(पार्ट-2) : राजीव शर्मा प्रोफेशनल बेगर और चीटर है. इसने दर्जनों लोगों के पैसे मारे हैं. इंदौर से लेकर इलाहाबाद तक में इससे पीड़ित लोग हैं. फिलहाल एक नई पीड़िता सामने आई हैं. ये महिला पत्रकार हैं. नाम है अंजलि सैनी. अंजलि की एक बहन और एक भाई दिल्ली में वकील हैं. अंजलि का कहना है कि राजीव शर्मा बहुत बड़ा चीटर है. उसने पचास हजार रुपये ले लिए और घर का सामान भी ले गया.
अंजलि का कहना है कि इस चीटर को एक्सपोज किया जाना चाहिए ताकि इसके जाल में दूसरे लोग न फंस सकें. अंजलि सैनी ने राजीव शर्मा की कहानी फेसबुक पर प्रकाशित प्रसारित होने के बाद खुद भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह से संपर्क साधा और राजीव शर्मा की हकीकत बताई. नीचे उस चैट का स्क्रीनशाट है जिसमें अंजलि सैनी ने राजीव शर्मा के फ्राड के बारे में बताया है.
राजीव शर्मा के हाथों ठगे गए एक अन्य पीड़ित हैं जनार्दन यादव. जनार्दन यादव बीएसएफ में इंस्पेक्टर रहे हैं और हाल में ही वीआरएस लेकर मीडिया में सक्रिय हुए. जनार्दन यादव बीएसएफ में अपनी तैनाती के दिनों से ही भड़ास के प्रशंसकों में से हैं. भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह बताते हैं- वीआरएस लेने के बाद जनार्दन जी से दो चार-बार मुलाकात हुई. इन मुलाकातों के दौरान राजीव शर्मा भी मेरे साथ था. राजीव मन ही मन ये बात समझ चुका था कि जनार्दन जी वीआरएस लिए हैं और इनके पास पैसा है. बाद में राजीव शर्मा ने अकेले एक रोज जनार्दन यादव से संपर्क साधा और उन्हें बहकावे में लेकर कई किश्तों में करीब पचास हजार रुपये ले लिया, इस हिदायत के साथ कि यशवंत जी को कुछ बताना मत. वह दुख, पीड़ा, भूख, गरीबी आदि के नाम पर पैसे मांगता. भावुक हृदय जनार्दन यादव जी उसकी बातों पर भरोसा करते और पैसे दे देते, बिना किसी को बताए.
इस बारे में जनार्दन यादव का कहना है कि राजीव शर्मा हर बार पीड़ा और दुख की एक नई कहानी पेश करता और बीस हजार से लेकर दस हजार रुपयों तक की मांग कर लेता. जनार्दन कहते हैं कि यशवंत के साथ राजीव को देखकर ये भरोसा होता था कि बंदा भागेगा नहीं, पैसे मारेगा नहीं, और वह बातें ऐसे करता जैसे वाकई फटेहाल और मजबूर हो. बाद में जब तय समय के बाद पैसे वापस मांगने लगा तो वह या तो फोन नहीं उठाता या फिर बेहूदगी से बात करते हुए झगड़ने लगता. ऐसा महसूस होता जैसे कर्जा उसने नहीं बल्कि मैंने खाया हो. जनार्दन यादव के लिए यह घटनाक्रम एक बड़ा झटका था. उन्होंने भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह को सारी बात बताई. यह सब सुनकर यशवंत ने माथा पीट लिया और बोल पड़े- ठग ने एक और को लूटा.
पीड़ित और दुखी जनार्दन यादव कहते हैं-
”इस घटना के बाद से मैं पैसे के लेन-देन के मामले में बेहद सतर्क रहने लगा… राजीव शर्मा ने मेरा पचास-साठ हजार रुपये मार तो दिया लेकिन एक बड़ा सबक दे दिया. इस दुनिया में किसी की बातों में आकर पैसे नहीं देना चाहिए. यहां भांति-भांति के भिखमंगे हैं जो नित नई कहानियों के साथ लूटने के लिए तैयार बैठे रहते हैं. दुख तो इस बात का है कि यह ठग इन दिनों न्यूज24 जैसे बड़े संस्थान में नौकरी कर रहा है. सेलरी पाने के बावजूद वह पैसे वापस करने की बात नहीं करता. यह देर रात अक्सर दारू पिए हुए आफिस जाता है, बशर्ते कोई पिलाने वाला मिल जाए. अन्यथा अपने पैसे पर अगर इसे जीना हो तो यह चार-चार दिन तक केवल पानी पीकर पड़ा रह सकता है, चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए के अंदाज में. यह ठग कैंटीन की ढेर सारी शराब की बोतलें मंगाकर पी गया. यह हमेशा ये अपेक्षा करता है कि हम लोग एकतरफा तौर पर इसकी सेवा टहल करते रहें, इसे पैसे और शराब देते रहें और यह मुफ्तखोरी करता रहे. अब जब इसकी हकीकत सामने आ रही है तो मैं सबको आगाह करना उचित समझता हूं. इस शख्स से जितना बच सकते हो बचो, वरना यह दोस्ती गांठकर मीठी बातों में फंसाकर आपको जरूर हजार से लेकर लाख रुपये तक का चूना लगा देगा.”
….जारी….
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