया है। मजीठिया वेज बोर्ड के लिये आवाज उठाने पर एचएमवीएल कंपनी के हिन्दुस्तान गोरखपुर यूनिट से देहरादून ट्रांसफर किये गये सुरेंद्र बहादुर सिंह ने वहां के उप श्रमायुक्त के माफी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

वेज बोर्ड की मांग करने पर 16 सितम्बर की डेट में सुरेंद्र को देहरादून ज्वाइन करने का फरमान पत्र उनके घर भेज दिया गया। सुरेंद्र 21 सितम्बर तक दफ्तर में काम करते रहे लेकिन उन्हें तबादले के बारे में नहीं बताया गया। इसके बाद सुरेंद्र छुट्टी पर चले गये। इस बीच उन्होंने मानवाधिकार आयोग और एसएसपी गोरखपुर से कंपनी के उत्पीड़न की भी शिकायत की थी। इस बात से कंपनी का एचआर प्रबन्धन काफी नाराज था।

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वापस लौटकर जब वह 07 अक्टूबर को कंपनी के गोरखपुर यूनिट में काम करने गये तो उन्हें जान से मारने की धमकी देते हुये बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस संबंध में पुलिस में शिकायत की जा चुकी है लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। इस बीच सुरेंद्र ने ट्रांसफर को गैर कानूनी करार देते हुये राज्य के श्रम आयुक्त से गोरखपुर यूनिट में ही ज्वाइन कराने की मांग की। जब राज्य की पुलिस और श्रम विभाग ने नहीं सुना तो उनके पास देहरादून जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। लेकिन तबीयत और आर्थिक हालात ने धोखा दे दिया और वे समय पर देहरादून नहीं पहुंच सके। दीपावली के बाद जब वह ज्वाइन करने पहुंचे तो उनसे केवल दफ्तर के चक्कर लगवाए जा रहे था। उन्होंने बताया कि वे स्थानीय डीएलसी से मिले। डीएलसी ने माफी मांगकर ज्वाइन करने की सलाह दी जिसे सुरेंद्र ने ठुकरा दिया। हांलाकि इस घटना के दूसरे दिन ही कंपनी ने उन्हें बिना शर्त वापस ले लिया।

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