अजय कुमार : उत्तर प्रदेश के 28 वें राज्यपाल राम नाईक को कार्यभार ग्रहण किए एक वर्ष हो चुका है। अब तक उनके कई फैसलों पर विवाद भी हो चुका है। वह कहते हैं, पत्रकारों ने भी मुझसे यूपी की बिगड़ी कानून व्यवस्था की शिकायत की है। मैंने भी कई बार मुख्यमंत्री से कानून व्यवस्था पर शिकायत की है।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक से बातचीत करते वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार
राज्यपाल का कहना है कि अखिलेश समझदार नेता हैं, उनसे कुछ अच्छा करने की उम्मीद हमेशा बनी रहती है। सरकार का करीब साढ़े तीन वर्षो का कार्यकाल बीत चुका है। इस आधार पर कहा जाये तो सरकार को कई मोर्चों पर सुधार करना होगा। मैंने कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर शिकायत की है। वह भी चिंतित हैं। यह एक बड़ी समस्या है। कई बार पत्रकारों ने हमसे कानून व्यवस्थता की शिकायत की है। लखनऊ का ही बुरा हाल, पूरे प्रदेश के बारे में क्या कहा जाये। लूटपाट की बढ़ती घटनाएं, महिलाओं का उत्पीड़न, बलात्कार, एसिड अटैक, हत्याओं के अलावा साम्प्रदायिक रूप से भी माहौल खराब हो रखा है। जाम की समस्या, फुटपाथों पर कब्जा, अतिक्रमण की खबरें आये दिन समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती रहती हैं। शिकायत लिखाने के लिये सीधा-साधा व्यक्ति थाने जाने में डरता है। पुलिस को जनता का विश्वास हासिल करना होगा। मेरी सबसे बड़ी चिंता अपराधों में अवैध हथियारों को लेकर है। इस बारे में पुलिस को भी सोचना चाहिए।
सत्तारूढ़ दल के अपराधियों से निकटता के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मैं, इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा। यह राजनैतिक ज्यादा है। अपराधी, अपराधी होता है। समय-समय पर अपराध के खिलाफ व्यापक अभियान चलाये जाने की जरूरत है। जनता को विश्वास हो जाये कि अपराधी किसी भी पार्टी और यहां तक की सत्तारूढ़ दल के करीबी ही क्यों न हो, उसे सख्त से सख्त सजा होगी तो अपराधिक प्रवृति के लोगों के हौसले पस्त होंगे।
विधान परिषद सदस्यों के मनोनयन के संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार ने मनोनयन के लिये जो नौ नाम भेजे हैं, उनमें से चार को मंजूरी दे दी है। बाकी पांच नामों को लेकर हमने चिंता जताई है। सरकार से दो बार स्पष्टीकरण मांग चुका हॅू। सरकार ने स्पष्टीकरण तो दिया, लेकिन मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं। मैंने, जिन पांच नामों को मंजूरी नहीं दी है उनके खिलाफ अलग-अलग करीब दो सौ शिकायतें मिली हैं। राजभवन स्वयं इसकी जांच नहीं करा सकता है।
लोकायुक्त मामले पर राज्यपाल का कहना था कि मैं, काफी समय से यह मामला उठा रहा हॅू। सीएम को पत्र भी लिखा। पत्र के साथ सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश भी लगाया था, जिसमें कोर्ट ने लोकायुक्त और उप लोकायुक्त की नियुक्ति छह वर्षों के लिये किये जाने के निर्देश दिये थे। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।
प्रदेश की नौकरशाही के तौर तरीकों पर उन्होंने कहा – यहां के नौकरशाहों के बारे में आम धारणा यही है कि वह सत्ता के इशारे पर काम करते हैं। अगर नौकरशाह कोई अच्छा सुझाव देता है तो उसे सरकार को मानने में परहेज नहीं करना चाहिए। शासन-प्रशासन में विरोध जरूरी है।
प्रदेशवासियों के मंहगी बिजली-पानी के संकट से जूझने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि बिजली की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। बताते हैं कि बिजली विभाग में काफी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। कई जगह बिजली वितरण में गड़बड़ी है। जब तक कठोर निर्णय नहीं लिये जायेंगे, बिजली की समस्या हल नहीं होगी। बिजली चोरी को रोकना और उत्पादन बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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