Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

इंगलिश न्यूज चैनल सासों का सम्मान नहीं करते… इसीलिए सास आधारित कोई कार्यक्रम नहीं दिखाते

: अब देखेंगे सास, बहू और वारदात! : नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां सिर्फ साबुन और सौंफ की दुकानों में ही नहीं होतीं, सीरियलों में भी होने लगी हैं. दोपहर दो-ढाई के आसपास तमाम न्यूज टीवी चैनलों पर भी नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां गूंजने लगती हैं. एक न्यूज चैनल लाता है- सास, बहू और साजिश, फिर दूसरा चैनल लाया- सास, बहू और बेटियां और फिर तीसरा चैनल आया- सास, बहू और सस्पेंस. रिश्ते ही रिश्ते मिल तो लें- नारे का नया वर्जन है- सासें ही सासें, मिल तो लें.

: अब देखेंगे सास, बहू और वारदात! : नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां सिर्फ साबुन और सौंफ की दुकानों में ही नहीं होतीं, सीरियलों में भी होने लगी हैं. दोपहर दो-ढाई के आसपास तमाम न्यूज टीवी चैनलों पर भी नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां गूंजने लगती हैं. एक न्यूज चैनल लाता है- सास, बहू और साजिश, फिर दूसरा चैनल लाया- सास, बहू और बेटियां और फिर तीसरा चैनल आया- सास, बहू और सस्पेंस. रिश्ते ही रिश्ते मिल तो लें- नारे का नया वर्जन है- सासें ही सासें, मिल तो लें.

एक चैनल बता रहा है- हम ही असली, हमारी सासें ही असली. दूसरा चैनल बता रहा है- जी उनकी सासें पुरानी हैं, हमारी सासें नयी हैं. सासों ने विकट बमचक मचा रखा था, इंटरटेनमेंट चैनलों पर. लेकिन, अब सासें मार मचा रही हैं न्यूज चैनलों पर. मेरे ख्याल में इंगलिश न्यूज चैनल सासों का सम्मान नहीं करते, तो कोई सास आधारित कार्यक्रम नहीं दिखाते. इस मुल्क में जो भी जमीन से जुड़ा होगा, उसे सासों से हर हाल में जुड़ना ही होगा.
 
सासें टीवी चैनलों को टीआरपी दिलाती हैं. बहुत पहले सांप दिलाया करते थे, तब हर खबर सांप-मय होती थी- जैसे खखेरा गांव में नागिन पूर्व जन्म के आशिक से मिलने आयी. इतनी सांपबाजी-नागगिरी हुई टीवी-चैनलों पर राह चलता नाग भी आशिक आवारा दिखने लगा. फिर पब्लिक उकता गयी. नाग गायब हो गये. अब सास जम गयी हैं. पर मेरी चिंता दूसरी है- न्यूज चैनल सासों से टीआरपी उगाहने के चक्कर में टीवी के लगभग सारे कार्यक्रमों को ही सास-मय ना बना दें. सास, बहू और प्राइम टाइम; सास, बहू और कृषि दर्शन; सास, बहू और धर्म-कीर्तन; सास, बहू और आपके सितारे; सास, बहू और क्रिकेटर; सास, बहू और वारदात; सास, बहू और सनसनी.. ऐसे प्रोग्राम जल्दी ही हिंदी के हर न्यूज चैनलों पर दिखनेवाले हैं!

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे गौर से देखें, तो रात में प्राइम टाइम न्यूज में तमाम राजनीतिक दलों के नेता जैसे लड़ते हैं, वह लगभग सास-बहू टाइप मारधाड़ ही होती है. हर चैनल को अपनी रात की प्राइम-टाइम न्यूज का नाम सास, बहू और प्राइम टाइम कर देना चाहिए. दे दनादन, बंदा नाम सुन कर मानसिक तैयारी कर ले कि फुलटू-फाइट का नजारा मिलनेवाला है. कोई चैनल टीवी न्यूज को इस फॉर्मेट में दिखा सकता है कि आज की सास और आज की बहू. इसमें होगा यूं कि एक बहुत ही खड़ूस टाइप का विरोधी नेता अपने विरोधी नेता से दे दनादन सवाल पूछेगा.
 
सवाल-पूछक को सास और सवाल-देयक को बहू माना जायेगा. सास, बहू और वारदात कार्यक्रम की शुरुआत यूं हो सकती है कि एंकर कहेगा- हर सास के लिए बहू की लगभग हर हरकत और हर बहू के अपनी सास की लगभग हर हरकत वारदात ही होती है.  पर इस कार्यक्रम में सास-बहू से जुड़ी असली वारदातों को पेश करेंगे कि कैसे सास ने अपनी बहू को ठिकाने लगा दिया और कैसे बहू ने सास की साजिश को नाकाम कर दिया. अपराध और सास- भारतीय टीवी के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं. दोनों एक ही कार्यक्रम में आ जायें, तो टीआरपी आसमान छुयेगी. आइये, सास, बहू और वारदात का इंतजार करें.

लेखक आलोक पुराणिक चर्चित व्यंग्यकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement