ऐसे संपादक अब नहीं होते. प्रतीक बंदोपाध्याय बिरले हैं. उनका होना बताता है कि सब कुछ मरा नहीं है. टीओआई कोलकाता के स्पोर्ट्स एडिटर प्रतीक बंदोपाध्याय को दिल्ली के बड़े संपादक ने फोन कर कहा कि अपनी टीम में से किसी एक का नाम बताओ जिसे निकाला जा सके.
प्रतीक बंदोपाध्याय ने कहा कि ऐसा कोई नहीं है उनकी टीम में जिसे निकाला जा सके. तब उनसे कहा गया कि वे पूरी टीम में से सबसे कम काम करने वाले शख्स का नाम बताएं. उन्होंने कहा कि यहां सब ज्यादा काम करने वाले हैं. कोई कम काम नहीं करता.
प्रतीक ने मुश्किल में पड़े संपादक को हल बताते हुए कहा कि आप मुझे ही निकाल दें. गलत आरोप लगाकर किसी को निकालने से ये ज्यादा बेहतर होगा. प्रतीक ने कहा कि उनकी टीम पर पिछले आठ साल में किसी ने कोई सवाल नहीं किया. अब कहा जा रहा कि जो कामचोर हो उसका नाम बताओ, निकालना है. नौकरी से निकालने के लिए जबरन कामचोर ढूंढा जा रहा है. यह बेहद गलत और अमानवीय है.
इस पूरे प्रकरण पर युवा पत्रकार और मीडिया मिरर के संपादक प्रशांत राजावत ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है, जो यूं है-