शंभूनाथ शुक्ला-
कोरोना का ज़हर घोलती मीडिया! यह सच है कि मीडिया की टीआरपी में वृद्धि भय के प्रसार से ही होती है। इनमें ब्रेकिंग न्यूज़ होती है- “कोरोना आँकड़ों में शानदार इज़ाफ़ा आज का आँकड़ा साढ़े चार लाख!” और हम उस चैनल की दाद देते हुए उससे चिपक जाते हैं। लेकिन इस तरह का पैनिक फैलाने से क्या होता है।
लोग डर जाते हैं और कमजोर दिमाग़ वाले घर से बिना निकले बीमार हो जाते हैं। हर बुख़ार को वे कोरोना समझ लेते हैं। वे टेस्ट कराने जाते हैं और वहाँ की छूत से वे वाक़ई कोरोना संक्रमित हो जाते हैं। कोरोना और टायफ़ाइड के लक्षण एक से होते हैं। डॉक्टर टायफ़ाइड का इलाज कोरोना की दवा से करता है और कोरोना का इलाज हेवी एंटीबायोटिक दवाएँ खिला कर। नतीजा जो भी अस्पताल जाता है, उसे मायूस होना पड़ता है।
इससे बेहतर है घर पर ही आइसोलेट रहे। किंतु घर पर टीवी चैनल डरा-डरा कर मारते हैं। ऐसे माहौल में TV9 भारतवर्ष ने एक अनूठी पहल की है। एक तो वह घर बैठे मरीज़ों की विशेषज्ञ डॉक्टरों से ऑन-लाइन बात कराता है और दूसरे वह भयभीत नहीं करता। जैसे कि आज उसने कोरोना की खबर को बहुत अच्छे ढंग से दिखाया।
उसने बताया कि क़रीब डेढ़ महीने बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि कोरोना से रिकवर होने वाले मरीज़ों की संख्या संक्रमित होने वालों से अधिक है। पिछले 24 घंटे में 3.50 लाख से ऊपर मरीज़ कोरोना से मुक्त हुए और 3.29 लाख मरीज़ कोरोना से संक्रमित मिले।
मेरी शुभ कामना है, कि यह संख्या इसी गति से चलती रहे तो शायद मई पार होते-होते हम कोरोना के मामले में चीन की तरह हो जाएँगे। जहां इस समय कोरोना संक्रमित ज़ीरो हैं।